नीतीश के मंत्री ने भूमिहार पर क्या कहा कि बिहार की राजनीति में उबाल आ गया
नीतीश के मंत्री ने भूमिहार पर क्या कहा कि बिहार की राजनीति में उबाल आ गया
Bihar News: जाति है की जाती नहीं... बिहार की राजनीति की बड़ी हकीकत जातिवाद है और इस बात में कोई दो राय भी नहीं है. खास बात यह कि जातिवाद समाजिक रूप से ऊपर के तबके से लेकर अंतिम पायदान तक खड़े व्यक्ति पर भी गहरा असर करता है. कई नेता समानता की बातें करते हुए भी जाति के जंजाल में उलझे हुए हैं. ताजा मामला नीतीश सरकार के मंत्री अशोक चौधरी के नये बयान का है जो उन्होंने भूमिहार जाति को लेकर दिया है. अब बिहार की राजनीति में इस पर बवाल शुरू हो गया है.
राजीव रंजन विमल/जहानाबाद. नीतीश सरकार में मंत्री अशोक चौधरी ने जहानाबाद में जनता दल यूनाइटेड के क्षेत्रीय कार्यालय के उद्घाटन के दौरान भूमिहार जाति पर तीखा बयान देकर न सिर्फ विवाद खड़ा किया है, बल्कि बिहार की राजनीति में उबाल ला दिया है. उन्होंने कहा मैं भूमिहार जाति को अच्छे से जानता हूं जब लोकसभा चुनाव हुआ तो इस जाति के लोग नीतीश कुमार का साथ छोड़कर भाग गए. अशोक चौधरी ने आगे कहा कि अगर किसी उम्मीदवार ने किसी के दरवाजे पर दो-तीन बार दस्तक दी तो भी वह खराब माना जाता है, जबकि अगर वही उम्मीदवार भूमिहार जाति का हो और उसने यह काम कभी ना किया हो तो उसे अच्छा माना जाता है. अशोक चौधरी ने लोकसभा चुनाव में जनता दल युनाइटेड के उम्मीदवार चंदेश्वर चंद्रवंशी को भूमिहार समुदाय का समर्थन न मिलने के संदर्भ में बात कर रहे थे.
अशोक चौधरी ने कहा कि नीतीश कुमार ने भूमिहारों के गांव में सड़कें बनवाईं, लेकिन जब अति पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवार को टिकट दिया तो भूमिहारों ने समर्थन देने से हाथ खींच लिया. अशोक चौधरी ने लोकसभा चुनाव के दौरान पार्टी प्रत्याशी का विरोध करने वाले भूमिहार नेताओं को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि जब पार्टी ने सिंबल दे दिया तो फिर विरोध किस बात का? मंत्री ने कहा कि आने वाले विधान सभा चुनाव में ऐसे लोगों को पार्टी अहमियत नहीं देगी जो लोकसभा चुनाव के दौरान दिल्ली और मुंबई घूम रहे थे. भड़ास निकालते हुए चौधरी ने कहा कि वे जहानाबाद को और भूमिहार को खूब जानते हैं, उनकी तो बेटी की शादी भी भूमिहार जाती में हुई है.
अशोक चौधरी ने अपने बयान से जो भी संकेत देने का इशारा किया हो लेकिन इससे राजनीतिक माहौल जरूर गर्म हो गया है. आगे पढ़िये गुरुवार को जदयू कार्यकर्ता सम्मेलन में कही गई उनकी पूरी बात. अशोक चौधरी ने अपने संबोधन में कहा, नीतीश कुमार मेरा अभिमान. हम नतीश कुमार जनता दल यूनाइटेड के सिपाही हैं. नीतीश कुमार ने पूरी तरह से बिहार को बदलने का काम किया है, लेकिन कुछ लोग जात-पात की राजनीति करके नीतीश कुमार के साथ जहानाबाद में जो किया वह क्या उचित है. भूमिहार के गांव में जाते तो लोग भाग जाते हैं कि हम लोग वोट नहीं देंगे. काहे नहीं दीजिएगा भाई, काम तो आपके यहां भी हुआ है .अभिराम शर्मा और राजीव जी को छोड़कर हम कोई बड़ा भूमिहार के नेता नहीं देखेंगें जो वोट मांगने के लिए हैं.
अशोक चौधरी ने आगे कहा, भाई हम लोग किसी दरवाजे दरवाजे घूमते थे तो सब कहते थे कि चंद्रेश्वर चंद्रवंशी जी को वोट नहीं देंगे. आपका उम्मीदवार (भूमिहार) चार-चार बार जीतेगा. आपका उम्मीदवार भूमिहार होगा, खराब होगा और काम नहीं हो करेगा तो भी जीतेगा. मेरा उम्मीदवार तीन-तीन चार-चार बार दरवाजे पर गया तब कहिएगा हम वोट नहीं देंगे. ऐसी राजनीति हो तो ठीक नहीं है. राजनीतिक करना है तो उसूल की साथ राजनीति करें, राजनीति करें तो वजूद के साथ राजनीतिक मुद्दों पर राजनीतिक हमारा नेता ने जब निर्णय कर लिया तो हम उसे आदमी के साथ खड़े हैं, खराब है चाहे अच्छा हो. विरोध आप सिंबल लेने के पहले कर सकते हैं, लेकिन सिंबल देने के बाद विरोध नहीं कर सकते हैं. इसका मतलब है कि आप नेता के अनुशासन से नहीं चलते हैं. आज नीतीश ने हमको मंत्री बनाया और कल हमको मंत्री इस पद से हटा देगें तब नीतीश कुमार के खिलाफ बोलने लगेंगे तब फिर मेरा क्या उसूल रहा.
अशोक चौधरी ने आगे कहा, जो सिर्फ पाने की राजनीति में नीतीश कुमार जी के साथ रहते हैं, वैसे नेताओं को हम आगाह करना चाहते हैं. अभी जीवन भर हम आपके साथ हैं, लेकिन आपको कुछ नहीं मिला तो नीतीश जी को हम लोग गाली देने लगे. हम लोगों को ऐसे नेताओं की जरूरत नहीं है. हम लोगों को वैसा नेता और कार्यकर्ता चाहिए जो दुख सुख में नीतीश जी के साथ मजबूती के साथ खड़े रहें. हम कार्यकर्ताओं से कहना चाहते हैं कि हम कोई विदेश से नहीं आए हैं. हम भी जहानाबाद विधानसभा से आए हैं, मेरे पिताजी 52 और 57 में जहानाबाद के घोसी से एमएलए हुए थे. हम भूमिहारों को भी अच्छी तरह जानते हैं और मेरी बेटी का तो ब्याह है भूमिहार से हुआ है, इसलिए और बढ़िया से जानते हैं.
अशोक चौधरी ने कहा कि इसलिए राजनीति जब करनी है तो राजनीति अपनी जगह है और व्यक्तिगत रिश्ते अपनी जगह पर है. नेता अपनी जगह पर हैं. जब नेता के साथ हैं तो पूरी शिद्दत के साथ पूरी ईमानदारी से और पूरा हम प्रयास करेंगे. मेरा प्रयास कामयाब नहीं हुआ कोई बात नहीं. कम से कम हम अपनी आंख के सामने ग्लानी तो महसूस नहीं करेंगे. हम अपने नेता के निर्णय के साथ रहेंगे. जो लोग कोलकाता, दिल्ली मद्रास घूम रहे थे और जो लोग चाहते हैं कि हम नेता के कंधे पर चढ़के विधानसभा पार करेंगे तो ऐसा नहीं होगा. हम आप सब से इतना ही कहेंगे कि पूरी मदद करके पूरी शिद्दत के साथ नीतीश कुमार का साथ दीजिये.
अशोक चौधरी ने आगे कहा, नीतीश जी ने कभी जीत जात के नाम पर राजनीति नहीं की है. नीतीश कुमार ने कभी धर्म के नाम पर राजनीति नहीं की है. नीतीश कुमार ने कभी भी जात के नाम पर राजनीति नहीं की, नीतीश कुमार ने कभी भी धर्म के नाम पर राजनीति नहीं की. यह बिहार 118 नरसंहार का राज्य था. नीतीश कुमार को जब यह बिहार मिला था तो पूरा जहानाबाद, मध्य बिहार, गया पूरी तरह से जातीय उन्माद में डूबा हुआ था. वैसे हालत में बिहार का नेतृत्व नीतीश कुमार को मिला था. पूरे तरह से बिहार में नक्सली गतिविधि चरम पर थी, लेकिन नीतीश कुमार के 18 साल के कार्यकाल में एक भी जातीय नरसंहार का एक छींटा तक नहीं पड़ा है.
FIRST PUBLISHED : August 31, 2024, 11:00 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed