पर्दे के पीछे से किया गिरिराज को आगे नीतीश के लिए खतरा बनेगी भाजपा
पर्दे के पीछे से किया गिरिराज को आगे नीतीश के लिए खतरा बनेगी भाजपा
Bihar Chunav: बिहार में अगले साल विधानसभा चुनाव होना है. इसको लेकर अभी से राजनीतिक गोटियां बिछनी शुरू हो गई हैं. बीजेपी के दिग्गज नेता और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह फ्रंट फुट पर राजनीतिक बैटिंग कर रहे हैं.
बिहार में चुनाव अभी करीब एक साल दूर है, लेकिन पार्टियां माहौल बनाने में अभी से जुट गई हैं. इसी कड़ी में बेगुसराय से भाजपा सांसद और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ‘हिंदू स्वाभिमान यात्रा’ निकालने जा रहे हैं. इस यात्रा को लेकर राज्य में राजनीतिक घमासान मचा हुआ है. ऐसा घमासान कि बीजेपी इससे पल्ला झाड़ कर अलग हो गई है. फिर भी, सहयोगी जदयू हमलावर है. विपक्षी राजद व अन्य पार्टियां तो हमलावर होंगी ही.
गिरिराज की ‘हिंदू स्वाभिमान यात्रा’ 18 अक्टूबर को भागलपुर से शुरू होकर 19 को कटिहार, 20 को पूर्णिया, 21 को अररिया और 22 को किशनगंज पहुंचेगी. भागलपुर वह शहर है, जहां 1989 का खौफनाक सांप्रदायिक दंगा हुआ था. यह दंगा भी भाजपा की एक यात्रा के दौरान ही भड़का था. यह यात्रा अयोध्या में राम मंदिर के लिए शिला पूजन के उद्देश्य से निकाली गई थी.
संभवत: यही वजह है कि गिरिराज सिंह ने यात्रा की शुरुआत के लिए भागलपुर का चयन किया है. उन्होंने यात्रा के अंतिम पड़ाव के रूप में जिस किशनगंज को चुना है, वह बिहार की सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाला जिला है. इससे गिरिराज की इस यात्रा का मकसद साफ समझा जा सकता है. और, यही वजह है कि भाजपा की सहयोगी जदयू इस यात्रा के विरोध में है. लेकिन, गिरिराज सिंह को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता.
गिरिराज सिंह ने अपनी पहचान एक कट्टर हिंदूवादी नेता की बनाई है. वह लगातार मुस्लिमों को निशाने पर लेकर बयान देते ही रहते हैं. उन्होंने इसे ही अपनी राजनीति का यूएसपी बनाया है. कुछ महीने पहले हुए लोकसभा चुनाव में सत्ता विरोधी लहर के बावजूद बेगुसराय में उन्हें मिली लगातार जीत से इस बात में उनका यकीन और पक्का हुआ है कि उन्हें ऐसी राजनीति रास आ रही है. लेकिन, अब वह जब खुले आम अपनी इस तरह की राजनीति को बेगुसराय से बाहर विस्तार दे रहे हैं तो जदयू चिंतित हो गया है.
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जदयू की मजबूरी
जदयू नहीं चाहता कि उसके ऊपर भाजपा की कट्टर हिंदूवादी वाली छवि का साया भी पड़े. साल 2014 में नीतीश कुमार ने इसी आधार पर नरेंद्र मोदी को भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किए जाने के विरोध में एनडीए से नाता तोड़ दिया था. तब से अब तक उसने कई बार भाजपा से नाता जोड़ा और तोड़ा, पर अब उसके लिए नाता तोड़ने का विकल्प भी आसान नहीं रह गया.
नीतीश कुमार ‘पलटू राम’ की अपनी छवि बदलने की पुरजोर कोशिश में लगे हैं. वह बार-बार लोगों को भरोसा दिला रहे हैं कि अब नहीं पलटेंगे. 16 अक्टूबर को बरारी (कटिहार) में भी उन्होंने जनता को भरोसा दिलाते हुए यह बात दोहराई और कहा कि दो बार गलती से इधर-उधर चला गया था, पर अब ऐसा कभी नहीं करेंगे. बता दें कि गिरिराज सिंह की हिंदू स्वाभिमान यात्रा का पड़ाव कटिहार भी है.
ऐसी सूरत में जदयू को भाजपा से नाता तोड़ने का बहुत बड़ा राजनीतिक नुकसान उठाना पड़ सकता है. साथ ही व्यक्तिगत रूप से नीतीश कुमार को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा. राजनीतिक जीवन के अंतिम चरण में ऐसा करने पर उनके लिए ‘पलटू राम’ का लेवल हटा पाना असंभव हो जाएगा.
भाजपा की चाल
जदयू की नाराजगी से बचने और विपक्ष को हमले के लिए बैठे-बिठाए नया मुद्दा नहीं पकड़ा देने के उद्देश्य से भाजपा ने गिरिाज सिंह की यात्रा से पल्ला झाड़ लिया है. बिहार भाजपा प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप जायसवाल ने कहा कि उन्हें इस यात्रा के बारे में कोई जानकारी नहीं है. उन्होंने इस गिरिराज की व्यक्तिगत यात्रा करार दिया और कहा कि जो भी इसमें शामिल होगा वह व्यक्तिगत हैसियत से होगा.
एक तीर से दो शिकार
गिरिराज सिंह केंद्र में मंत्री हैं और भाजपा बिहार के साथ-साथ केंद्र की सत्ता में भी है. ऐसे में गिरिराज सिंह की इस यात्रा पर विपक्षी पार्टियां केंद्रीय स्तर पर भी भाजपा को घेरेंगी. पर, भाजपा ने हिंदू स्वाभिमान यात्रा से पल्ला झाड़ कर एक तीर से दो शिकार किए हैं. जहां, उसने विपक्ष के संभावित हमले से अपने को सुरक्षित करने की कोशिश की है, वहीं उसका राजनीतिक हित भी सध जा रहा है.
होना तो यह चाहिए था कि भाजपा गिरिराज सिंह को यात्रा निकालने से रोक देती. लेकिन, बिहार भाजपा का कहना है कि उसे यात्रा के बारे में कुछ मालूम नहीं और न ही वह किसी को इस यात्रा में भाग लेने से रोकेगी. भाजपा का इस तरह गिरिराज सिंह की हिंदू स्वाभिमान यात्रा से पल्ला झाड़ लेना उसकी शातिर चाल ही कही जा सकती है.
भाजपा की चाहत- बिहार में अकेले दम पर सरकार
अतीत को देखें तो भाजपा के साथ गठबंधन करने वाली कई क्षेत्रीय पार्टियों को आगे चल कर बेहद नुकसान हुआ है. महाराष्ट्र में शिवसेना, पंजाब में अकाली दल, जम्मू-कश्मीर में पीडीपी आदि ऐसे कई उदाहरण हैं.
बिहार में भी भाजपा की चाहत है कि वह साल 2025 के विधानसभा चुनाव में अकेले दम पर सरकार बनाने की स्थिति में आए. भाजपा के कई बड़े नेता खुले आम इस मंशा का ऐलान भी कर चुके हैं. ऐसे में पार्टी अपनी कट्टर हिंदूवादी वाली छवि को नया उभार देकर ऐसे मतदाताओं का साथ मजबूत करना चाह रही है. जाहिर है, ऐसा हुआ तो इसका सबसे ज्यादा नुकसान जदयू को ही होगा.
दिल्ली से कटेगा गिरिराज का टिकट?
गिरिाज सिंह ने साफ कहा है कि उनकी इस यात्रा का मकसद ‘हिंदुओं-सनातनियों को यह समझाना है कि बंटोगे तो कटोगे’ है. इस यात्रा के पीछे भाजपा का एक मकसद बिहार में एक आक्रामक चेहरा तैयार करना भी है. इस छवि के लिहाज से गिरिराज सिंह सटीक बैठते हैं. केंद्र में लगातार मंत्री होने के चलते वह जाना-पहचाना नाम हैं. उग्र हिंदूवादी नेता की उनकी छवि पहले से बनी है. मोदी सरकार में वह लगातार मंत्री रहे हैं, ऐसे में संभव है कि बिहार विधानसभा चुनाव के पहले उन्हें बिहार में उतारने के लिए भाजपा जमीन तैयार कर रही हो.
पीके की चुनौती
आने वाले विधानसभा चुनाव में सभी पार्टियों के लिए एक संभावित चुनौती प्रशांत किशोर भी हो सकते हैं. दो अक्टूबर को उन्होंने अपनी नई पार्टी बना कर साल 2025 के विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार उतारने का ऐलान कर दिया है. उनका यह ऐलान भाजपा, जदयू, राजद, कांग्रेस के लिए कितनी बड़ी चुनौती पेश करेगा, इसका ठोस अंदाज अभी नहीं लग रहा है. वैसे चार सीटों पर होने जा रहे उपचुनाव में प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी उम्मीदवार उतार रही है. इनके परिणामों से इस बात का संकेत मिल सकता है कि साल 2025 में प्रशांत किशोर पुरानी पार्टियों के सामने कितनी बड़ी चुनौती रख सकते हैं. चुनौती छोटी हो या बड़ी, सभी पार्टियों को इसकी काट के बारे में सोचना तो होगा ही. इस लिहाज से भी भाजपा के लिए गिरिराज सिंह की हिंदू स्वाभिमान यात्रा महत्वपूर्ण मानी जा सकती है.
Tags: Bihar election 2024, Bihar election news, Bihar News, Giriraj singhFIRST PUBLISHED : October 18, 2024, 21:09 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed