रणथम्भौर के विश्वविख्यात टाइगर उस्ताद उर्फ T-24 को हुआ बोन ट्यूमर 7 साल से सज्जनगढ़ में है कैद
रणथम्भौर के विश्वविख्यात टाइगर उस्ताद उर्फ T-24 को हुआ बोन ट्यूमर 7 साल से सज्जनगढ़ में है कैद
विश्वविख्यात बाघ उस्ताद उर्फ T-24 को हुआ बोन ट्यूमर: राजस्थान समेत देशभर के वन्यजीव प्रेमियों (Wildlife lovers) के लिये बुरी खबर है. रणथम्भौर के विश्वविख्यात बाघ उस्ताद उर्फ T-24 को बोन ट्यूमर (Tiger ustaad alias T-24 suffering from bone tumor) हो गया है. आदमखोर होने के इल्जाम में बीते सात साल उदयपुर के सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में कैद की सजा काट रहे उस्ताद के इलाज के लिये देशभर के वन्यजीव विशेषज्ञों से राय मशविरा किया जा रहा है ताकि उसे बेहतर इलाज दिया जा सके.
जयपुर. विश्वभर में विख्यात रणथम्भौर के टाइगर उस्ताद उर्फ T-24 (Ustaad alias T-24) को बोन ट्यूमर हो गया है. वर्ष 2015 से आदमखोर होने के इल्जाम में उदयपुर के सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में कैद की सजा काट रहे विश्वविख्यात बाघ उस्ताद उर्फ T-24 के बोन ट्यूमर (Bone tumor) होने की पुष्टि के बाद वन विभाग की चिंता बढ़ गई. पिछले काफी समय से बाघ को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था. बाघ के पिछले पैर में हुये घाव की वजह से दिसंबर 2021 में उसे ट्रीटमेंट भी दिया गया था. लेकिन अब फिर से जब परेशानियां बढ़ने लगी तो बाघ का पूरा मेडिकल मुआयना किया गया है. एक्सरे करके की गई स्कैनिंग में बाघ की परेशानी की वजह बोन ट्यूमर के रूप में सामने आई है.
जयपुर से सज्जनगढ़ भेजी गई मेडिकल टीम ने पहले बाघ को ट्रेंकुलाइज कर बेहोश करने की मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक से अनुमति ली. उसके बाद एक्सरे के दौरान सामने आया कि बाघ उस्ताद की पैर की हड्डियां असामान्य रूप से बढ़ने लगी हैं. विशेषज्ञों से राय लेने पर इस बात की पुष्टि हुई कि बाघ को बोन ट्यूमर हो चुका है. राजस्थान में इस तरह का पहला मामला है. टाइगर उस्ताद-24 के इससे पहले साल 2016 में पेट में खाना फंस गया था. उसकी वजह मल रुक गया था. बाद में उस्ताद को जटिल सर्जरी के दौर से गुजरना पड़ा था.
उस्ताद की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने पर ध्यान दिया जा रहा है
भारतीय वन्यजीव संस्थान के विशेषज्ञों को बुलाने और इलाज कराने से काफी मुश्किलों बाद टाइगर उस्ताद की जान बच पाई थी. अब बाघ के बोन ट्यूमर हो जाने से चिंताएं और बढ़ गई हैं. टाइगर उस्ताद की उम्र करीब 17 साल हो चुकी है. बोन ट्यूमर की वजह से बाघ के पिछले पैर की हडडी में सूजन बढ़ रही है. फिलहाल के इलाज के लिए उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने पर ध्यान दिया जा रहा है.
इस बाघ पर कई इंटरनेशनल डॉक्यूमेंट्री बन चुकी है
जयपुर से बाघ का मेडिकल मुआयना करने पहुचे डॉक्टर अरविंद माथुर के मुताबिक बोन ट्यूमर को एक्सओस्टोसिस ऑफ बोन ऑफ हॉक जॉइंट, मेटाटार्सल एंड फलांगेस (Exostosis of Bone of Hock joint, Metatarsal and Phalanges) कहते हैं. बाघ के इलाज को लेकर देशभर के विशेषज्ञों से राय ली जा रही है. रणथंभौर का ये बाघ विश्वभर में विख्यात है. इस बाघ पर कई इंटरनेशनल डॉक्यूमेंट्री बन चुकी है.
उस्ताद पर चार लोगों को मौत के घाट उतारने का इल्जाम है
उस्ताद के आदमखोर होने के बाद उसे सवाई माधोपुर के रणथम्भौर से कैद करके उदयपुर के सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क भेजा गया था. तब उस्ताद की रिहाई के लिए इंटरनेशनल लेवल पर बाघ प्रेमियों की तरफ से बड़ी मुहिम चलाई गई थी. लेकिन दुर्भाग्यवश अब तक ये बाघ कैद में ही है. उस्ताद पर साल 2010 से लेकर 2015 तक चार लोगों को मौत के घाट उतारने का इल्जाम है.
उस्ताद का मेडिकल बुलेटिन जारी किया जाता रहा है
लंबे अरसे से कैद में रह रहे इस बाघ को लेकर वन विभाग की ओर से समय समय पर मेडिकल बुलेटिन जारी किया जाता रहा है. अब कैद में सात साल बीतने के बाद बाघ 17 साल का हो गया है. इस उम्र में बोन ट्यूमर होने के बाद इसके इलाज के लिए देशभर के विशेषज्ञों से सलाह मशविरा किया जा रहा है ताकि उस्ताद को बेहतर इलाज दिया जा सके.
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