खाना बनाने के लिए घर में अपनांए यह तरीका खर्च हो जाएगा शून्य
खाना बनाने के लिए घर में अपनांए यह तरीका खर्च हो जाएगा शून्य
किसान अशोक मोर्या ने बताया कि गाय के गोबर से जहां एक ओर भोजन बनाने के लिए गैस मिल जाता है. तीन गाय से 25 लोगों के परिवार का खाना आराम से बन जाता है. वहीं इस प्रक्रिया से निकलने वाला अवशेष भी खेतों के लिए बहुत फायदेमंद होता है. यह खेतों में फसलों के लिए खाद का काम करता है. इसको लगाने में खर्च भी बेहद कम है.
बहराइच. उत्तर प्रदेश के बहराइच में रहने वाले किसान अशोक मौर्या 25 लोगों के परिवार के साथ रहते हैं. परिवार का खाने की व्यवस्था करने में प्रति माह दो सिलेंडर का खर्च आता था. कभी-कभी तो एक माह में तीन सिलेंडर भी लग जाते थे. इसको देखते हुए अशोक मौर्या ने बायोगैस प्लांट( गोबर गैस) के बारे में सोचा और सोच को गोबर गैस प्लांट लगवाकर हकीकत में बदल दिया.
बायोगैस प्लांट लगवाने में उनका खर्चा मात्र 8 से 10 हजार का आया. इसमें किसान को आगा फाउंडेशन की मदद मिली है. जहां पहले एक माह में तीन गैस तक लग जाया करता था, वहीं अब 3 से 4 महीने में 1 गैस सिलिंडर इतना खर्च शायद ही आता है.
बायोगैस प्लांट लगाने से होता है डबल फायदा
अशोक मौर्या ने बताया कि बायोगैस प्लांट से एक दिन में कितना गैस तैयार होता है, इसका आकलन नहीं किया जा सकता है. लेकिन, बायोगैस से बनने वाले भोजन की बात करें तो प्रतिदिन 20 से 25 लोगों का भोजन बहुत ही आराम से बन जाता है. उन्होंने बताया कि गैस बनाने के लिए गोबर का होना आवश्यक है और गोबर के लिए गाय का रहना जरूरी है. उन्होंने बताया कि तीन गाय को पाल रहे हैं और तीनों गाय से प्राप्त होने गोबर से एक दिन में इस्तेमाल होने वाले गैस को आराम से बना लेते है. किसान अशोक मोर्या ने बताया कि गाय के गोबर से जहां एक ओर भोजन बनाने के लिए गैस मिल जाता है, वहीं इस प्रक्रिया से निकलने वाला अवशेष भी खेतों के लिए बहुत फायदेमंद होता है. यह खेतों में फसलों के लिए खाद का काम करता है.
कार्बनिक कचरे से तैयार होता है बायोगैस
बायोगैस यह एक अक्षय ईंधन है, जो जानवरों और पौधों से कार्बनिक कचरे के अवायवीय अपघटन से बनता है. इसे बनाने के लिए मवेशियों के उत्सर्जन पदार्थों को कम तापमान पर डाइजेस्टर में चलाकर माइक्रोब उत्पन्न किए जाते हैं. इस प्रक्रिया को एनारोबिक पाचन कहते हैं. इसमें सूक्ष्मजीव जैसे मीथेनोजेन्स और सल्फ़ेट-रिड्यूसिंग बैक्टीरिया अवायवीय श्वसन करते हैं. इस प्रक्रिया में अपशिष्ट पदार्थ को ऐसे वातावरण में बंद किया जाता है, जहां ऑक्सीजन ना हो. गोबर गैस में मुख्य रूप से मीथेन और कार्बन डाइऑक्साइड गैस होती है. मीथेन बायोगैस का एक प्रमुख घटक है. बायोगैस में 75 प्रतिशत मेथेन गैस होती है, जो बिना धुआं उत्पन्न किए जलती है.
Tags: Bahraich news, Local18, UP newsFIRST PUBLISHED : August 22, 2024, 13:13 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed