राजस्थान विधानसभा सत्र: सियासत में आ रहा उफान सत्ता पक्ष की सियासी चाल विपक्ष हुआ बेहाल

Politics heats up on Rajasthan assembly session: आगामी 19 सितंबर से शुरू हो रहे विधानसभा-सत्र को लेकर राजस्थान में सियासत लगातार गरमाती जा रही है. विधानसभा सत्र को लेकर सरकार की सियासी चाल के आगे इस बार विपक्ष बेबस (Opposition helpless) नजर आ रहा है. पढ़ें क्या है इसके नियम कायदे.

राजस्थान विधानसभा सत्र: सियासत में आ रहा उफान सत्ता पक्ष की सियासी चाल विपक्ष हुआ बेहाल
हाइलाइट्सविधानसभा सत्र पर राजस्थान में गरमा रही राजनीतिविपक्ष हो रहा अशोक गहलोत सरकार पर हमलावर जयपुर. राजस्थान में 15वीं विधानसभा के सातवें सत्र (Assembly session) की बैठक 19 सितंबर से बुलाए जाने का मामला लगातार सियासी तूल (Politics heats up) पकड़ता जा रहा है. विपक्ष इस बात को लेकर सरकार पर हमलावर हो रहा है कि सातवें सत्र का सत्रावसान नहीं करके एक ओर विधायकों के प्रश्न लगाएं जाने के अधिकारों का हनन किया गया है वहीं राजभवन को बाईपास करके सत्र बुलाया जा रहा है. दरअसल गहलोत सरकार ने संवैधानिक नियमों की आड़ में सातवें सत्र का सत्रावसान नहीं किया था. अब सातवें सत्र के तहत ही विधानसभा का सत्र बुलाया गया है. ऐसा कोई पहली बार नहीं हुआ बल्कि पिछले साल भी छठे सत्र के दौरान बिना सत्रावसान के ही सदन की बैठक बुलाई गई थी. विधानसभा के नियमों के मुताबिक अगर किसी सत्र का सत्रावसान नही किया जाता है तो सवाल पूछने की तय सीमा खत्म होने के बाद विधानसभा सचिवालय विधायकों को सवाल को स्वीकार नहीं करता है. ऐसे में विधायक अपने क्षेत्र या योजना के बारे में सरकार से सवाल जवाब करने से वंचित रह जाते हैं. लेकिन इसका खामियाजा केवल विधायक ही नही बल्कि सरकार को भी उठाना पड़ता है. असल में नियमों के तहत सदन की बैठक अनिश्चितकाल के लिए स्थगित की हुई है. इसलिये सदन अभी सत्र (चालू) में है. लेकिन ऐसे में सरकार भी कोई अध्यादेश जारी नहीं कर सकती है. यदि सत्र का सत्रावसान हो जाता तो सरकार अध्यादेश जारी कर सकती है. नियमों के मुताबिक अभी विधानसभा का बैठकें नहीं हो रही है लेकिन सत्र चालू है. सरकार क्यों कर रही है राजभवन को बाईपास असल में बजट सत्र का सत्रावसान नहीं होने के पीछे संवैधानिक कारणों से ज्यादा सियासी कारण नजर आते हैं. इसकी शुरुआत गहलोत सरकार पर साल 2020 में आए राजनैतिक संकट के कारण हुई थी. उस समय सरकार ने विधानसभा की बैठक बुलाने के लिये एक बार नहीं बल्कि तीन दफा राज्यपाल कलराज मिश्र के पास संसदीय कार्य विभाग के माध्यम से फाइल भेजी थी. लेकिन राजभवन में आपत्तियों के साथ उसे लौटा दिया था. आखिरकार चौथी बार में तमाम आपत्तियों को समाप्त किये जाने के बाद सदन की बैठक बुलाई गई थी. इसके कारण राजभवन और सरकार के बीच टकराव की स्थिति भी बनी थी. उसके बाद से ही प्रदेश सरकार ने बजट सत्र को राज्यपाल से आहूत कराने की परंपरा बना ली जो कि लगातार दूसरे साल भी जारी है. संविधान का 174वां अनुच्छेद क्या कहता है देश के संविधान का 174वां अनुच्छेद इस बात का अधिकार राज्यपाल को देता है कि वे समय-समय पर राज्य के विधान-मंडल के सदन या प्रत्येक सदन को ऐसे समय और स्थान पर जो वह ठीक समझे अधिवेशन के लिए आहूत कर सकेंगे. लेकिन उसके एक सत्र की अंतिम बैठक और आगामी सत्र की प्रथम बैठक के लिए नियत तारीख के बीच छह माह का अंतर नहीं होगा. संवैधानिक हिसाब से देखा जाए तो पहले साल में तीन सत्र आहूत होने की परपंरा थी. फिर यह परंपरा दो सत्र तक सिमट गई. अब दूसरे साल लगातार एक सत्र की ही बैठकें हो रही है. पहला सत्र राज्यपाल की अनुमति के बाद बुलाया जाता है साल का पहला सत्र राज्यपाल की अनुमति के बाद बुलाया जाता है. लेकिन उस सत्र का सत्रावसान ना हो तो भी छह माह में सदन की बैठक बुलाने की बाध्यता के तहत सरकार का संसदीय विभाग सत्र की बैठक बुलाने के लिए विधानसभा अध्यक्ष से आग्रह करती है. वो ही अभी किया गया है. विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी ने इसे स्वीकार करते हुए सदन की बैठक बुलाई है. राज्यपाल साल का पहला सत्र आहूत करने का देते हैं आदेश राज्यपाल साल का पहला सत्र आहूत करने के मामले में मंत्रिमंडल की अनुशंषा पर विधानसभा के नाम सत्र आहूत करने का सम्मन यानि वारंट जारी करते हैं. संवैधानिक अधिकारों के तहत साल का पहला सत्र होने के कारण राज्यपाल का सदन में अभिभाषण होता है. फिर बहस के बाद सरकार उसका जवाब देती है. विधानसभा की पूर्व अध्यक्ष सुमित्रा सिंह का कहना है कि इतने दिनों तक सत्रावसान नहीं करना उचित नहीं है. सरकार और विधानसभा अध्यक्ष मिलकर जो चाहे वो कर सकते हैं. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी | Tags: Ashok Gehlot Government, BJP Congress, Jaipur news, Rajasthan news, Rajasthan vidhan sabhaFIRST PUBLISHED : August 25, 2022, 16:59 IST