खेत के किनारे लगाएं ये घास50 साल तक होगी धान-गेंहू से 4 गुना कमाई!
खेत के किनारे लगाएं ये घास50 साल तक होगी धान-गेंहू से 4 गुना कमाई!
विज्ञान के हिसाब से बांस एक पेड़ नहीं एक घास है. लेकिन 1927 के इंडियन फॉरेस्ट एक्ट के मुताबिक बांस को एक पेड़ माना गया था. परंतु इंडियन फॉरेस्ट एक्ट में संशोधन 2017 में कर दिया गया था. अब कानूनी दृष्टि से भी बांस एक घास है.
शाहजहांपुर : धान और गेहूं की पारंपरिक फसलों की तुलना में बांस की खेती किसानों के लिए अधिक लाभदायक साबित हो रही है. यह न केवल अधिक मुनाफा देती है, बल्कि पर्यावरण की दृष्टि से भी अत्यंत लाभकारी है. कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि बांस की खेती में कम पानी की आवश्यकता होती है, और यह खराब भूमि में भी उगाई जा सकती है. इस वजह से, यह फसल उन क्षेत्रों में भी सफल हो सकती है जहां अन्य फसलों की पैदावार कठिन होती है. गौरतलब है कि विज्ञान के हिसाब से बांस एक पेड़ नहीं एक घास है. लेकिन 1927 के इंडियन फॉरेस्ट एक्ट के मुताबिक बांस को एक पेड़ माना गया था. परंतु इंडियन फॉरेस्ट एक्ट में संशोधन 2017 में कर दिया गया था. अब कानूनी दृष्टि से भी बांस एक घास है.
कृषि विज्ञान केंद्र नियामतपुर में तैनात कृषि एक्सपर्ट डॉ. एनपी गुप्ता ने बताया कि बांस की खेती से किसान धान और गेहूं की खेती से मिलने वाले मुनाफे से 4 गुना अधिक कमा सकते हैं. बांस की फसल 40-50 साल तक चल सकती है, जिससे किसान को बार-बार बुवाई की जरूरत नहीं होती. बस का पौधा बहुउद्देशीय पौधा माना जाता है. बांस मेड या फिर पूरे खेत में भी लगा सकते हैं. बांस की कई किस्में हैं जैसे बांसुरी वाला बांस, लाठी वाला बांस, इमारती बांस और सजावटी बांस.
आक्सीजन के साथ मृदा स्वास्थ्य में होता है सुधार
डॉ. एनपी गुप्ता ने बताया कि बांस तेजी से बढ़ने वाली फसल है और यह कार्बन डाइऑक्साइड को अधिक मात्रा में अवशोषित करती है. इसके अलावा, यह मिट्टी की गुणवत्ता को भी सुधारती है और भू-क्षरण को रोकती है. बांस की खेती में पानी की आवश्यकता धान और गेहूं की खेती की तुलना में काफी कम होती है. यह जल-संकट वाले क्षेत्रों के लिए एक आदर्श फसल है.
बलुई और दोमट मिट्टी है बेस्ट
डॉ. एनपी गुप्ता ने बताया कि बांस की खेती को वैज्ञानिक तरीके से किया जाए तो अच्छा मुनाफा लिया जा सकता है. बांस की खेती के लिए हल्की, बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है. जल निकासी की अच्छी व्यवस्था वाली भूमि में बांस की पैदावार अधिक होती है.
बांस की कैसे करें रोपाई?
डॉ. एनपी गुप्ता ने बताया कि बांस के पौधों को मानसून के दौरान लगाना चाहिए. इससे पौधों को अच्छी वृद्धि के लिए पर्याप्त नमी मिलती है. बांस के पौधों को नर्सरी में तैयार किया जा सकता है. नर्सरी में तैयार पौधों को 8 से 10 महीने बाद मुख्य खेत में रोपा जाता है. शुरुआती 2 से 3 साल तक बांस के पौधों को नियमित सिंचाई की आवश्यकता होती है. इसके अलावा, जैविक खाद और उर्वरकों का उपयोग करके मिट्टी की उर्वरता बनाए रखना आवश्यक है.
3 साल बाद शुरू होगी कमाई
डॉ. एनपी गुप्ता ने बताया कि बांस के पौधों को पहली कटाई 3 से 4 साल बाद की जाती है. इसके बाद, हर 2 से 3 साल में कटाई की जा सकती है. कटाई के बाद पौधों की उचित देखभाल और संरक्षण भी आवश्यक है.
खेती के लिए सरकार दे रही सब्सिडी
डॉ. एनपी गुप्ता ने बताया कि बांस की खेती करने वाले किसानों को सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं और सब्सिडी का लाभ उठाना चाहिए. इसके अलावा, बांस उत्पादों की बाजार में बढ़ती मांग को ध्यान में रखते हुए सही मार्केटिंग रणनीति अपनानी चाहिए.
Tags: Agriculture, Local18, Shahjahanpur News, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : August 8, 2024, 17:33 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed