दृष्टिबाधित मां-बेटी की मार्मिक कहानी कपड़े के घर में रहने को मजबूर

Ballia News: बलिया में आज भी एक ऐसा परिवार है, जिसका आशियाना गंगा नदी के कटान में बह गया था. उस परिवार में अब एक दृष्टिबाधित महिला और उसकी बेटी रहती है. यह परिवार एक कपड़े के बनाए झोपड़ी में आज भी रहने को मजबूर है.

दृष्टिबाधित मां-बेटी की मार्मिक कहानी कपड़े के घर में रहने को मजबूर
सनन्दन उपाध्याय/बलिया: अजब दुनिया की गजब कहानी… कोई अपनों से हार गया तो किसी को प्रकृति ने हरा दिया. कहते हैं समय बड़ा बलवान होता है. अचानक कहां चला गया एक दृष्टिबाधित मां और बेटी की खुशियां. हम बात कर रहे हैं बलिया के एक ऐसे परिवार की, जिनकी जिंदगी में केवल अंधेरा ही अंधेरा बचा है. कभी इस दृष्टिबाधित मां और बेटी का भी अपना एक आशियाना हुआ करता था. जो गंगा नदी के कटान में विलीन हो गया. प्रशासन ने बताया है हाइवे के किनारे यहां लोगों का घर गंगा में विलीन होने के बाद लगभग 150 की आबादी को जिला प्रशासन ने NH-31 बलिया के सोहाव प्रखंड के अंतर्गत नई बस्ती में बसा कर भूल गया. जिसमें एक ऐसा भी परिवार है जिनकी स्थिति आज भी वैसी ही बनी हुई है. यह कोई स्टंट नहीं बल्कि एक दृष्टिबाधित मां और बेटी की मार्मिक कहानी की सच्चाई है. कपड़े का घर, खुला आसमान और ईंटे के चूल्हे पर खाने को क्या बनेगा, इसका कोई ठिकाना नहीं है. शायद इनकी सुध लेने वाला भी कोई नहीं है. सदर एसडीएम ने इस मामले में बताया सदर एसडीएम अत्रेय मिश्रा ने लोकल 18 को बताया कि यह मामला मेरे संज्ञान में नहीं था, ऐसे असहाय पीड़ित परिवार का हर संभव समस्या खत्म करने का प्रयास किया जाएगा. यह मामला अब उनकी संज्ञान में आया है, इसको वह खुद अपने स्तर से जांच कर इस परिवार का हर संभव मदद करेंगे. वहीं, बाढ़ कटान पीड़ित दृष्टिबाधित मां की बेटी कोमल ने बताया कि उनकी बूढ़ी मां को दोनों आंखों से और उसे एक आंख से दिखाई नहीं देता है. इस तरह से सड़क के किनारे प्रशासन द्वारा वह लोग बसाए गए हैं. आज 35 साल बीत गए, जिसमें 5 सालों से यहां कपड़े की झोपड़ी में रह रहे हैं. कोमल ने कहा कि वह लकड़ी बिनकर लाती है और ईंटा जोड़कर  खाना बनाती है. वह अपने परिवार के लिए एक झोपड़ी बनाने में असमर्थ हैं. परिवार में कोई नहीं बचा कोमल ने बताया कि उसके मां की तबीयत इधर कुछ खराब चल रही है. उसके पास पैसे नहीं हैं कि वह अपनी मां की इलाज करवा सके. वहीं, बारिश हो जाने के बाद घर में भोजन भी नहीं बन पाता है. इधर-उधर से मिल गया तो कुछ खाकर जीते हैं. कोमल ने कहा कि अब उनके परिवार में उसकी दृष्टि बाधित मां के सिवा कोई नहीं बचा है. बता दें कि इस परिवार की हालत कितनी नाजुक है आप यह वीडियो देखकर अनुमान लगा सकते हैं. लोगों की मदद से कटता है जीवन शायद इन लाचार और बेबस परिवार की सुध बुध लेने वाले समाजसेवियों की भी कमी पड़ गई है. बेटी ने बताया स्थिति खराब होने के कारण सुबह क्या बना शाम को क्या बनेगा, इसका कोई ठिकाना नहीं रहता है. आसपास के लोग आज 35 सालों से मदद करते आ रहे हैं, जिससे जान बची हुई है. भगवान दो रोटी का इंतजाम हमारे परिवार का सुबह-शाम जरूर कर देते हैं. Tags: Ballia news, Local18FIRST PUBLISHED : June 23, 2024, 10:21 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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