मुकदमा वापस लेने के लिए सिर्फ कोर्ट की इजाजत नहीं जानिए क्या है नया कानून

Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita: केंद्र सरकार ने न्यायिक प्रणाली में अभूतपूर्व बदलाव करते हुए अंग्रेजों द्वारा बनाए कानून को खत्म कर अपनी सरकार द्वारा बनाए गए कानून एक जुलाई से लागू कर दिए. ये तीन नए कानून हैं 1. भारतीय न्याय संहिता, 2. भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और 3. भारतीय साक्ष्य अधिनियम.

मुकदमा वापस लेने के लिए सिर्फ कोर्ट की इजाजत नहीं जानिए क्या है नया कानून
नई दिल्ली. अंग्रेजों के वक्त की दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के स्थान पर सोमवार को लागू हुई भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) के अनुसार अभियोजक की ओर से मामला वापस लेने के किसी भी आवेदन को न्यायालय द्वारा स्वीकार किए जाने से पहले पीड़ितों के पक्ष को सुनना अनिवार्य है. पूर्व में लागू सीआरपीसी की धारा 321 के तहत अभियोजक को, फैसला सुनाए जाने से पहले किसी भी समय अदालत की सहमति से मामला वापस लेने की अनुमति थी, लेकिन इस स्तर पर पीड़ित का पक्ष सुनने का प्रावधान नहीं था. आपराधिक न्याय प्रणाली में सुधार लाने वाले तीन कानूनों में से एक, बीएनएसएस में धारा 360 को शामिल किया गया है, जिसमें यह प्रावधान है कि इस तरह की वापसी की अनुमति देने से पहले पीड़ित की बात सुनी जानी चाहिए. एक अधिकारी ने कहा, “यह फौजदारी मुकदमे में पीड़ित को एक पक्षकार के रूप में मान्यता देने का एक महत्वपूर्ण कदम है.” अधिकारियों ने बताया कि नए कानून में पीड़ितों को फौजदारी प्रक्रिया में अपनी बात रखने का सहभागी अधिकार, सूचना का अधिकार और पीड़ितों को हुए नुकसान के लिए मुआवजे का अधिकार प्रदान किया गया है. बीएनएसएस के तहत पीड़ितों को प्राथमिकी की प्रति प्राप्त करने का अधिकार होगा और पुलिस को 90 दिनों के भीतर जांच में प्रगति के बारे में उन्हें सूचित करना होगा, जिससे पीड़ित को जांच में संभावित चूक और देरी के बारे में पता चल सके. अधिकारियों ने बताया कि बीएनएसएस की धारा-230 अनिवार्य प्रावधान के माध्यम से पीड़ितों और आरोपियों को पुलिस रिपोर्ट, प्राथमिकी, गवाहों के बयान आदि सहित अपने मामले के विवरण की जानकारी प्राप्त करने का ‘महत्वपूर्ण अधिकार’ भी देती है. उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य आपराधिक प्रक्रिया में पीड़ितों की प्रभावी और सार्थक भागीदारी को सक्षम बनाना है. अधिकारियों ने बताया, “जांच और सुनवाई के विभिन्न चरणों में पीड़ितों को जानकारी उपलब्ध कराने के प्रावधान भी शामिल किए गए हैं.” FIRST PUBLISHED : July 2, 2024, 01:43 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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