अयोध्या में क्यों हारी बीजेपी बुजुर्ग अन्नपूर्णा देवी की कहानी से समझें
अयोध्या में क्यों हारी बीजेपी बुजुर्ग अन्नपूर्णा देवी की कहानी से समझें
Ayodhya News: रामनगरी में विकास और शहर के सौंदर्यीकरण की कीमत अयोध्यावासियों ने कैसे चुकाई है, इसका दर्द शायद सोशल मीडिया पर रील और मीम शेयर करने वाले नहीं समझे. वैसे तो यह एक कहानी है, जिसमें एक 65 साल की बुजुर्ग राम पथ के चौड़ीकरण की वजह से सड़कों पर भीख मांगने को मजबूर है.
हाइलाइट्स फैजाबाद लोकसभा सीट से बीजेपी की हार के बाद इसकी चर्चा सोशल मीडिया पर खूब हो रही है बीजेपी की हार पर अयोध्यावासी रील और मीम के निशाने पर है, उन्हें धिक्कारा जा रहा है
अयोध्या. रामनगरी अयोध्या की फैजाबाद लोकसभा सीट से बीजेपी की हार के बाद इसकी चर्चा सोशल मीडिया पर खूब हो रही है. बीजेपी की हार पर अयोध्यावासी रील और मीम के निशाने पर है. लेकिन रामनगरी में विकास और शहर के सौंदर्यीकरण की कीमत अयोध्यावासियों ने कैसे चुकाई है, इसका दर्द शायद सोशल मीडिया पर रील और मीम शेयर करने वाले नहीं समझे. वैसे तो यह एक कहानी है, जिसमें एक 65 साल की बुजुर्ग राम पथ के चौड़ीकरण की वजह से सड़कों पर भीख मांगने को मजबूर है. आप इस कहानी को सुनकर अफसरशाही की तानाशाही को शायद समझ सकें कि हार की एक वजह ये भी थी.
हम मिलाते हैं रामनगरी की एक बुजुर्ग महिला अन्नपूर्णा देवी अग्रवाल से जो 2023 तक खुशहाल जीवन यापन कर रही थी. रामलला ने ऐसी कृपा की कि 1990 से 20000 रुपए पगड़ी पर रामपथ पर उन्होंने दुकान ली, जहां पर बर्तन बेचने का काम करती थी. अपने परिवार के साथ खुशहाल जीवन यापन कर रही थी. 2019 में दुकान को उन्होंने खूबसूरती से सजाया और अपनी जमा पूंजी उस दुकान के सौंदर्यीकरण में लगा दी. इसके बाद कुदरत का कहर कोरोना के रूप में आया. देश ही नहीं दुनिया के लोगों ने बड़ी कीमत चुकायी. रामलला ने कोरोना का साया कम किया. लगा जीवन अब फिर से पटरी पर चलेगा, लेकिन रामपथ चौड़ीकरण में टूटी दुकान तो कल तक घर में बैठकर सकून की दो रोटी खाने वाली महिला आज भीख मांग कर खाने को मजबूर है.
रामपथ चौड़ीकरण में पूरी दुकान चली गई
प्रशासन के नुमाईंदों ने ऐसा दुख दिया कि वह दिल की मरीज भी हो गई. एक बेटा था, वह मानसिक रूप से विक्षिप्त हो गया. रामपथ चौड़ीकरण में पूरी दुकान चली गई, जो लगभग 25 फीट चौड़ी थी और मुआवजा मात्र एक लाख रुपए मिला. मकान मालिक ने भी तानाशाही की और उसने दोबारा वहां पर बुजुर्ग महिला अन्नपूर्णा को दुकान नहीं बनाने दिया. इसकी भी अपनी एक अलग कहानी है. रो-रो कर आप बीती बताती अन्नपूर्णा देवी अग्रवाल कहती हैं कि मकान मालिक के रिश्तेदार इलाहाबाद में एडीएम है. जिसकी वजह से जिला प्रशासन ने उनको दुकान नहीं बनाने दिया. ठेला लगाने पर नगर निगम के द्वारा उनके ठेले को हटाया गया. बेटा मानसिक अवसाद में चला गया तो मां हार्ट की मरिज हो गई. अब दोनों की ना तो दवा का पैसा है, ना भोजन की व्यवस्था है. सुबह मंदिरों से भोजन आता है तो शाम तक दोनों मां बेटे उसी को खाते हैं. यह कोई कहानी नहीं, कोई किस्सा नहीं, आप बीती है रामनगरी में रहने वाली राम भक्त बुजुर्ग अन्नपूर्णा देवी अग्रवाल की.
अयोध्या के सौंदर्यीकरण की भेंट चढ़ गई कई लोगों की खुशियां
दरअसल, इन दिनों सोशल मीडिया पर अयोध्या में बीजेपी प्रत्याशी के हारने के बाद एक ट्रेड चल रहा है जिसमें अयोध्या वासियों को कोसा और धिक्कारा जा रहा है. लेकिन सोशल मीडिया पर बैठे क्रांतिकारी अयोध्या के लोगों के दर्द से अनजान है. यह तो एक बानगी है, जब एक बुजुर्ग अन्नपूर्णा देवी अग्रवाल की कहानी सामने आई. ऐसे कई चेहरे और कई उदास जिंदगियां रामनगरी में है, जिनकी खुशियां अयोध्या के सौंदर्यीकरण की भेंट चढ़ गई. प्रशासन ने अन्नपूर्णा देवी अग्रवाल को दुकान के बदले दुकाने देने की पेशकश किया. उनकी दुकान का मुआवजा एक लाख दिया तो, दुकान खरीदने की कीमत 16 लाख रुपए लगा दी. एक गरीब के लिए इससे बड़ा दर्द कुछ नहीं हो सकता कि वह तिल तिल अपने आप को मरता देख रही है. लोगों की आंख का पानी खत्म हो गया हो, लेकिन अभी भी वह गुहार लगाने से नहीं थक रही है.
अयोध्या जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की तरफ आशा से देख रही हैं, उन्हें लगता है कि शायद फिर राम आ जाते और उनकी बिखरी जिंदगी को दोबारा से समेट कर सब कुछ ठीक कर देते. उनको दुकान मिल जाती. उनकी जीवका दोबारा से संचालित हो जाती, लेकिन अब देखना होगा कि किसी जनप्रतिनिधि या अफसर का दिल पसजीता है या नहीं. फिलहाल पिछले 1 साल से गुमनामी की जिंदगी बदहाली से जी रही हैं और अपनी ही दुकान का कबाड़ बेच करके अपना और अपने बेटे का इलाज करवा रही है.
Tags: Ayodhya News, UP latest newsFIRST PUBLISHED : June 11, 2024, 12:27 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed