TV देखने के लिए लेना पड़ता था लाइसेंस चुकाना पड़ता था शुल्क

आनंद स्वरूप गुप्ता ने बताया कि टेलीविजन खरीदना तो इतना मुश्किल नहीं था, लेकिन टेलीविजन चलाने के लिए परमिशन लेना बेहद ही चुनौतीपूर्ण रहा. टेलीविजन चलाने के लिए लाइसेंस की आवश्यकता होती थी. लाइसेंस पोस्ट ऑफिस से जारी किया जाता था.

TV देखने के लिए लेना पड़ता था लाइसेंस चुकाना पड़ता था शुल्क
शाहजहांपुर: टेलीविजन का आविष्कार आज से करीब 100 साल पहले स्कॉटिश इंजीनियर जॉन लोगी बेयर्ड ने किया था. टेलीविजन के आविष्कार के समय शायद ही किसी को अंदाजा होगा कि टेलीविजन से लोगों की जिंदगी में कितने बदलाव आएंगे. ब्लैक एंड व्हाइट से शुरू हुआ टेलीविजन का सफर, लेकिन समय-समय पर कई तब्दीलियां भले ही आईं, आज के दौर में लोगों के पास मनोरंजन के तमाम साधन क्यों न हों, लेकिन उसके बावजूद भी लोग टेलीविजन देखना पसंद करते हैं. शाहजहांपुर में भी एक टेलीविजन प्रेमी है. जो शहर में सबसे पहले टीवी खरीदने वाले चौथे शख्स थे. भले ही आज उनके पास वो टेलीविजन न हो लेकिन उसका बिल और यादें आज भी बरकरार हैं. शाहजहांपुर के रहने वाले आनंद स्वरूप गुप्ता जो बिजली विभाग में कार्यालय सहायक के पद से रिटायर्ड हो चुके हैं. आनंद स्वरूप गुप्ता ने सन 1980 में ब्लैक एंड व्हाइट टेलीविजन खरीदा था. उस वक्त वह टेलीविजन खरीदने वाले शाहजहांपुर के चौथे शख्स थे. लेकिन उस समय टेलीविजन खरीदना और फिर उसे पर चलाना बेहद ही चुनौतीपूर्ण था . पहले उन्हें टेलीविजन खरीदने के लिए दिल्ली तक का सफर तय किया, उसके बाद उसको चलाने के लिए सरकारी बाबुओं के चक्कर काटते रहे. भले आज वह टेलीविजन उनके पास नहीं है लेकिन पास टेलीविजन खरीदने और उसकी मरम्मत कराने का बिल भी मौजूद है. चलती तस्वीरों को देख हुए थे उत्साहित आनंद स्वरूप ने बताया कि उन्होंने शाहजहांपुर में पहली बार टेलीविजन चलते हुए देखा था. टेलीविजन में चल रही तस्वीरों को देखकर वह बेहद ही उत्साहित हुए. उसके बाद उन्होंने मन बनाया कि क्यों ना वह भी टेलीविजन खरीद लें. टेलीविजन खरीदने के लिए उन्होंने दिल्ली में रह रहे अपने के रिश्तेदार से संपर्क किया और रेल पर सवार होकर दिल्ली चले गए. दिल्ली से खरीदा था टेलीविजन आनंद स्वरूप ने बताया कि उन्होंने दिल्ली के कनॉट प्लेस में भारत टेलीविजन नाम की दुकान से क्राउन कंपनी का टेलीविजन खरीद लिया. उस वक्त टेलीविजन की कीमत 2375 रुपए हुआ करती थी. टेलीविजन लेकर वह रेल पर सवार होकर वापस शाहजहांपुर पहुंचे. यहां पूरे परिवार में उत्साह का माहौल था. यहां से मिलता था टेलीविजन का लाइसेंस आनंद स्वरूप गुप्ता ने बताया कि टेलीविजन खरीदना तो इतना मुश्किल नहीं था, लेकिन टेलीविजन चलाने के लिए परमिशन लेना बेहद ही चुनौतीपूर्ण रहा. टेलीविजन चलाने के लिए लाइसेंस की आवश्यकता होती थी. लाइसेंस पोस्ट ऑफिस से जारी किया जाता था. एक बार लाइसेंस लेने के बाद हर साल उसका नवीनीकरण कराना होता था. नवीनीकरण की फीस 100 रूपए हर वर्ष भुगतान करनी होती थी. लगाना पड़ा था 35 फीट ऊंचा एंटीना शाहजहांपुर के सदर बाजार क्षेत्र के कटिया टोला मोहल्ले में अपने आवास पर 35 फीट ऊंचा एंटीना और बूस्टर लगाकर टीवी को ऑन किया. टेलीविजन को देखने के लिए मोहल्ले के लोग भी इकट्ठे हो गए. यह सिलसिला लगातार जारी रहा. उनके घर में टेलीविजन ऑन होते ही मोहल्ले के नन्हे मुन्ने बच्चे और बुजुर्ग आकर टेलीविजन स्क्रीन के सामने आंखें गड़ाए बैठे रहते थे. 1982 में शुरू हुआ राष्ट्रीय प्रसारण आनंद स्वरूप गुप्ता ने बताया कि भारत में 1982 में कलर टेलीविजन और राष्ट्रीय प्रसारण की शुरुआत हुई थी. इसके बाद दूरदर्शन ने लंबे समय तक लोगों का मनोरंजन किया. दूरदर्शन पर रामायण और महाभारत जैसे प्रतिष्ठित शो का प्रसारण किया जाता था. हालांकि आज के दौर में सैंकड़ों की संख्या में टीवी चैनल पर तमाम कार्यक्रमों का प्रसारण होता है. Tags: Local18, Shahjahanpur News, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : July 25, 2024, 17:50 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed