जीवन में खूब लड़ी असफलता की लड़ाई फिर यूं मारी बाजी पढ़े इस प्रोफसर की कहानी
जीवन में खूब लड़ी असफलता की लड़ाई फिर यूं मारी बाजी पढ़े इस प्रोफसर की कहानी
Success Story of Dr Manjeet Singh Ballia: जीवन में असफलताएं भी मंजीत सिंह का लगातार पीछा करती रहीं. उन्होंने उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC), जीडीसी, और यूपीएससी जैसी परीक्षाओं में कई बार प्रयास किया, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली. इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और लगातार प्रयास करते रहे.
बलिया: कहते हैं, “कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती,” और यह कहावत बलिया के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. मंजीत सिंह पर पूरी तरह से सटीक बैठती है. डॉ. मंजीत सिंह, जो वर्तमान में कुंवर सिंह पीजी कॉलेज बलिया में हिंदी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में कार्यरत हैं. कठिनाइयों और असफलताओं के बावजूद उन्होंने अपने सपनों को साकार किया है. उनकी जीवन यात्रा न केवल प्रेरणादायक है, बल्कि संघर्ष और दृढ़ता की मिसाल भी है.
डॉ. मंजीत सिंह बलिया के परसिया गांव के निवासी हैं. उनका परिवार आर्थिक रूप से बेहद कमजोर था. लेकिन उनके मन में कुछ बड़ा करने का सपना हमेशा जीवित रहा. उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा ग्रामीण क्षेत्र से पूरी की. परिवार की दयनीय आर्थिक स्थिति और सीमित शैक्षिक संसाधनों के बावजूद, उन्होंने कभी हार नहीं मानी. हाई स्कूल की पढ़ाई गांव में पूरी करने के बाद, वे इलाहाबाद चले गए, जहां उन्होंने इंटरमीडिएट से लेकर पीएचडी तक की पढ़ाई की. पीजी में उन्होंने विश्वविद्यालय में दूसरा स्थान प्राप्त किया और बीएड में भी बलिया से प्रथम स्थान हासिल किया.
संघर्ष और चुनौतियां
डॉ. मंजीत सिंह की संघर्ष यात्रा यहीं खत्म नहीं हुई. पीएचडी के दौरान, 2003 में उनकी नियुक्ति नवोदय विद्यालय में हुई, जिसे उन्होंने अपनी आर्थिक स्थिति के कारण स्वीकार किया. लेकिन वे इस नौकरी से संतुष्ट नहीं थे और उच्च शिक्षा के प्रति उनका जुनून बरकरार रहा. वे पढ़ाने के साथ अपनी पीएचडी की तैयारी के लिए दक्षिण भारत की विशेष लाइब्रेरियों में अध्ययन करने जाते थे.
असफलताओं का सामना
जीवन में असफलताएं भी मंजीत सिंह का लगातार पीछा करती रहीं. उन्होंने उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC), जीडीसी, और यूपीएससी जैसी परीक्षाओं में कई बार प्रयास किया, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली. इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और लगातार प्रयास करते रहे.
ऑनलाइन टीचिंग से छात्रों को दिलाई सफलता
फिर 2020 में उनकी मेहनत रंग लाई और विज्ञापन नंबर 47 के तहत 18वीं रैंक के आधार पर वे बलिया के कुंवर सिंह पीजी कॉलेज में हिंदी के असिस्टेंट प्रोफेसर पद के लिए चयनित हुए. इसके साथ ही वे ऑनलाइन मुफ्त कक्षाएं भी देते हैं, जिसके माध्यम से बिहार के करीब 75 छात्र चयनित हो चुके हैं. डॉ. मंजीत सिंह को IIAS शिमला में रिसर्च एसोसिएट के रूप में पूरे भारत से चुने गए आठ प्रोफेसरों में शामिल होने का भी सम्मान मिला. इसके अलावा, उनके 35 से अधिक शोध पत्र राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं.
Tags: Ballia news, Local18FIRST PUBLISHED : September 4, 2024, 16:33 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed