Mission Cheetah: जयपुर में 1940 तक पाले जाते थे चीते मीट के साथ खिलाया जाता था गुलकंद और पनीर
Mission Cheetah: जयपुर में 1940 तक पाले जाते थे चीते मीट के साथ खिलाया जाता था गुलकंद और पनीर
History of Cheetahs in Jaipur: चीते इन दिनों देशभर में चर्चा में बने हुए हैं. आपको यह जानकारी हैरानी होगी जयपुर देश का एकमात्र ऐसा शहर है जहां 1940 तक चीतों को पाला जाता था. पालतू चीतों का मिजाज ठंडा रहे इसके लिये उन्हें उनके पसंदीदा मीट के साथ पनीर और गुलकंद (Paneer and Gulkand) खिलाया जाता था. पढ़ें जयपुर और चीते के संबंधों का अनूठा इतिहास.
हाइलाइट्सचीतों को जयपुर में तत्कालीन महाराजाओं का खास दुलार मिलता थाचीतों को शिकार के लिए बैलगाड़ी सग्गड़ में सांगानेर ले जाया जाता था
जयपुर. देश में इन दिनों चीता (Cheetah) चर्चा में है. भारत में बरसों पहले लुप्त हो चुके चीतों को फिर से आबाद करने के लिये हाल ही में नामीबिया से आठ चीते (Namibian Cheetahs) लाए गए हैं. इन चीतों को पीएम नरेन्द्र मोदी ने अपने जन्मदिन पर मध्यप्रदेश के श्योपुर स्थित कूना नेशनल पार्क में छोड़ा था. उसके बाद से चीते सुर्खियों में हैं. सोशल मीडिया में चीता छाया हुआ है. लेकिन आपको यह जानकार हैरानी होगी की जयपुर देश का एकमात्र ऐसा शहर है जहां चीते को पालने वालों को पूरा मोहल्ला मौजूद है. यहां वर्ष 1940 तक चीते मौजूद थे. उसके बाद यहां से चीते खत्म हो गए.
जयपुर राजघराने को चीते पालने का खास शौक था. इतिहास के जानकारों के अनुसार अफगानिस्तान मूल के यहां के चीतेदार पहले मुगलों के खास चीतेदार हुआ करते थे. औरंगजेब के बाद ये चीतेदार अलवर घराने में पहुंचे. वहां से जयपुर के तत्कालीन महाराज इन्हें जयपुर लेकर आए थे. जयपुर में चीतेदार निजामुद्दीन के लिए खासतौर पर निजाम महल बनाया गया था. वे चीतों के साथ सियाागेश और बाज भी पाला करते थे. जयपुर महाराज ने चीतों की बेहतर देखभाल के लिए वर्ष 1880 में उनका प्रतिमाह सौ रुपये वजिफा भी तय किया था.
चीतों को महाराजा का खास दुलार मिलता था
जयपुर में इन चीतों को घरों में रखा जाता था और बड़ी अलमारियों में सुलाया जाता था. घरों में चीतों का मिजाज ठंडा रहे इसलिए उन्हें मीट की डाइट के साथ खासतौर पर गुलकंद और पनीर खिलाया जाता था. जयपुर के इन चीतों को महाराजा का खास दुलार मिलता था. जयपुर आने वाले शाही महमानों के सामने चीतों के शिकार करने का खास डेमो दिया जाता था. इसके लिए उस दौरान चीतों को शिकार के लिए बैलगाड़ी सग्गड़ में सांगानेर ले जाया जाता था.
जयपुर में चीतों को खरीदकर भी लाया जाता था
तेज रफ्तार वाले चीते चिंकारा और काले हिरन का शिकार दिखाया करते थे. जयपुर में चीतों को खरीदकर भी लाया जाता था. आखिरी बार एक जोड़ी चीतों को उस दौर के बंगाल से 640 रुपये में खरीद कर लाया गया था. चीतेदार निजामु्ददीन के पौते जहीरउद्दीन ने बताया कि उनके पिता अजीजुद्दीन ने अपने बचपन तक चीते देखे थे. उसके बाद कानून भी बदल गए और चीते भी लुप्त होते चले गए.
चीते लाए जाने पर भावुक हुआ चीतेदार परिवार
अजीजुद्दीन ने लंबे वक्त तक फिर से जयपुर में चीते लाने के लिए संघर्ष किया. लेकिन वे अपनी आंखों से फिर चीते देखने का ख्वाब लिए ही इस दुनिया से विदा हो गए. अब एक बार देश में फिर से चीतों की वापसी हुई है तो चीतेदारों का ये आखिरी परिवार काफी भावुक हो गया. उन्होंने राजस्थान में भी फिर से चीते लाने की इच्छा को पूरा करने की दरख्वास्त देश के पीएम नरेंद्र मोदी से की है.
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Tags: Asiatic Cheetah, Jaipur news, Rajasthan news, Wildlife news in hindiFIRST PUBLISHED : September 22, 2022, 09:44 IST