चमत्कारी है समुद्र मंथन से निकला ये पेड़ हर इच्छा को करता है पूरी! जानिए कहां
चमत्कारी है समुद्र मंथन से निकला ये पेड़ हर इच्छा को करता है पूरी! जानिए कहां
Kalpavriksha Tree in Bulandshaher: समुद्र मंथन से निकले 14 रत्नों में से एक कल्पवृक्ष था. इसे इंद्र को भेंट किया गया था. वेद और पुराणों में इसका उल्लेख मिलता है और इसे स्वर्ग का विशेष वृक्ष माना जाता है. कल्पवृक्ष की लकड़ी में पानी की मात्रा करीब 79 प्रतिशत होती है, जिससे यह सीधे खड़ा रहता है.
बुलंदशहर: उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले का साबितगढ़ गांव अपने भीतर कई ऐतिहासिक कहानियों और रहस्यों को समेटे हुए है. इसी गांव में स्थित एक शिव मंदिर में कई पेड़-पौधे हैं. लेकिन सबसे विशेष और अनोखा पेड़ कल्पवृक्ष है. गांव की बुजुर्ग महिला पुष्पा शर्मा ने बताया कि बुलंदशहर जिले में शायद ही कहीं और कल्पवृक्ष का पेड़ देखने को मिलेगा. उत्तर प्रदेश में यह पेड़ केवल प्रयागराज, हमीरपुर, बाराबंकी और कुछ अन्य जिलों में पाया जाता है. इसके अलावा यह राजस्थान में भी देखने को मिलता है.
पुराणों के अनुसार, समुद्र मंथन से निकले 14 रत्नों में से एक कल्पवृक्ष था. इसे इंद्र को भेंट किया गया था. वेद और पुराणों में इसका उल्लेख मिलता है और इसे स्वर्ग का विशेष वृक्ष माना जाता है. कल्पवृक्ष की लकड़ी में पानी की मात्रा करीब 79 प्रतिशत होती है, जिससे यह सीधे खड़ा रहता है. हिंदू धर्म में मान्यता है कि इस वृक्ष के नीचे बैठकर व्यक्ति जो भी इच्छा मांगता है, वह पूर्ण हो जाती है. क्योंकि इसमें अपार सकारात्मक ऊर्जा होती है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, समुद्र मंथन के बाद इंद्र ने इस वृक्ष को ‘सुरकानन वन’ (हिमालय के उत्तर में) में स्थापित कर दिया था. पद्मपुराण में भी इसका उल्लेख है, जहां इसे पारिजात वृक्ष के रूप में पहचाना गया है.
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कल्पवृक्ष का वैज्ञानिक नाम ओलिया कस्पीडाटा
कल्पवृक्ष का वैज्ञानिक नाम “ओलिया कस्पीडाटा” है और इसे ओलिएसी कुल के अंतर्गत रखा गया है. यह पेड़ यूरोप के फ्रांस और इटली में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है. साथ ही यह दक्षिण अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया में भी देखा जाता है. भारत में इसका वानस्पतिक नाम “बंबोकेसी” है. 1775 में फ्रांसीसी वैज्ञानिक माइकल अडनसन ने इसे अफ्रीका के सेनेगल में खोजा था, जिसके बाद इसका नाम “अडनसोनिया टेटा” रखा गया.
Tags: Bulandshahr news, Dharma Aastha, Local18FIRST PUBLISHED : September 25, 2024, 11:00 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed