इस पेड़ का नाम क्यों पड़ा खूनी पीपल कई लोगों की गई थी जान जानिए वो डरावनी कह
इस पेड़ का नाम क्यों पड़ा खूनी पीपल कई लोगों की गई थी जान जानिए वो डरावनी कह
Khooni Ped ki Kahani: जानकार बताते हैं कि अंग्रेज जमाने में इस स्थान से मोहर्रम का जुलूस (Muharram ka Juloos) निकल रहा था. इसकी लटकती टहनियों की वजह से ताजिया निकल नहीं पा रही थी. इस वजह से लोगों ने पेड़ की डाल कटने की बात कही, जिसे लेकर समुदायों के बीच जमकर विवाद हुआ और फिर गोलियां चली. इस घटना के बाद से पेड़ा का नाम खूनी पेड़ (Khooni Ped) रखा गया.
बहराइच: खूनी पेड़, नाम सुनकर थोड़ी अजीब लग रहा होगा. लेकिन, बहराइच में एक पेड़ ऐसा है जिसका नाम खूनी पेड़ है. अब इसका नाम खूनी पेड़ क्यों है. इसके लिए आपको अंग्रेजों के जमाने में चलना पड़ेगा. आइए जानते हैं इस खूनी पेड़ का क्या किस्सा है.
पिपलेश्वर महादेव मंदिर खूनी पीपल के महंत ने बातचीत में जो बताया, जिसको सुनने के बाद आप भी दंग रह जाएंगे. दरअसल बात कुछ ऐसी है आजादी से पहले अंग्रेजों के शासन काल के दौरान मोहर्रम में अठाई को जुलूस निकला. इसमें लम्बी-लम्बी ताजिया, अलम शामिल थे. जो पीपल की डाली की वजह से रास्ते में ही रुक गए. ताजिया को झुका कर ले जाने की बात हुई. लेकिन सहमति नहीं बनी. लोग बोले हम अपनी आस्था को झुकने नहीं देगें और पेड़ काटने की बात होने लगी.
पेड़ काटने को लेकर विवाद
विवाद को बढ़ते देख अंग्रेजों ने बीच का रास्ता निकाला और बोले यहां पर रोड को खोद कर नीचे कर दिया जाए. इससे पेड़ भी नहीं कटेगा और ताजिया को भी नहीं झुकाना पड़ेगा. इतने में ही जुलूस में से ही मौजूद एक युवक डाल काटने के लिए पेड़ पर चढ़ गया. अंग्रेजी सिपाही ने गुस्से में कहा मारो-मारो और उसी भीड़ में से विशेष समुदाय द्वारा अंग्रेज की बंदूक झपटकर फायरिंग कर दी. फिर भगदड़ मच गई. इसके बाद से इस पेड़ का नाम खूनी पीपल पड़ गया.
पिपलेश्वर महादेव मंदिर में स्थित है खूनी पीपल
खूनी पीपल जो बहराइच के बीचोबीच स्थित मोहल्ला मीरा खेल पूरा निकट कबाबची गली के पास है. इसी स्थान पर आज भी मोहर्रम में घंटों तक मातम होता है. खूनी पीपल का इतिहास जानने की इच्छा हर वह इंसान रखता है, जो इस नाम को एक बार सुन लेता है. अब पिपलेश्वर महादेव मंदिर खूनी पीपल की देख रेख महंत श्री श्याम पांडे पिछले कई वर्षों से करते आ रहे हैं.
Tags: Bahraich news, Local18, UP newsFIRST PUBLISHED : July 30, 2024, 10:01 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed