300 साल पुरानी इस कलाकृति की विदेशों में है डिमांड जानें कैसे होता है तैयार

ब्लैक पॉटरी आजमगढ़ के मुख्य व्यापार में से भी एक है, जो जिले राजस्व में सालाना 2 से 3 करोड़ रूपये का योगदान देती है. यहां बने हुए बर्तनों का 80 फीसदी हिस्सा विदेशों में एक्सपोर्ट किया जाता है. इसे जीआई टैग भी मिला हुआ है. पीएम ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दिए जाने वाले उपहारों की सूची में ब्लैक पॉटरी को शामिल किया है.

300 साल पुरानी इस कलाकृति की विदेशों में है डिमांड जानें कैसे होता है तैयार
आजमगढ़. यपी के आजमगढ़ की ब्लैक पॉटरी किसी पहचान की मोहताज नहीं है. निजामाबाद क्षेत्र में बनने वाली ब्लैक पॉटरी भारत में नहीं बल्कि पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है. शहर से करीब 15 किलोमीटर की दूरी पर ये काली मिट्टी के बने नक्काशीदार बर्तन पूरी दुनिया में आजमगढ़ को पहचान दिलाने का काम कर रहा है. निजामाबाद में बनाई जाने वाली ब्लैक पॉटरी की कला 300 साल पुरानी है. यह कला मुगल काल की सबसे खास कलाओं में से एक है, जिसे आजमगढ़ के कुम्हारों ने अभी तक जीवित रखा है. उन्होंने इसे केवल कला के रूप में ही नहीं बल्कि रोजगार के रूप में भी आगे बढ़ाया है. ऐसे बनाए जाते हैं ब्लैक पॉटरी के बर्तन वर्तमान में लगभग 250 कलाकार इस तरह के उत्पादों को बनाते हैं. ब्लैक पॉटरी बर्तनों के व्यापारी राजकुमार के अनुसार बर्तनों को बनाने के लिए तालाबों से सुखी मिटटी इकट्ठा की जाती है. अमूमन अप्रैल के माह में तालाबों के सूखने पर यह मिट्टी मिलती है. मिट्टी को अच्छे से साफ कर उसे पानी के साथ गूथा जाता है. उसके बाद उन्हें सांचों की मदद से अलग-अलग आकार में डाला जाता है. व्यापारी राजकुमार ने बताया कि कुछ बर्तनों को पहिए की मदद से भी आकर दिया जाता है. बर्तनों को आकार देने के बाद इन्हें धूप में सुखाया जाता है. इसके बाद भट्टी में पकाया जाता है. भट्टी में ऑक्सीजन ना होने के कारण इन बर्तनों का रंग काला हो जाता है और इसमें मजबूती भी आ जाती है. चमक बढ़ाने के लिए सरसों तेल का होता है उपयोग बर्तनों की चमक बढ़ाने के लिए सरसों का तेल भी लगाया जाता है. इन बर्तनों की सजावट के लिए जस्ता, चांदी का पाउडर और पारे का इस्तेमाल किया जाता है. इसके बाद बर्तन को अच्छे से पॉलिश कर के पूरी तरह से तैयार कर दिया जाता है. निजामाबाद के हुसैनाबाद को इस कला का सबसे बड़ केंद्र माना जाता है. यहां करीब 400 से अधिक परिवार ब्लैक पॉटरी के कारोबार में जुड़े हुए हैं. इन बर्तनों की नक्काशी में केवल पुरुष ही नहीं बल्कि घर की महिलाएं और बच्चे भी लगे हुए हैं. इन परिवारों के हजारों सदस्य के लिए ब्लैक पॉटरी की कला आय का मुख्य स्रोत है. जीआई टैग मिलने के बाद मिली अलग पहचान उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 2015 में ब्लैक पॉटरी को भौगोलिक सूचकांक (जीआई) टैग प्रदान किया गया था. साथ ही यह यूपी सरकार की एक जिला, एक उत्पाद (ओडीओपी) पहल के अंतर्गत भी आता है. दूर- दराज के मेलों में भी ब्लैक पॉटरी को प्रदर्शित किया जा रहा है. वहीं निजामाबाद के लोगों ने भी बर्तनों को बेचने के लिए बढ़िया दुकानें खोल ली है. इन बर्तनों को ऑनलाइन बिकने के लिए भी उपलब्ध करा दिया गया है. इन प्रयासों से अब निजामाबाद की आय भी बढ़ने लगी है. प्रधानमंत्री विदेशी राजदूतों को तोहफे में देते हैं ब्लैक पार्टी देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी वोकल फॉर लोकल मुहिम के तहत स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने के साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दिए जाने वाले उपहारों की सूची में ब्लैक पॉटरी को शामिल किया है. देश- विदेश से आने वाले मेहमानों एवं राजदूतों को ब्लैक पॉटरी उपहार के रूप में भी दिया जाता है. निजामाबाद के ब्लैक पॉटरी की मांग सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी है. ब्लैक पॉटरी का व्यापार आजमगढ़ के मुख्य व्यापार में से भी एक है जो आजमगढ़ के राजस्व में सालाना 2 से 3 करोड़ रूपये का योगदान देती है. यहां बने हुए बर्तनों का 80 फीसदी हिस्सा विदेशों में एक्सपोर्ट किया जाता है. Tags: Azamgarh news, Local18, UP news, Vocal for LocalFIRST PUBLISHED : September 1, 2024, 12:43 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed