लालटेन के सहारे पढ़ाई बार-बार मिली असफलता लेकिन नहीं मानी हारजानें रामचंद

डिप्टी कैशियर रामचंद्र ने बताया कि परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण मैंने गांव के ही प्राथमिक विद्यालय से पढ़ाई शुरू की. उस ज़माने में पेन, किताब और कॉपी बहुत कम होते थे, तो हम लोग  की पढ़ाई लकड़ी के पटरी पर होती थी.

लालटेन के सहारे पढ़ाई  बार-बार मिली असफलता लेकिन नहीं मानी हारजानें रामचंद
बलिया: कुछ लोग अपनी असफलता पर घर परिवार की स्थिति, व्यवस्था की कमी और आर्थिक कमजोरी जैसी समस्याओं का रोना रोते हैं, लेकिन यह बड़ा सोचनीय और विचारणीय तथ्य है कि आखिरकार विपरीत परिस्थितियों में क्या लोग सफल नहीं होते या अधिकारी नहीं बनते थे?. इस सवाल का बेहद शानदार जवाब दिया है बलिया कोषागार के डिप्टी कैशियर रामचंद्र जी है. बिजली की कमी, पैसों का अभाव, लालटेन और ढिबरी के सहारे पढ़ाई और खेती का पूरा काम जैसे तमाम समस्याओं का सामना करते हुए ये बड़ी उपलब्धि हासिल की है, खास तौर से आज के युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत है डिप्टी कैशियर रामचंद्र की सफल कहानी… कोषागार बलिया के डिप्टी कैशियर रामचंद्र ने लोकल 18 को बताया कि मैं गाजीपुर जिले का रहने वाला हूं. मैं बिल्कुल सामान्य परिवार का था. मेरे पिताजी एक छोटे से किसान थे. आगे पढें… गांव मे ऐसे शुरू हुई पढ़ाई डिप्टी कैशियर रामचंद्र ने बताया कि परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण मैंने गांव के ही प्राथमिक विद्यालय से पढ़ाई शुरू की. उस ज़माने में पेन, किताब और कॉपी बहुत कम होते थे, तो हम लोग  की पढ़ाई लकड़ी के पटरी पर होती थी. लकड़ी का कलम बनाकर दूधिया से लिखकर के पढ़ते थे. ग्रामीण परिवार में झोला लेकर पैदल पढ़ने जाते थे. उस समय गांव में बिजली न के बराबर रहती थी तो हम लोग लालटेन और ढिबरी जला करके पढ़ाई करते थे. मैं उस जमाने में गृह जनपद से ही स्नातक किया था. कई बार मिली असफलता… रामचंद्र ने बताया कि बीए की पढ़ाई के बाद मैं कई प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी शुरू की. मैने चिकित्सा विभाग और रेलवे की परीक्षा भी दी. मैंने तीन बार पीसीएस का परीक्षा दिया. एक बार सन 1996 में यूपीएससी का भी परीक्षा दिया लेकिन लगातार असफलता ही हाथ लगती रही. ऐसे हुआ चयन रामचंद्र ने आगे बताया कि हम लोगों के समय में मेरिट पर सलेक्शन हुआ करते थे. हम बात कर रहे हैं सन 1991 की जिले स्तर पर वैकेंसी निकली थी. इस दौरान मैंने पेपर में विज्ञापन पढ़ा था. जिसका एक पन्ना में गाजीपुर से फॉर्म भरा था. उस समय बलिया जिला अधिकारी के यहां हमारा इंटरव्यू हुआ. इतने संघर्ष के बाद मुझे ये बड़ी कामयाबी हासिल हुई और सलेक्शन हो गया. Tags: Ballia news, Local18, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : July 4, 2024, 13:21 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed