कैसे सियासी ट्रैप में फंसी है JDU BJP और RJD नहीं संभले तो हो जाएगा खेला!

Rupauli by-election side efect: रुपौली में सवर्ण वोटर का बड़ा तबका बीजेपी से छिटक गया जिसे बीजेपी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. वहीं, जदयू उम्मीदवार के अति पिछड़ा होने के बावजूद अति पिछड़े वोटरों में भी आसानी से सेंध लगती दिखी और अति पिछड़ों की बड़ी आबादी निर्दलीय उम्मीदवार की तरफ झुकती दिखी.

कैसे सियासी ट्रैप में फंसी है JDU BJP और RJD नहीं संभले तो हो जाएगा खेला!
हाइलाइट्स रुपौली विधानसभा उपचुनाव परिणाम ने जदयू, भाजपा राजद को दिया बड़ा झटका. विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर रणनीतिक पसोपेश में बिहार के तीनों प्रमुख दल. पटना. रुपौली विधान सभा उपचुनाव परिणाम ने सत्तारूढ़ दल जदयू को झटका तो दिया ही है साथ ही साथ आरजेडी और बीजेपी के लिए भी चुनाव परिणाम किसी बड़े झटके से कम नहीं है. इसके साथ ही तीनों दलों के लिए एक बड़ा संकेत छिपा है जिसे अगर समय रहते समझा नहीं गया और इस सियासी मसले को सुलझाया नहीं गया तो 2025 में होने वाले विधान सभा चुनाव में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है. दरअसल, रुपौली विधान सभा उपचुनाव परिणाम आने के बाद निर्दलीय उम्मीदवार शंकर सिंह के जीत हुई तो कई पक्षों को सियासी शॉक लग गया और हलचल मच गई. उसके बाद ये बहस तेज हो गई है कि शंकर सिंह की जीत का मतलब है कि एनडीए और महागठबंधन के वोट बैंक में बड़ी सेंघ लग गई है, जिसे लेकर बिहार के सियासी हलके में चर्चा तेज हो गई है. दरअसल इस चर्चा के पीछे राजद, जदयू और भाजपा के आधार मतों में सेंधमारी को एक बड़ा कारण माना जा रहा है. राजद की प्रत्याशी बीमा भारती और जदयू के उम्मीदवार रहे कलाधर मंडल गंगोता जाति से आते हैं. रुपौली विधानसभा क्षेत्र में इस जाति के मतदाताओं की आबादी सबसे अधिक है. गंगोता समुदाय की आबादी 70 हजार से अधिक, वहीं कुर्मी और कोयरी यानी लव-कुश समुदाय के मतदाता 35 से 45 हजार के करीब हैं. इसके साथ ही सबसे अधिक मुस्लिम-यादव (M-Y समीकरण) के करीब 70 हजार मतदाता हैं. इसमें मुस्लिम मतदाता 45 से 50 हजार तो यादव 15 से 20 हजार हैं. जाहिर तौर पर ये दोनों, यानी मुस्लिम और यादव विनिंग फैक्टर के तौर पर देखे जा रहे थे. मतदाताओं की तादाद और हिस्सेदारी का सवाल इसके अतिरिक्त वैश्य मतदाताओं की संख्या 25 से 30 हजार और जबकि सवर्ण वोटरों की तादाद भी 25 से 30 हजार के करीब है. वहीं, प्रत्याशियों के मिले मतों पर गौर करें तो निर्दलीय प्रत्याशी शंकर सिंह को 67, 779 वोट मिले, जबकि जदयू प्रत्याशी कलाधर मंडल ने 59, 568 मत प्राप्त किये. सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि राजद प्रत्याशी बीमा भारती के पक्ष में केवल 30,108 वोट पड़े. साफ है कि सबसे बड़ा झटका राजद को लगा क्योंकि मुस्लिम यादव से लगभग 70 हजार मतों में आधे मत भी बीमा भारती को नहीं मिले. बीमा भारती को जो मत मिले होंगे इनमें उनकी स्वजातीय गंगौता मतदाताओं का समर्थन अधिक होगा. वहीं, अन्य जातियों के समर्थन की बात तो दूर की कौड़ी रही. राजद के साथ जदयू-भाजपा के लिए बड़ा झटका दूसरे स्थान पर रहने वाले कलाधर मंडल अपने प्रतिद्वंदी से करीब 8 हजार मतों से पीछे थे और उन्हें लगभग 60 हजार मत मिले. साफ है कि राजद की तुलना में जदयू की स्थिति बेहतर रही, लेकिन नीतीश कुमार की करीबी मानी जाने वाली मंत्री लेसी सिंह का प्रभाव क्षेत्र रहते हुए भी राजपूत मतों की शंकर सिंह की ओर गोलबंदी जदयू के लिए बड़ा झटका रहा. जबकि, मुस्लिम मतों का 60 प्रतिशत से अधिक हिस्सा शंकर सिंह के पक्ष में जाना राजद और जदयू दोनों को चौंका गया. साफ है कि रुपौली में शंकर सिंह की जीत को लेकर कहा जा रहा है कि एनडीए की दो प्रमुख पार्टी बीजेपी और जेडीयू के कोर वोटर में बड़ी सेंघ लग गई है. जदयू-राजद से इतर विकल्प खोजते मुस्लिम वोटर ! रुपौली में सवर्ण वोटर का बड़ा तबका बीजेपी से छिटक गया जिसे बीजेपी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. वहीं, जदयू उम्मीदवार के अति पिछड़ा होने के बावजूद अति पिछड़े वोटरों में भी आसानी से सेंध लगती दिखी और अति पिछड़ों की बड़ी आबादी निर्दलीय उम्मीदवार की तरफ झुकती दिखी. जाहिर है अति पिछड़ा वोटर पर एनडीए ख़ासकर जदयू बड़ा दावा करती है, लेकिन जिस तरह से अति पिछड़ा वोटर का बिखराव हुआ है उससे जदयू को भी आने वाले विधानसभा चुनाव में अति पिछड़ा वोटर को अपने पाले में फिर से करने लिए पूरी ताकत लगानी होगी जो आसान नहीं है. वहीं, कुछ ऐसे ही हालात आरजेडी के लिए भी हैं जिसके मुख्य वोट बैंक माने जाने वाले मुस्लिम वोटरों ने रुपौली में बड़ा झटका दे दिया है. जदयू से छिटके कुशवाहा तो राजद से छूट रहे मुस्लिम! मुस्लिम आबादी ने निर्दलीय उम्मीदवार के साथ साथ कुछ कुछ वोट जदयू को भी दे दिया है जो आरजेडी के लिए मुस्लिम वोट बैंक को लेकर चिंता बढ़ा सकती है. दरअसल, बिहार में हर राजनीतिक पार्टी का कोई ना कोई खास वोट बैंक माना जाता है. आरजेडी का MY समीकरण , जदयू का लव कुश और अति पिछड़ा. लेकिन, इस वोट बैंक में लोकसभा में कुशवाहा में पहले ही सेंध लग चुका है और अब अति पिछड़ा वोटर में भी सेंघ लग चुका है. बीजेपी का सवर्ण के साथ साथ वैश्य वोट बैंक प्रमुख तौर पर माना जाता है, लेकिन रुपौली में बीजेपी के दोनों प्रमुख वोट बैंक में सेंध लग गई है. Tags: Chief Minister Nitish Kumar, CM Nitish Kumar, Lalu Prasad Yadav, Lalu Yadav NewsFIRST PUBLISHED : July 16, 2024, 16:21 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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