झुंझुनूं में राजेन्द्र गुढ़ा ने बिगाड़े बीजेपी और कांग्रेस के जातीय समीकरण
झुंझुनूं में राजेन्द्र गुढ़ा ने बिगाड़े बीजेपी और कांग्रेस के जातीय समीकरण
Jhunjhunu Upchunav: कांग्रेस की परपंरागत सीट मानी जाने वाली झुंझुनूं में इस बार निर्दलीय प्रत्याशी राजेन्द्र गुढ़ा ने कांग्रेस और बीजेपी दोनों के समीकरण बिगाड़ दिए हैं. करीब एक दशक बाद एकमुखी होकर कांग्रेस का मुकाबला करने चुनाव मैदान में उतरी बीजेपी के लिए भी गुढ़ा खतरा बन गए हैं.
झुंझुनूं. झुंझुनूं विधानसभा सीट के लिए हो रहे उपचुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी पूर्व मंत्री राजेन्द्र गुढ़ा ने बीजेपी और कांग्रेस के समीकरणों को बिगाड़ कर रख दिया है. निर्दलीय प्रत्याशी गुढ़ा की सभाओं में उमड़ रही भीड़ से बीजेपी और कांग्रेस इसकी काट ढूंढने में जुटी है. झुंझुनूं में टिकट नही मिलने से मुस्लिम समुदाय नाराजगी बताई जा रही है. यही चिंता कांग्रेस का खाए जा रही है. झुंझुनूं कांग्रेस की परंपरागत सीट रही है. वहीं गुढ़ा राजपूत समुदाय से होने के कारण वे बीजेपी के परंपरागत वोट बैंक में भी सेंध लगा रहे हैं.
झुंझुनूं विधानसभा सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाती है. इस सीट पर अब तक हुए 17 विधानसभा चुनावों में से 13 बार कांग्रेस ने भाजपा और अन्य दलों को पटखनी दी है. झुंझुनूं विधानसभा सीट पर मुस्लिम और दलित समुदाय के गठजोड़ से यह कांग्रेस की सुरक्षित सीटों में से एक है. इस बार उपचुनाव में कांग्रेस का परम्परागत वोट बैंक मुस्लिम समुदाय टिकट की मांग कर रहा था. टिकट नहीं मिलने से मुस्लिम समाज की नाराजगी कांग्रेस के लिए परेशानी खड़ी कर सकती है.
11 अक्टूबर को महापंचायत बुलाई गई थी
झुंझुनूं विधानसभा उपचुनाव में इस बार कांग्रेस पार्टी से टिकट नहीं मिलने से मुस्लिम समुदाय की नाराजगी ने त्रिकोणीय मुकाबला बना दिया है. इसका असर धरातल पर भी देखने को मिल रहा है. मुस्लिम न्याय मंच ने टिकट की मांग को लेकर 11 अक्टूबर को महापंचायत बुलाई थी. उसमें सभी ने मुखर होकर मुस्लिम समुदाय को टिकट देने की मांग रखी थी. उसके बाद मुस्लिम न्याय मंच के पदाधिकारियों ने पीसीसी चीफ से मिलकर झुंझुनू विधानसभा सीट पर मुस्लिम समुदाय को टिकट देने की मांग की थी.
समाज की मांग को दरकिनार करते हुए टिकट नहीं दिया गया
मुस्लिम न्याय मंच के इमरान बडगूजर ने बताया कि मुस्लिम समुदाय हमेशा कांग्रेस के साथ रहा है. इसके कारण झुंझुनू में कांग्रेस का दबदबा रहा है. उपचुनाव में भी टिकट की मांग की गई थी. लेकिन समाज की मांग को दरकिनार करते हुए टिकट नहीं दिया गया. इसको लेकर मुस्लिम समुदाय में नाराजगी है. इसका खामियाजा कांग्रेस को उपचुनाव में उठाना पड़ सकता है.
जातीय समीकरण के गठजोड़ से यह कांग्रेस का अजेय किला है
झुंझुनूं विधानसभा सीट जातीय समीकरण के गठजोड़ से कांग्रेस का अजेय किला है. मुस्लिम -दलित वोट बैंक के कारण भाजपा इस सीट पर बीते चार विधानसभा चुनाव में लगातार हार का सामना कर रही है. मुस्लिम समुदाय की नाराजगी के चलते कांग्रेस प्रत्याशी की सभाओं में मुस्लिम समुदाय की भीड़ कम नजर आ रही है. वहीं निर्दलीय प्रत्याशी के समर्थन में मुस्लिम समुदाय की भीड़ ने कांग्रेस के लिए चिंता बढ़ा दी है.
झुंझुनूं सीट पर ओला परिवार का दबदबा रहा है
निर्दलीय प्रत्याशी लगातार ओला परिवार पर मुस्लिम समुदाय की अनदेखी करने का आरोप लग रहे हैं. बीते चार विधानसभा चुनाव में ओला परिवार का झुंझुनू विधानसभा सीट पर दबदबा रहा है. झुंझुनूं विधानसभा सीट पर बृजेंद्र ओला लगातार चार बार विधायक जीते हैं. उनके सांसद बनने के बाद झुंझुनू विधानसभा सीट पर उपचुनाव हो रहे हैं. उपचुनाव में कांग्रेस ने उनके पुत्र अमित ओला को प्रत्याशी बनाया है. मुस्लिम समाज की बढ़ी हुई नाराजगी के चलते ओला अपनी सभा में यह कहते हुए भी नजर आए कि वे उपचुनाव लड़ना नहीं चाहते थे. लेकिन पार्टी ने कहा कि किसी और को टिकट देंगे तो जमानत जब्त हो जाएगी.
कांग्रेस के लिए अपने परंपरागत वोट बैंक को बचाना बड़ी चुनौती
ओला के इस बयान को लेकर भी मुस्लिम समाज में नाराजगी है. मुस्लिम समुदाय के जनप्रतिनिधियों का कहना है कि ओला मुस्लिम समुदाय को अपने बयान से कमतर आक रहे हैं. झुंझुनूं विधानसभा सीट पर कांग्रेस के लिए अपने परंपरागत वोट बैंक को बचाना बड़ी चुनौती है. कांग्रेस अब अपने परंपरागत वोट बैंक को साधने में जुटी हुई है. अब देखना ही होगा कि कांग्रेस अपने परंपरागत वोट बैंक को बचा पाती है या फिर निर्दलीय प्रत्याशी कांग्रेस के वोट बैंक में बड़ी सेंध लगा पाते हैं.
मुकाबला सीधा होने की बजाय त्रिकोणीय हो गया है
दूसरी तरफ बीजेपी भी यहां करीब एक दशक बाद इस बार एकमुखी होकर चुनाव लड़ रही है. बीजेनी ने यहां राजेन्द्र भाम्बू को मैदान में उतार रखा है. बीते तीन चुनावों में उसे बगावत का सामना करना पड़ रहा था. इसके चलते वह यहां मात खा रही थी. हालांकि बगावत इस बार भी हुई थी. लेकिन पार्टी ने समय रहते कदम उठाकर सबको एकजुट कर लिया. लेकिन अब राजेन्द्र गुढ़ा यहां बीजेपी के लिए भी खतरा बनते जा रहे हैं. गुढ़ा के चुनाव मैदान में आने से बीजेपी को अपने परंपरागत राजपूत वोट बैंक की चिंता सताने लगी है. कुल मिलाकर अब यहां मुकाबला सीधा होने की बजाय त्रिकोणीय हो गया है.
Tags: Assembly by election, Political newsFIRST PUBLISHED : November 7, 2024, 15:18 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed