किशोर कुणाल की वो कहानी जिसे आप भी जानिए सुरेंद्र किशोर ने बताया रोचक किस्सा

Kishore Kunal Death: सुरेंद्र किशोर बताते हैं कि मुझे पत्रकार के रूप में सन 1983 में कुणाल साहब के संपर्क में आने का अवसर मिला था. तब मैंने और मेरे पत्रकार मित्र परशुराम शर्मा ने बॉबी हत्या कांड की खबर दी थी. वह एक ऐसा सनसनीखेज कांड था, जिसकी रिपोर्टिंग करके हमने भारी खतरा मोल लिया था. लेकिन, कुणाल साहब ने उस केस को आगे बढ़ाकर हमें किसी खतरे से मुक्त कर दिया था.

किशोर कुणाल की वो कहानी जिसे आप भी जानिए सुरेंद्र किशोर ने बताया रोचक किस्सा
हाइलाइट्स महावीर मंदिर न्यास समिति के सचिव पूर्व आईपीएस आचार्य किशोर कुणाल ने दुनिया को अलविदा कह दिया है. पत्रकार सुरेंद्र किशोर महावीर मंदिर न्यास समिति के सचिव पूर्व आईपीएस आचार्य किशोर कुणाल से मर्माहत हैं पद्मश्री पत्रकार सुरेंद्र किशोर ने आचार्य किशोर कुणाल से जुड़े एक काफी रोचक किस्से का जिक्र किया है. पटना. देश के जाने-माने पत्रकार और पद्मश्री से सम्मानित जर्नलिस्ट सुरेंद्र किशोर महावीर मंदिर न्यास समिति के सचिव पूर्व आईपीएस आचार्य किशोर कुणाल से मर्माहत हैं. सुरेंद्र किशोर ने आचार्य किशोर कुणाल को लेकर अपनी भावनाएं प्रकट करते हुए उनसे जुड़े एक काफी रोचक किस्से का जिक्र किया है. सुरेंद्र किशोर ने कहा कि ऐसा लगता है कि ईश्वर जिस पर खुश होता है. उसे जल्द ही अपने पास बुला लेता है. किशोर कुणाल के असमय-आकस्मिक निधन से हतप्रभ और मर्माहत हूं. सुरेंद्र किशोर ने अपने समय के बेहद चर्चित एक घटना का जिक्र कर किशोर  कुणाल के व्यक्तित्व के बारे में एक ऐसी कहानी बताई जो IPS किशोर कुणाल के कर्तव्यपरायणता और कड़क पुलिस अधिकारी के बारे में बताता है. सुरेंद्र किशोर बताते हैं कि मुझे पत्रकार के रूप में सन 1983 में कुणाल साहब के संपर्क में आने का अवसर मिला था. तब मैंने और मेरे पत्रकार मित्र परशुराम शर्मा ने बॉबी हत्या कांड की खबर दी थी. तब मैं दैनिक आज और परशुराम जी दैनिक प्रदीप में काम करते थे. वह एक ऐसा सनसनीखेज कांड था, जिसकी रिपोर्टिंग करके हमने भारी खतरा मोल लिया था. लेकिन, कुणाल साहब ने उस केस को आगे बढ़ाकर हमें किसी खतरे से मुक्त कर दिया था. सुरेंद्र किशोर ने कहा कि यदि उस समय पटना के वरीय एसपी के पद पर किशोर कुणाल नहीं होते तो राजनीतिक रूप से वह अत्यंत संवेदनशील कांड दबा दिया जाता और गलत खबर देने का आरोप हम पर लगाया जा सकता था. उस हत्याकांड को लेकर श्वेतनिशा त्रिवेदी उर्फ बॉबी की उप माता राजेश्वरी सरोज दास तक भयवश पुलिस से शिकायत करने को तैयार नहीं थीं, क्योंकि उस कांड में प्रत्य़क्ष-परोक्ष रूप से बड़ी-बड़ी हस्तियों के नाम आ रहे थे. सीनियर जर्नलिस्ट सुरेंद्र किशोर कहते हैं कि ऐसे मामले में कोई प्राथमिकी न हो. पुलिस को कोई सूचना न हो फिर भी खबर छाप देना बड़ा जोखिम भरा काम था. फिर भी हम दो संवाददाताओं ने तय किया कि यह खतरा उठाया जाये. मई, 1983 में आज और प्रदीप में एक साथ वह सनसनीखेज खबर छपी. मेरी खबर के साथ ‘आज’ का शीर्षक था- ‘बॉबी की मौत से पटना में सनसनी’. चूंकि आज का प्रसार अपेक्षाकृत अधिक था. इसलिए इस स्टा्ररी ब्रेक को लेकर मेरा नाम अधिक हुआ. हालांकि हम दोनों पत्रकारों का समान योगदान था. इस कांड के फॉलो -अप रिपोर्टिंग में परशुराम जी और आज के अवधेश ओझा ने शानदार काम किये थे. हत्या की खबर छपते ही दोनों अखबारों की खबरों को आधार बना कर पटना पुलिस ने सचिवालय थाने में अप्राकृतिक मौत का केस दर्ज किया और जांच शुरू कर दी. सुरेंद्र किशोर ने बताया कि ईसाई कब्रगाह से बॉबी की लाश निकाली गई. पोस्टमार्टम कराया गया. वेसरा में जहर पाया गया. दो चश्मदीदों का बयान मजिस्ट्रेट के समक्ष कराया गया. जांच जब निर्णायक दौर में पहुंचने लगी तो इस केस को सीबीआई (CBI) के हवाले कर दिया गया, क्योंकि बड़ी हस्तियां फंस रही थीं. इस केस के महत्व को बताते हुए सुरेंद्र किशोर बताते हैं कि उच्चत्तम स्तर से हुए हस्तक्षेप के कारण सीबीआई ने मामला रफादफा कर दिया. लेकिन, लोग तो बात समझ ही गये. उस बीच भारी दबाव की परवाह किये बिना कुणाल ने अत्यंत विपरीत परिस्थितियों में भी अपनी ड्यूटी निभाई. Tags: Bihar news today, Patna News Update, The Untold StoryFIRST PUBLISHED : December 30, 2024, 13:16 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed