संगत और पंगत के पुरोधा आचार्य किशोर कुणाल की जीवन यात्रा का सार यहां जानिये

Acharya Kishore Kunal News: पटना महावीर मंदिर ट्रस्ट के सचिव आचार्य किशोर कुणाल की उपलब्धियों की फेहरिस्त इतनी लंबी है कि उसका वर्णन संक्षिप्त रूप में नहीं किया जा सकता. वह लोगों के लिए मिसाल हैं क्योंकि शैक्षणिक, प्रशासनिक, सामाजिक और धार्मिक स्तर पर एकसाथ उन्होंने उपलब्धियां प्राप्त कीं. आचार्य किशोर कुणाल के निधन से पूरे बिहार के लोग मर्माहत हैं.

संगत और पंगत के पुरोधा आचार्य किशोर कुणाल की जीवन यात्रा का सार यहां जानिये
हाइलाइट्स पूर्व आईपीएस आचार्य किशोर कुणाल का हार्ट अटैक से निधन. सामाजिक और धार्मिक कार्यों से किशोर कुणाल से थी पहचान. प्रशासनिक स्तर पर भी कई उपलब्धियां किशोर कुणाल के नाम. पटना. पूर्व आईपीएस और महावीर मंदिर न्यास के सचिव आचार्य किशोर कुणाल का निधन हो गया. रविवार (29 दिसंबर) की सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली. बताया जा रहा है कि उन्हें कार्डियेक अरेस्ट आने के बाद पटना के महावीर वात्सल्य अस्पताल में भर्ती करवाया गया, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका. आचार्य किशोर कुणाल के निधन से पूरे बिहार के लोग मर्माहत हैं क्योंकि उनके समाजिक कार्यों में योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता. पूर्व आईपीएस के साथ ही सच्चे समाजसेवी का कर्तव्य उन्होंने निभाया तो सच्चा सनातनी होने का संदेश भी अपनी जीवन शैली से देते रहे. प्रशासन चलाने में जितने सख्त रहे उतने ही जात-पात के भेदभाव के विरुद्ध जीवन भर आवाज बुलंद करते रहे. उनकी कीर्ति इतनी है कि जिसका वर्णन संक्षिप्त रूप में नहीं हो सकता. लेकिन न्यूज 18 ने उनकी जीवन भर की कीर्ति की एक सूची आपके सामने लाने का प्रयास किया है. आचार्य किशोर कुणा का जन्म 10 अगस्त 1950 को हुआ था. एमए (इतिहास), एमए (संस्कृत), आचार्य और संस्कृत में पीएच. डी. की डिग्री उन्होंने प्राप्त की थी. इसके बाद वह भारतीय पुलिस सेवा में 1972 में आईपीएस अधिकारी बने. आईपीएस रहते हुए उन्होंने कई उपलब्धियां प्राप्त कीं जिस कारण वह हमेशा सुर्खियों में भी रहे. इसके बाद मई 2001 में उन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी. अगस्त 2001 से फरवरी 2004 तक केएसडी संस्कृत विश्वविद्यालय, दरभंगा, बिहार के कुलपति रहे. उसके बाद उन्होंने स्वेच्छा से पद त्याग दिया. बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड में 23 मई, 2006 को बोर्ड के प्रशासक बने और 2010 में इसके अध्यक्ष बने. उन्होंने बोर्ड के कामकाज में कई बदलाव किए और इससे जुड़े ट्रस्टों के कामकाज को सुव्यवस्थित किया. उन्होंने 10 मार्च, 2016 को इस पद से इस्तीफा दे दिया. परोपकारी कार्य में संलग्न रहे पटना के प्रसिद्ध महावीर (हनुमान) मंदिर के माध्यम से उन्होंने महावीर कैंसर संस्थान, महावीर आरोग्य संस्थान, महावीर नेत्रालय, महावीर वात्सल्य अस्पताल जैसे कई धर्मार्थ अस्पतालों की स्थापना की और विभिन्न रूपों में बड़े पैमाने पर परोपकारी कार्य किए. हाल में ही बाल कैंसर संस्थान का उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के हाथों शिलान्यास करवाया था. दलितों के उत्थान की बड़ी पहल जात-पात का भेद मिटाने और दलितों के उत्थान के लिए उनकी पहल की हर ओर प्रशंसा होती है. 13 जून 1993 को पटना हनुमान मंदिर में एक दलित पुजारी नियुक्त किया था. बिहार धार्मिक न्यास बोर्ड के प्रशासक के रूप में उन्होंने बिहटा, पालीगंज, बोधगया, हाजीपुर, मुजफ्फरपुर, बेगुसराय और अन्य स्थानों पर कई प्रमुख मंदिरों में दलित पुजारियों की नियुक्ति की. उन्होंने बिहार के सभी मंदिरों में दलित ट्रस्टियों की नियुक्ति की और उन्हें बड़े पैमाने पर मंदिर के मामलों के प्रबंधन से जोड़ा था. संगत यानी सामुदायिक प्रार्थना और पंगत यानी सामुदायिक भोजन के कार्यक्रमों के माध्यम से, उन्होंने बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में पुनर्जागरण लाया. सांप्रदायिक सौहार्द्र की मिसाल आचार्य किशोर कुणाल अयोध्या के एक बहुत ही विवादास्पद मुद्दे पर हिंदू और मुस्लिम धार्मिक नेताओं के बीच बातचीत के नाजुक कार्य से जुड़े थे, फिर भी उन्होंने दोनों समूहों के साथ बहुत ही सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखे. इसके बाद उन्होंने विभिन्न धार्मिक मंचों से सांप्रदायिक सद्भाव का झंडा बुलंद किया. समाज के सभी वर्गों से उन्हें बहुत सम्मान प्राप्त है. पुरस्कार और उपाधियों का ढेर 2009 में उन्हें जागरण समाचार पत्र समूह द्वारा ‘बिहार रत्न’ की उपाधि से सम्मानित किया गया. 2008 में उन्हें भगवान महावीर फाउंडेशन, चेन्नई द्वारा प्रायोजित सामुदायिक और सामाजिक सेवा के क्षेत्र में मानव प्रयास में उत्कृष्टता के लिए भारत के महामहिम राष्ट्रपति द्वारा 11वें महावीर पुरस्कार से सम्मानित किया गया. पुरस्कार में एक प्रशस्ति पत्र और 5 लाख रुपये दिए जाते हैं. वर्ष 2006 में उन्हें समाज कल्याण समिति, बिहार, पटना द्वारा सामाजिक सेवा के लिए स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया. इससे पहले वर्ष 1997 में उन्हें संस्कृत के प्रचार-प्रसार में उनकी सेवा के लिए पूर्व काशी नरेश डॉ. विभूति नारायण सिंह द्वारा श्रृंगेरी मठ, वाराणसी में सम्मानित किया गया था. 1996 में उन्हें उनकी सामाजिक और सामुदायिक सेवाओं के लिए दूसरे विवेकानंद मेमोरियल पुरस्कार से सम्मानित किया गया. ग्रन्थकारिता-कई पुस्तकों के लेखक “दलित देवो भव”, आचार्य किशोर कुणाल की एक महान कृति है, जिसे प्रकाशन विभाग, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा 2 खंडों में प्रकाशित किया गया है. उन्होंने अयोध्या रिविजिटेड नामक पुस्तक भी लिखी है. आईपीएस में रहते हुए दिसंबर 1995 में यूएसए में ‘क्राइसिस मैनेजमेंट कोर्स’ और हैदराबाद स्थित एडमिनिस्ट्रेटिव स्टाफ कॉलेज ऑफ इंडिया में टॉप मैनेजमेंट कोर्स सहित कई पाठ्यक्रमों में भाग लिया. भारत और अमेरिका में भारतीय इतिहास, दर्शन, संस्कृत साहित्य और धर्मग्रंथों के कई विषयों पर प्रवचन दिए. वाल्मीकि रामायण पर एक महान विशेषज्ञ. अन्य कार्य की फेहरिस्त देखिये पटना के प्रसिद्ध महावीर (हनुमान) मंदिर के सचिव थे. अखिल भारतीय तीर्थ विकास समिति, दिल्ली में पंजीकृत एक अखिल भारतीय सोसायटी की अध्यक्षता की. 2004 में वाराणसी में अखिल भारतीय प्राच्यविद्या सम्मेलन का इतिहास अनुभाग. वर्ष 2006 में जम्मू में अखिल भारतीय प्राच्यविद्या सम्मेलन के पुरातत्व अनुभाग. 2008 में कुरुक्षेत्र में अखिल भारतीय प्राच्यविद्या सम्मेलन का इतिहास अनुभाग. संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति रहते हुए जगन्नाथपुरी, हरिद्वार, वडोदरा तथा अन्य स्थानों पर अनेक संस्कृत सम्मेलनों में भाग लिया. Tags: Bihar latest news, Patna News TodayFIRST PUBLISHED : December 29, 2024, 11:08 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed