विशाल भटनागर/ मेरठ: बेटियों में भी कुश्ती के प्रति काफी क्रेज देखने को मिल रहा है. जिस तरीके से पेरिस ओलंपिक गेम में भारत की बेटी विनेश फोगाट ने बेहतर प्रदर्शन किया था. उससे पूरी संभावना थी कि यह बेटी गोल्ड लाकर एक नया इतिहास रचेगी. लेकिन कुछ टेक्निकल कारण से यह सपना पूरा नहीं हो पाया. इसी सपने को पूरा करने के लिए चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय परिसर में संचालित रुस्तम ए जमा दारा कुश्ती स्टेडियम में प्रतिदिन बेटियां कुश्ती से संबंधित प्रशिक्षण हासिल करते हुए दखाई देंगी. जिनका अब एक ही सपना है ओलंपिक में भारत को गोल्ड दिलाना. ऐसी कुछ बेटियों से लोकल-18 की टीम द्वारा खास बातचीत की गई.
ओलंपिक में मेडल लाना है लक्ष्य
स्टेडियम में कुश्ती की प्रैक्टिस कर रही कुश्ती खिलाड़ी खुशी ने लोकल-18 से खास बातचीत करते हुए कहा कि उनका सपना ओलंपिक में गोल्ड मेडल लाने का है. उन्होंने कहा जिस तरीके से विनेश फोगाट दीदी ओलंपिक नियम के कारण लास्ट टाइम से बाहर हुई है. उससे कहीं ना कहीं मन में उदासी है. लेकिन वह इस उदासी को आने वाले समय में गोल्ड मेडल लाकर दूर करेंगी. इसी तरह से खुशबु कहती हैं कि पिछले कई सालों से यहां पर प्रैक्टिस कर रही है. राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर की कई चैंपियनशिप में वह गोल्ड मेडल ला चुकी है. लेकिन उन सभी का सपना यही है कि ओलंपिक में भारत को गोल्ड दिलाकर एक नया इतिहास रचा जाए.
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पहलवानी में बेटों को भी कर देती है चित
भले ही पहलवानी को सिर्फ पुरुषों का गेम माना जाता हो, लेकिन अब महिलाएं जिस तरह कुश्ती में प्रदर्शन कर रही हैं, उनके सामने पुरुष पहलवान भी नहीं टिकते. जिसका नजारा विश्वविद्यालय के स्टेडियम में भी देखने को मिलता है. जब बेटे बेटियों में कुश्ती होती है, तब बेटियां दांव पेंच के माध्यम से कुश्ती के गद्दे पर बेटों को चित करते हुए दिखाई देती हैं. बेटियां भी कहती है हम बेटों से कम थोड़ी ना हैं.
बेटियों में बढ़ रहा है काफी क्रेज
चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय परिसर में संचालित रुस्तम ए जमा दारा कुश्ती स्टेडियम में वर्ष 1983 से कुश्ती सिखाते आ रहे कुश्ती कोच जवर सिंह सोम ने बताया कि 1998 के बाद से बेटियों में कुश्ती के प्रति काफी क्रेज देखने को मिला है. वह कहते हैं कि एक दौर था कि जब बेटियों को कुश्ती सिखाने से माता-पिता परहेज करते थे. लेकिन अर्जुन अवार्डी अलका तोमर ने जिस तरीके से गेम में परफॉर्म किया. उसके बाद से मेरठ के गढ़ रोड के सिसौली नगलामल, नगला कपूरपूर, माछरा सहित विभिन्न गांव से बेटियां कुश्ती सीख रही हैं.यही नहीं वह बताते हैं कि स्टेडियम में अब तक का रिकॉर्ड है. यहां से बबीता, पूजा, रजनी, खुशी, प्रीति सहित 25 बेटियों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मेडल हासिल किए. जबकि बेटों के नाम सिर्फ तीन है.
बताते चले मेरठ का यह स्टेडियम एक बड़ा केंद्र बन चुका है. जहां देश भर से बेटे बेटियां कुश्ती सीखने के लिए यहां पहुंचते हैं. 8 साल की उम्र से ही आप बेटियां आपको कुश्ती सिखाते हुए दिखाई देगी. क्योंकि कुश्ती नियम के अंतर्गत खिताब होता है. वह 15 साल की उम्र में खेला जाता है.
Tags: Hindi news, Local18FIRST PUBLISHED : August 12, 2024, 11:32 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed