बूंदी के राजा राव सूरजमल हाड़ा की छतरी को लेकर खींची तलवारें जानें कौन थे

Bundi News: बूंदी के शासक रहे राव राजा सूरजमल हाड़ा की छतरी को लेकर मचा बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है. जानें क्या है राव राजा सूरजमल हाड़ा का इतिहास. वे किनके बेटे थे और तुलसी गांव में कैसे बनी उनकी छतरी.

बूंदी के राजा राव सूरजमल हाड़ा की छतरी को लेकर खींची तलवारें जानें कौन थे
बूंदी. कोटा के ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट के लिए कोटा विकास प्राधिकरण (KDA) की ओर से तोड़ी गई बूंदी के राजा राव सूरजमल हाड़ा की तुलसी गांव में स्थापित 600 साल पुरानी छतरी का विवाद गहरा गया है. रियासतकालीन छतरी को ध्वस्त किये जाने का केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, पूर्व केन्द्रीय मंत्री भंवर जितेन्द्र सिंह, कोटा के पूर्व सांसद एवं राजपरिवार के सदस्य इज्यराज सिह और स्थानीय विधायक हरिमोहन शर्मा की ओर से विरोध दर्ज करवाये जाने से अब मामला अब और सुलगता जा रहा है. हालांकि इस मामले में केडीए और कोटा जिला प्रशासन ने बैकफुट पर आते हुए छतरी को ध्वस्त करने के मामले में तहसीलदार प्रवीण कुमार समेत तीन कर्मचारियों का सस्पेंड कर दिया है लेकिन विवाद अभी थमा नहीं हैं. अब छतरी को वापस उसी स्थान पर बनाने के साथ ही एयरपोर्ट का नामकरण राव सूरजमल हाड़ा के नाम पर करने की मांग होने लगी है. मांग पूरी नहीं होने पर राजपूत समाज सहित सर्व समाज के लोगों आगामी 8 अक्टूबर को कार सेवक के रूप में वहां पहुंच कर छतरी का पुर्ननिर्माण शुरु करने का ऐलान किया है. छतरी का निर्माण 1527-1531 के बीच हुआ था इतिहासकार राजकुमार दाधीच बताते हैं कि राव सूरजमल हाड़ा की छतरी का निर्माण (1527-1531) तुलसी गांव के पास किया गया था. बूंदी के परम प्रतापी शूरवीर और 9वें शासक राव सूरजमल हाड़ा के विषय में महाकवि सूर्यमल मिश्रण की ओर से लिखे गए चारण साहित्य के अनुसार उसके लिए तुलसी गांव में उस समय वहां 14 बिस्वा का परिसर था. इनमें 13 बीघा जमीन बल्लोप में खातेदारी अधिकार में दर्ज बताई गई है. उस पर लंबे समय से लोगों का अवैध कब्जा है. राव सूरजमल के हाथ घुटनों तक आते थे इतिहासकार दाधीच बताते हैं कि राणा सांगा के पुत्र रतन सिंह और राव नारायणदास के पुत्र सूरजमल हाड़ा के मध्य युद्ध हुआ था. चारण साहित्य के अनुसार राव सूरजमल के हाथ घुटनों तक आते थे. इसलिए उन्हें आजानुबाहु कहा जाता था. राव सूरजमल की बहन सूजा बाई का विवाह रतन सिंह से संपन्न हुआ था. बूंदी-मेवाड़ सीमावर्ती राज्य होने से सर्वाधिक वैवाहिक संबंध भी इनमें ही होते थे. वहीं छोटी-छोटी बातों में युद्ध भी हो जाता था. राव सूरजमल पर धोखे से वार किया गया एक समय राव सूरजमल के की ओर से किया गया मजाक राणा रतन सिंह को ऐसा चुभा कि वे उसे भुला नहीं सके. राणा रतन सिंह ने उसे स्वयं का अपमान समझ उसका प्रतिशोध लेने की ठान ली. उसके बाद वे एक बार शिकार के बहाने बूंदी आए और राव सूरजमल को अकेले ही तुलसी के जंगलों में शिकार के लिए ले गए. वहां रतन सिंह ने पहले ही कुछ सेना छिपा रखी थी. तुलसी के जंगलों में जैसे ही सूरजमल शिकार की होदी में चढ़ने लगे तभी उन पर सैनिकों ने तीरों और भालों से प्रहार कर दिया. सूरजमल पर एक टीवी चैनल पर ‘रक्त’ सीरियल भी बन चुका है घायल बूंदी नरेश अचेत होकर गिर पड़े. तब रतन सिंह उनके सामने आकर कहने लगे कि क्या यही है बूंदी का शेर… कुछ क्षणों में सूरजमल की बेहोशी टूटी और उन्होंने रतन सिंह पर कटार से प्रहार कर उनका वध कर दिया. उनके साथी सैनिकों को मारकर स्वयं भी वीरगति को प्राप्त हुए. उसके बाद वहीं पर राव राज सूरजमल की छतरी बनाई गई. राव सूरजमल हाड़ा की छतरी राव सूरजमल पर एक टीवी चैनल पर ‘रक्त’ सीरियल भी बन चुका है. Tags: Big news, History of India, Rajasthan newsFIRST PUBLISHED : September 26, 2024, 15:41 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed