यूपी का पहला लंदन बुक हाउस! यहां अग्रेजों के समय आती थी ब्रिटेन से मैगजीन

London Book Depot Bareilly: बरेली में एक किताबों की दुकान अंग्रेजों के समय की आज भी चल रही है. 1933 में बनी इस दुकान का नाम लंदन बुक डिपो है. अंग्रेजों के समय यहां पर ब्रिटेश से किताबें आती थी. अब यहां हर तरह की किताबें मौजूद हैं.

यूपी का पहला लंदन बुक हाउस! यहां अग्रेजों के समय आती थी ब्रिटेन से मैगजीन
विकल्प कुदेशिया/बरेली: स्मार्ट सिटी बरेली में लंदन बुक हाउस की दुकान अंग्रेजों के जमाने से चल रही है. यहां अंग्रेजों के शासन में जहां इंग्लैंड की किताबें भारत में बेची जाती थी. वहीं, बरेली सिटी मे बनी लंदन बुक हाउस स्टेशनरी की पहली दुकान थी, जो कि बरेली के सदर कैंट बाजार में आज भी स्थित है. बता दें कि बहुत साल पहले अंग्रेजों के जमाने में लंदन की बुक डिपो के नाम से स्टेशनरी दुकान बनवाई गई थी. जहां अंग्रेजों के जमाने से ही यहां ब्रिटिश मैगजीन रॉयल मेल के जरिए यहां इंपोर्ट की जाती थी. इसके पश्चात बैरक में तैनात सोल्जर को मुहैया कराई जाती थी. अरोड़ा परिवार की तीसरी पीढ़ी चला रही है दुकान वहीं, आज इस दुकान पर बाहर के मटेरियल की जगह पर देश में ही मिलने वाली कॉपी और पुस्तकें मिल रही हैं. इसके अलावा बच्चों के पढ़ने के लिए स्कूल बुक्स के साथ साथ हिंदी बुक्स एवं बच्चों की एक्टिविटी के लिए भी कई किताबें उपल्ब्ध हैं. यह दुकान बरेली शहर की पहली लंदन बुक हाउस के नाम से हुआ करती थी. इसका संचालन सुमित अरोड़ा कर रहे हैं. वह अरोड़ा परिवार की तीसरी पीढ़ी से वंशज हैं. लंदन बुक डिपो के नाम से मशहूर लंदन बुक हाउस को चला रहे दुकान के मालिक सुमित अरोड़ा ने बताया कि इस दुकान को 1933 में उनके दादाजी ने शुरू की थी. जिसे आज उनकी तीसरी पीढ़ी चला रहे हैं. इसके अलावा वे बताते हैं कि पहले जिस तरह अंग्रेजों का राज्य हुआ करता था. जिसके कारण यहां ब्रिटिशों के लिए ही किताबें मुहिया कराई जाती थी. तब उनके दादाजी इंग्लैंड की किताबें मंगा कर बरेली में तैनात अंग्रेजी हुकूमत के कमांडेंट को उपलब्ध  कराया करते थे. जानें कैसे पड़ा दुकान का नाम सुमित अरोड़ा ने बताया कि ने बताया कि तब इस दुकान का नाम लंदन बुक हाउस पड़ गया था. उनकी दुकान पर प्रियंका चोपड़ा से लेकर कई फिल्मी हस्तियां आकर फोटो खिंचवा चुके हैं. लंदन बुक डिपो का इतिहास काफी पुराना है. 1933 में अंग्रेजों के जमाने के पहले यह स्टेशनरी की दुकान हुआ करती थी. जिसके कारण इसका नाम लंदन बुक डिपो पड़ा. वहीं, इसका इतिहास बताते हुए सुमित अरोड़ा ने बताया कि इस दुकान को 1933 में उनके दादाजी ने शुरू की थी. जिसे अब वह चला रहे हैं. इसके अलावा वह बताते हैं कि पहले जिस तरह अंग्रेजों का राज्य हुआ करता था. इस वजह से यहां ब्रिटिशों के लिए ही किताबें मुहिया कराई जाती थी. जानें किस तरह की किताबें रहती थी उपलब्ध भारत में अंग्रेजों के शासनकाल के दौरान बनी यह लंदन बुक डिपो पर इंग्लैंड से ही मैगजीन मंगवाई जाती थी. यहां दुकान पर अंग्रेजों के लिए मैगजीन रॉयल मेल के जरिए इंपोर्ट की जाती थी. इसके बाद बैरी गोटी में इन्फेंट्री के सोल्जरस को मोहिया कराई जाती थी. यह सभी मैगजीन उस समय अंग्रेजों के लिए ही उपलब्ध कराई जाती थी. जानें यहां आने वाले ग्राहकों ने क्या कहा वहीं, लंदन बुक डिपो पर आए ग्राहकों ने बताया कि उन्हें पाठ्यक्रम से संबंधित सभी ऐतिहासिक, भौगोलिक अथवा बच्चों की एक्टिविटी जैसी किताबें यहां आसानी से मिल जाती हैं.  वह यहां काफी समय से किताबें अथवा पढ़ाई से संबंधित सामान खरीदने आते हैं. क्योंकि यह बरेली की पहली बुक हाउस की दुकान है, जो कि 1993 से संचालित है. Tags: Bareilly news, Local18FIRST PUBLISHED : August 6, 2024, 12:14 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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