केले के कचरे का इस्तेमाल करके खड़ा कर दिया करोड़ों का बिजनेस
केले के कचरे का इस्तेमाल करके खड़ा कर दिया करोड़ों का बिजनेस
Inspiring Story: मेलकल गांव के मुरुगेसन ने केले के कचरे से हस्तशिल्प उत्पाद बनाकर 200 से अधिक महिलाओं को रोजगार दिया. उन्होंने केले की छाल से रस्सी बनाने की मशीन विकसित की और अब विदेशों में भी उत्पाद बेच रहे हैं.
मदुरै जिले के वाडीपट्टी तालुक के मेलकल गांव में केले की खेती लगातार फल-फूल रही है. एक साधारण किसान परिवार में जन्मे मुरुगेसन (55) के पिता भी केले की खेती करते थे, लेकिन वे केले के पेड़ के तने और पत्तों से निकलने वाले कचरे को जला देते थे. एक दिन मुरुगेसन ने सोचा कि क्यों न इस कचरे का उपयोग किया जाए. गांव के वैज्ञानिक मुरुगेसन ने इस विषय पर सोचना शुरू किया और यह विचार किया कि केले के पेड़ का हर हिस्सा उपयोगी हो सकता है.
नवाचार के जरिए नया व्यवसाय शुरू करना
मुरुगेसन ने कुछ नया करने का संकल्प लिया. उन्होंने केले के कचरे से हस्तशिल्प वस्तुएं बनाने का विचार किया और इसे बेचने के लिए चेन्नई में आईआईटी प्रदर्शनी में भाग लिया. प्रदर्शनी में उनकी मुलाकात रोप इंडिका संस्था से हुई, जिसके माध्यम से उन्होंने अपना पहला उत्पाद विदेशों में बेचना शुरू किया. इसके बाद उन्होंने मेलकल गांव में ही एक कंपनी शुरू की और 30 से अधिक महिलाओं को रोजगार दिया. ये महिलाएं अब टोकरी, चटाई, कूड़ेदान, और हैंडबैग जैसे विभिन्न उत्पाद तैयार कर रही हैं.
केले की छाल से नए उत्पाद का निर्माण
मुरुगेसन ने केले के पेड़ की छाल का उपयोग करना शुरू किया. उन्होंने छाल को पानी में भिगोकर सुखाया और फिर उसे रस्सी के रूप में तैयार किया. हाथ से मोड़कर सिर्फ 1000 मीटर केले का रेशा तैयार हुआ. इसके बाद, मुरुगेसन ने कॉयर रस्सी बनाने की मशीन से प्रेरित होकर एक रस्सी कताई मशीन का आविष्कार किया. इस नई मशीन ने महिलाओं को एक साथ मिलकर 5000 मीटर रस्सी बनाने की क्षमता दी, जिससे उत्पादों का निर्माण तेजी से शुरू हुआ.
स्वचालित मशीन के विकास से उत्पादन में वृद्धि
ऑर्डरों की बढ़ती संख्या को देखते हुए, मुरुगेसन ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी कोष के माध्यम से दो मोटरों द्वारा संचालित एक स्वचालित मशीन विकसित की. इस मशीन के माध्यम से 30,000 मीटर रस्सी का उत्पादन होने लगा. इसके बाद, गुजरात में नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन की मदद से मुरुगेसन ने अपनी मशीनों का पेटेंट कराया. इन मशीनों को न केवल भारत के विभिन्न जिलों में बेचा गया, बल्कि विदेशों में भी 50 से अधिक मशीनें बेचीं, जिनमें अफ्रीका भी शामिल है.
महिलाओं की आजीविका में वृद्धि और उत्पादन का विस्तार
केले की रस्सी से हस्तशिल्प वस्तुएं बनाने के इस उद्योग से 200 से अधिक महिलाओं की आजीविका में सुधार हुआ है. मुरुगेसन ने बताया कि उन्होंने टोकरी, डस्टबिन, हैंडबैग, फ्लावरपॉट, कपड़ा, पेन स्टैंड जैसे 20 से अधिक उत्पाद तैयार किए हैं, जिन्हें 50 रुपये से लेकर 10,000 रुपये तक में बेचा जा रहा है.
दूसरे राज्यों और देशों में प्रशिक्षण देना
मुरुगेसन ने न केवल भारत के विभिन्न राज्यों जैसे आंध्र प्रदेश, असम, मणिपुर, बिहार, महाराष्ट्र, और गुजरात में प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए, बल्कि अफ्रीका महाद्वीप में भी प्रशिक्षण दिया. वे कहते हैं कि वे और भी कई किसानों को इस व्यवसाय से जोड़ने के लिए तैयार हैं.
मुरुगेसन की सफलता और भविष्य की योजनाएं
मुरुगेसन, जो एक साधारण किसान परिवार से आते हैं और केवल आठवीं कक्षा तक पढ़े हैं, ने केले के रेशे से व्यवसाय बनाने के लिए कई नवाचार किए और 12 राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त किए. साथ ही, उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘मन की बात’ में भी हिस्सा लिया. उनका अगला लक्ष्य एक हजार से अधिक कर्मचारियों वाली एक बड़ी कंपनी बनाना है और वे और अधिक ट्रेनिंग देने के लिए तैयार हैं.
Tags: Local18, Special Project, Tamil naduFIRST PUBLISHED : November 18, 2024, 15:46 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed