क्या अयोध्या में सेना की जमीन को प्राइवेट बिल्डर खरीद सकता है
क्या अयोध्या में सेना की जमीन को प्राइवेट बिल्डर खरीद सकता है
क्या सेना की जमीन को प्राइवेट बिल्डर खरीद सकता है, और क्या जिला प्रशासन ने किसी को ऐसी जमीन दी है? इन सवालों के जवाब के लिए हमने अयोध्या के कमिश्नर गौरव दयाल से बात की, जिन्होंने इस मुद्दे पर विस्तार से जानकारी दी.
अयोध्या: उत्तर प्रदेश के अयोध्या में इन दिनों सेना की जमीन पर बिल्डरों द्वारा निर्माण किए जाने की चर्चा जोरों पर है. स्थानीय लोग आरोप लगा रहे हैं कि सरकार की मदद से प्राइवेट बिल्डर मनमानी कर रहे हैं. इस संदर्भ में सवाल उठता है कि क्या सेना की जमीन को प्राइवेट बिल्डर खरीद सकता है, और क्या जिला प्रशासन ने किसी को ऐसी जमीन दी है? इन सवालों के जवाब के लिए हमने अयोध्या के कमिश्नर गौरव दयाल से बात की, जिन्होंने इस मुद्दे पर विस्तार से जानकारी दी.
रियल एस्टेट विशेषज्ञों के अनुसार, सेना की जमीन खरीदना प्राइवेट बिल्डर्स के लिए एक जटिल और कठिन प्रक्रिया होती है. भारतीय सेना की जमीनें राष्ट्रीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण होती हैं, इसलिए इन्हें प्राइवेट संस्थाओं को सीधे बेचा नहीं जा सकता. कुछ विशेष परिस्थितियों में, जब सरकार किसी विशिष्ट योजना या परियोजना के लिए जरूरी समझती है, तो सेना की जमीन का हस्तांतरण किया जा सकता है. इसके लिए लंबी प्रक्रिया और विभिन्न नियम-कानूनों का पालन करना होता है.
कमिश्नर का बयान: कोई जमीन नहीं दी गई
अयोध्या के कमिश्नर गौरव दयाल ने स्पष्ट किया कि माझा जमथारा में सेना की या सरकारी जमीन किसी को नहीं दी गई है. जिस जमीन की बात हो रही है, वह राम मंदिर के पास स्थित पंचकोशी और 14 कोसी परिक्रमा मार्ग के पास है, जो सेना के प्रैक्टिस के लिए जाना जाता है. उन्होंने बताया कि इस इलाके में जल निगम का प्रोजेक्ट और रामलला पार्क सहित कई सरकारी योजनाएं संचालित हो रही हैं. कमिश्नर ने यह भी कहा कि सेना की कोई जमीन इस इलाके में नहीं है, और वहां की नजूल जमीन सरकार की है. इसके अलावा कुछ जमीन निजी काशकारों की है, लेकिन वहां किसी व्यावसायिक भवन का निर्माण नहीं किया जा सकता.
नियम और शर्तें: क्या कहता है कानून?
सरकारी अनुमति: सेना की जमीन बेचने या हस्तांतरित करने के लिए रक्षा मंत्रालय और केंद्र सरकार की अनुमति आवश्यक होती है. बिना इनकी मंजूरी के कोई डील संभव नहीं है. अगर जमीन का हस्तांतरण किया जा रहा है, तो यह सुनिश्चित किया जाता है कि वह किसी सार्वजनिक हित की परियोजना के लिए हो, जैसे सड़क निर्माण या रेलवे लाइन बिछाने.
निविदा प्रक्रिया: जमीन प्राइवेट बिल्डर को दी जा रही है, तो इसके लिए पारदर्शी निविदा प्रक्रिया का पालन जरूरी है. इससे सुनिश्चित होता है कि जमीन उचित मूल्य पर और पारदर्शी तरीके से बेची जा रही है.
विनियामक संस्थाएं: जमीन हस्तांतरण के लिए संबंधित राज्य सरकार और स्थानीय प्राधिकरणों की अनुमति भी जरूरी होती है. कई मामलों में, सेना के लिए नई भूमि का अधिग्रहण या पुनर्वास भी किया जाता है, ताकि उनके ऑपरेशन्स में कोई बाधा न आए.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
रियल एस्टेट विशेषज्ञों का मानना है कि सेना की जमीन खरीदना प्राइवेट बिल्डर्स के लिए आसान नहीं है. कानूनी और प्रशासनिक बाधाएं इतनी अधिक होती हैं कि अधिकांश बिल्डर्स इस दिशा में आगे बढ़ने से बचते हैं. अगर किसी बिल्डर को ऐसी जमीन खरीदने का मौका मिलता भी है, तो उसे सरकार द्वारा निर्धारित सभी नियमों का सख्ती से पालन करना होता है.
इसलिए, प्राइवेट बिल्डर्स के लिए सेना की जमीन खरीदने की प्रक्रिया न केवल सीमित होती है, बल्कि इसमें कड़ी शर्तों का पालन करना भी अनिवार्य है.
Tags: Local18, Ram Temple, Ram Temple AyodhyaFIRST PUBLISHED : August 22, 2024, 14:39 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed