एक जिले में 7 बड़े मंदिर जानिए क्या है नंद्याल के पवित्र स्थल और मान्यताएं
एक जिले में 7 बड़े मंदिर जानिए क्या है नंद्याल के पवित्र स्थल और मान्यताएं
Sacred Places: नंद्याल जिले में स्थित श्रीशैलम, महानंदी, ओंकारम, यागंती जैसे धार्मिक स्थलों की प्राकृतिक खूबसूरती और धार्मिक महत्ता लोगों को आकर्षित करती है. यहां के अद्वितीय पवित्र स्थल अपनी खास पहचान और रहस्यमयी मान्यताओं के लिए प्रसिद्ध हैं.
रायलसीमा क्षेत्र का सबसे उल्लेखनीय जिला नंद्याल है. श्रीशैलम, महानंदी, ओंकारम, रुद्रकोटी, संगमेश्वरम, कोलन भारती, और यागंती जैसे कई पवित्र स्थल इसी नंद्याल जिले में स्थित हैं. इन स्थलों को सर्दियों में देखने पर प्रकृति का सौंदर्य हर किसी को आकर्षित करता है और यह स्थान आश्चर्यजनक दृश्यों से सभी को प्रभावित करता है.
श्रीशैलम यात्रा की सुविधाएं
श्रीशैलम जाने के लिए नंदिकोट्कूर, आत्मकुर और कर्नूल डिपो से प्रतिदिन दर्जनों बसों की सुविधा उपलब्ध है. श्रीशैलम बाइक से जाते समय, हम जंगल के दृश्य का आनंद लेते हुए यात्रा को जारी रख सकते हैं, जो बाइक प्रेमियों के लिए एक अद्वितीय अनुभव है. आत्मकुर से आगे बढ़ने पर नल्लमल्ला का जंगल शुरू होता है, और वहां से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर बाईं ओर सिद्दापुरम मूर्ति जावली दरगाह पड़ती है. इस जंगल मार्ग से जाने पर, सबसे शक्तिशाली आंजनेय स्वामी का दर्शन किया जा सकता है. उसके बाद, इसी रास्ते पर इष्टकामेश्वर और फिर सिद्धेश्वरम तथा श्रीशैलम का दर्शन किया जा सकता है.
महानंदी: विशेष धार्मिक स्थल
महानंदी नंद्याल जिले का एक प्रमुख पवित्र स्थल है. यहां के मंदिर के चारों ओर 9 नंदियां हैं. मंदिर के गोपुरम में प्रवेश के बाद चार कोनेर (तालाब) हैं, जिनमें स्नान करके भगवान का दर्शन किया जाता है.
यागंती: शांत स्थल की विशेषता
यागंती में, शांति के वातावरण में ध्यानमग्न साधु के ध्यान को एक कौए ने बाधित किया, जिससे साधु ने कौओं को श्राप दिया कि यहां कोई कौआ नहीं रहेगा. इस श्राप के कारण आज तक यागंती के आसपास कोई कौआ नहीं देखा जाता. यहीं पर नंदी की मूर्ति प्रतिदिन बढ़ती हुई बताई जाती है.
ओंकारम: पवित्र ध्वनि की उत्पत्ति
नल्लमल्ला जंगलों में ओंकारम को एक प्रमुख पवित्र स्थल माना जाता है. यहाँ का मान्यता है कि “ॐ” ध्वनि यहीं से उत्पन्न हुई, जब भगवान शिव ने नल्ला लोगों की पीड़ा सहन न कर ओंकार स्थल पर ध्यान किया था. यहां पर प्रतिदिन निःशुल्क भोजन की व्यवस्था भी होती है.
संगमेश्वरम: सप्त नदियों का मिलन
यह स्थान सात नदियों के संगम के लिए प्रसिद्ध है. यहाँ पर भीम ने वट वृक्ष के नीचे पूजा की थी. जैसे केदारनाथ और बद्रीनाथ में छह महीने बर्फ के कारण मंदिर बंद रहता है, वैसे ही संगमेश्वरम में भी लगभग सात महीने मंदिर पानी में डूबा रहता है.
कोलन भारती: सरस्वती देवी का मंदिर
रायलसीमा में स्थित कोलन भारती सरस्वती देवी का मंदिर है और इसे पहली बार देवी सरस्वती के मंदिर के रूप में जाना जाता है. यहां प्रतिदिन देवी की पूजा की जाती है और इसे श्रीशैल मल्लिकार्जुन स्वामी की बहन के रूप में मान्यता दी जाती है. हर शिवरात्रि को श्रीशैलम से रथ यात्रा द्वारा कोलन भारती मंदिर तक पहुँचाया जाता है.
Tags: Andhra paradesh, Local18, Special ProjectFIRST PUBLISHED : October 30, 2024, 10:55 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed