भाजपा का मिशन साउथ : दक्षिण भारत में ज्यादा संभावनाएं लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी ने शुरू की तैयारी
भाजपा का मिशन साउथ : दक्षिण भारत में ज्यादा संभावनाएं लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी ने शुरू की तैयारी
BJP Mission South, Lok Sabha Elections 2024: राष्ट्रीय स्तर पर कोई मजबूत विपक्ष ना होने के कारण भाजपा अलग अलग राज्यों में क्षेत्रीय दलों को लोकल मुद्दों के साथ घेरने का काम कर रही है. पिछले दो लोकसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी भाजपा को कोई खास चुनौती नहीं दे पाई है.
हाइलाइट्स2019 के लोकसभा चुनाव में आंध्र प्रदेश में बीजेपी का खाता भी नहीं खुल पाया था.लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा दक्षिण के राज्यों में अपने संगठन को मजबूत करने में जुट गई है.भाजपा का पहला फोकस तेलगांना है, जहां पार्टी को अपने लिए ज्यादा संभावनाएं नजर आ रही हैं.
ममता त्रिपाठी
नई दिल्ली : भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारी में मिशन मोड में आ चुकी है. इस बार भाजपा का फोकस दक्षिण भारत के उन राज्यों पर है जहां आने वाले वक्त में विधानसभा के चुनाव भी होने हैं. भाजपा के मिशन दक्षिण के पीछे एक बड़ी वजह ये भी है कि भाजपा उत्तर भारत के राज्यों में सेचुरेशन में आ चुकी है. भाजपा ने मिशन साउथ के लिए अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग रणनीति पर काम करना शुरू भी कर दिया है. हाल ही में राज्यसभा के लिए मनोनीत होने वाले चारों लोग दक्षिण भारतीय हैं. पीटी ऊषा केरल से आती हैं, संगीतकार इलैया राजा तमिलनाडु से, लेखक और निर्देशक वी विजयेंद्र आंध्र प्रदेश के रहने वाले हैं, समाजसेवी वीरेंद्र हेगड़े कर्नाटक राज्य से आते हैं. हैदराबाद में राष्ट्रीय कार्यकारिणी के आयोजन के पीछे भी यही मकसद था. ये सब बातें भाजपा के मिशन साउथ की ओर इशारा करती हैं.
भाजपा का पहला फोकस तेलगांना है, जहां पार्टी को अपने लिए ज्यादा संभावनाएं नजर आ रही हैं. भाजपा के वरिष्ठ नेता तरुण चुग का कहना है कि तेलगांना में केंद्र सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का प्रचार करने के साथ ही पार्टी जय तेलगांना का नारा भी दे रही है. पार्टी को सबसे ज्यादा उम्मीद तेलगांना से है अभी उपचुनाव में भाजपा ने यहां दो सीटें जीती भी हैं.
भाजपा के लिए खुला मैदान हैं दक्षिण के राज्य
पार्टी के नेताओं का मानना है कि दक्षिण भारत के राज्य भाजपा के लिए खुला मैदान हैं, असीमित संभावनाएं हैं पार्टी के लिए. कर्नाटक के बाद सबसे ज्यादा उम्मीदें तेलगांना से हैं. भाजपा पश्चिम बंगाल की तर्ज पर तेलगांना विधानसभा चुनाव की तैयारियों में पूरी तरह जुट गई है. जुबानी जंग और पोस्टर वॉर के जरिए भाजपा टीआरएस पर पूरी तरह से हमलावर है. ऐसा लगने लगा है कि असल मुकाबला भाजपा और सत्ताधारी दल टीआरएस के बीच ही है जिससे सीधा फायदा भाजपा को मिल रहा है. आपको बता दें कि अगले साल तेलगांना में विधानसभा के चुनाव होने हैं. मगर भाजपा की असली नजर यहां की 17 लोकसभा सीटों पर है जिस पर 2024 में चुनाव होना है.
उत्तर भारत के कई राज्यों में सेचुरेशन की स्थिति
2014 के लोकसभा चुनाव के बाद से ही भाजपा का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है, 2019 के चुनावों में भाजपा को बंपर जीत तो मिली मगर दक्षिण के कई राज्यों में उसका खाता तक नहीं खुल पाया. कर्नाटक एक अपवाद है जहां पिछले चुनाव में भाजपा को 28 में से 25 सीटों पर जीत मिली थी. भाजपा ने गुजरात की पूरी 26 सीटों पर कब्जा किया, हरियाणा की सारी 10 सीटें, हिमाचल की सभी 4 सीटें जीतीं, दिल्ली की सातों सीट, राजस्थान की 25 में 24 सीटों पर भाजपा जीती और एक पर सहयोगी दल को जीत हासिल हुई, उत्तराखंड की पांचों सीटों पर कमल का फूल खिला, बिहार की 17 सीटें, छत्तीसगढ़ की 11 में से 9 सीटें जीती, जम्मू-कश्मीर की 6 में से 3 सीटें जीती, झारखंड की 14 में से 11 सीटें, मध्य प्रदेश की 29 मे से 28 सीटें, महाराष्ट्र की 48 में से 23 सीटें, ओडिशा की 21 में से 8 सीटें, यूपी की 80 में से 62 सीटें, पश्चिम बंगाल की 42 में से 18 सीटों पर भाजपा के सांसद हैं. नार्थ ईस्ट में त्रिपुरा की दोनों सीटों पर भाजपा का कब्जा है, अरुणाचल प्रदेश की दोनों सीटों पर भी भाजपा के ही सांसद हैं. इन आंकड़ों को देखने के बाद साफ जाहिर है कि भारतीय जनता पार्टी उत्तर भारत के कई राज्यों में सेचुरेशन पर पहुंच चुकी है.
दक्षिण से होगी नुकसान की भरपाई
रणनीतिकारों का ये भी मानना है कि इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता कि इनमें से कुछ राज्यों में भाजपा की सीटें कम हो सकती हैं. ऐसे में उस नुकसान की भरपाई सिर्फ दक्षिण भारत के राज्यों से ही हो सकती है.
भाजपा के रणनीतिकारों का मानना है कि 2024 के चुनावों से पहले ये जरूरी है कि भाजपा दक्षिण के राज्यों में अपने संगठन को मजबूत कर ले ताकि लोकसभा में पार्टी ज्यादा सीटें जीत सके. दक्षिण भारत के पांच राज्यों-आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, तेलगांना, केरल और कर्नाटक में लोकसभा की कुल 129 सीटें है.
2019 में खराब रहा था प्रदर्शन
2019 के लोकसभा चुनाव में इन राज्यों में भाजपा का प्रदर्शन काफी खराब रहा था, आंध्र प्रदेश की 25 सीटों में से वाईएसआरसीपी के खाते में 22 सीटें आई थीं जबकि तीन सीटों पर टीडीपी का कब्जा रहा था. भाजपा का खाता भी नहीं खुल सका था. केरल में भाजपा शून्य पर ही रही थी, लेकिन सामाजिक समीकरणों को ठीक करते हुए इस बार केरल में भाजपा क्रिश्चियन अल्पसंख्यकों पर फोकस कर रही है. पिछली बार तेलगांना में 4 सीटें भाजपा के हिस्से आई थीं जिसके चलते इस राज्य से उम्मीद जगी है. तमिलनाडु में 2021 के विधानसभा चुनाव में एआईएडीएमके के साथ गठबंधन में भाजपा ने 4 सीटों पर जीत हासिल की थी. तमिलनाडु में लोकसभा की 39 सीटें हैं. तमिलनाडु में सारे दल जहां तमिल सेंटीमेंटस की बात कर रहे हैं वहां भाजपा वन नेशन और राष्ट्रवादी के फार्मूले पर काम कर रही है.
क्षेत्रीय दलों को लोकल मुद्दों के साथ घेरने का काम
राष्ट्रीय स्तर पर कोई मजबूत विपक्ष ना होने के कारण भाजपा अलग अलग राज्यों में क्षेत्रीय दलों को लोकल मुद्दों के साथ घेरने का काम कर रही है. पिछले दो लोकसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी भाजपा को कोई खास चुनौती नहीं दे पाई है. भाजपा परिवारवाद, जातिवाद और ध्रुवीकरण की सियासत के आरोप लगाकर आम लोगों के मन में उन दलों के लिए शंका पैदा कर रही है ताकि जनता भाजपा पर विश्वास करे और वोट दे जिसमें भाजपा को काफी हद तक सफलता भी मिली है. भाजपा विपक्षी दलों को उनके गढ़ में घेरने के साथ ही सोशल इंजीनियरिंग पर भी तेजी से काम कर रही है.
मुस्लिम ओबीसी वर्ग को साथ लाने की जुगत
भाजपा पर आरोप लगते थे कि ये मुस्लिम विरोधी पार्टी है मगर जिस तरह से तीन तलाक जैसे मुद्दों पर मुस्लिम महिलाओं ने भाजपा को वोट किया है उसके बाद से उत्साहित भारतीय जनता पार्टी अब मुस्लिम के ओबीसी वर्ग को साथ लाने की जुगत में लग गई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद अपने भाषण में पसमांदा समाज पर फोकस करने की बात की है. दक्षिण के राज्य भाजपा के लिए अग्निपथ से कम नहीं है जिस पर बढ़ना कठिन और चुनौतीपूर्ण कार्य है.
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Tags: BJP, Lok Sabha Election, Lok Sabha Elections, Pm narendra modiFIRST PUBLISHED : July 15, 2022, 17:11 IST