बड़ा ही चमत्कारी है यह नागकुंड यहां स्नान करने से दूर होता है काल सर्प दोष!

पं. अनुपम महराज ने बताया कि 2500 साल पहले नागवंशियों ने कुंड को बनाया था. इसमें स्नान करके मां के दर्शन के लिए जाते थे. कुंड में 52 घाट है, जहां भक्त स्नान व पूजन कर सकते हैं. कुंड में स्नान से कालसर्प दोष व स्वप्न में सर्प दिखने जैसे दोष से मुक्ति मिलती है.  

बड़ा ही चमत्कारी है यह नागकुंड यहां स्नान करने से दूर होता है काल सर्प दोष!
मुकेश पांडेय/मिर्जापुर : विंध्य पर्वत पर विराजमान आध्यात्मिक शहर मिर्जापुर में कई चमत्कारिक स्थल मौजूद हैं. इन स्थलों का पुराणों से भी गहरा नाता जुड़ा है. आदिशक्ति मां विंध्यवासिनी धाम के पास प्राचीन काल में बना नागकुंड है, जहां स्नान करने से कालसर्प दोष व स्वप्न में सर्प दिखने जैसे दोष खत्म हो जाते हैं. किदवंती है कि इस कुंड का निर्माण नागवंशी राजा ने कराया था. मां के सशक्त द्वारपाल में एक नागवंशी भी थे, जो मां को कुलदेवी मानते थे. मान्यता है कि नागवंशी इसी कुंड में स्नान करने के बाद मां के दरबार में दर्शन के लिए जाते थे. प्राचीन नागकुंड को पाताल लोक जाने का रास्ता भी कहा जाता है. पं. अनुपम महाराज ने बताया कि नागवंशी की कुलदेवी मां विंध्यवसिनी है. 2500 वर्ष पूर्व नागवंशियों ने इस कुंड को बनवाया था. इसमें स्नान करने के बाद दर्शन के लिए जाते थे. कंतित नागवंशियों की राजधानी हुआ करती थी. इस नागकुंड में 52 घाट हैं. उन घाटों पर सीढ़ी के माध्यम से जाकर भक्त स्नान व पूजन कर सकते हैं. नाग पंचमी के दिन हजारों की संख्या में भक्त कुंड में स्नान करने के लिए पहुंचते हैं. स्नान से कालसर्प दोष से मिलती है मुक्ति पं. अनुपम महाराज ने बताया कि कुंड में स्नान करने मात्र से ही कालसर्प व स्वप्न में सर्प दिखने जैसी समस्या से मुक्ति मिलती है. अगर किसी को सांप से भय लगता हो. वह इस कुंड में स्नान करें. उसको भय से मुक्ति मिल जाएगी. इस नागकुंड को पाताल में जाने का रास्ता कहा जाता है. इसी कुंड के माध्यम से नागवंशी कहीं आया और जाया करते थे. कुंड के चारों तरफ कुआं है.  जहां सभी स्नान करते हैं. इसी रास्ते से जाया करते थे दानवराज पं. अनुपम महाराज ने बताया कि कंतित के राजा दानव राज इसी कुंड से कहीं आते और जाते थे. मान्यता है कि प्राचीन समय में गरीब यहां आकर शादी-विवाह में मदद की गुहार लगाते थे, तो बर्तन व खाने की सामग्री प्रकट होती थी. उपयोग के बाद उसे वापस उसी कुंड में डालकर चले आते थे. यहां नागपंचमी पर विशेष पूजन व आरती का आयोजन होता है. जिसमें काफी श्रद्धालु शामिल होने के लिए पहुंचते हैं. Tags: Hindi news, Local18, Religion 18FIRST PUBLISHED : August 8, 2024, 11:07 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ेंDisclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.
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