Barmer: कब्रिस्तान में लहलहा रहे हिंदू धर्म के मान्यता वाले 2000 पौधे बुजुर्ग खादिम की मेहनत रंग लाई
Barmer: कब्रिस्तान में लहलहा रहे हिंदू धर्म के मान्यता वाले 2000 पौधे बुजुर्ग खादिम की मेहनत रंग लाई
71 वर्षीय खादिम कासिम शाह पिछले 43 साल से बाड़मेर के इस कब्रिस्तान की खिदमत कर रहे हैं. उनकी मेहनत की बदौलत यहां यहां हजारों औषधीय और फलदार पौधे लहलहा रहे हैं इनमें सफेद आक, पीपल, वट, तुलसी, शमी, आंवला, बरगद, बेल, नीम के पेड़ और पौधे शामिल हैं
मनमोहन सेजू
बाड़मेर. राजस्थान के सरहदी जिले बाड़मेर स्थित कब्रिस्तान कब्रों के अलावा यहां लगाए गए पेड़-पौधों की वजह से भी पहचाना जाता है. यह कब्रिस्तान वर्ष 2009 से पहले बबूल की झाड़ियों की आगोश में था. उस वक्त के मुस्लिम इंतजामिया कमेटी के सदर अशरफ़ अली ख़िलजी की पहल पर यहां पौधारोपण की पहल की गई थी. वर्ष 1980 से इस कब्रिस्तान में काम कर रहे खादिम कासम शाह की मेहनत की बदौलत यहां हजारों औषधीय और फलदार पौधे लहलहा रहे हैं.
पीपल, तुलसी, रुद्राक्ष और बेल पत्र हिंदू धर्म के लिए बरसों से पूजनीय रहा है. हिंदू धार्मिक मान्यता वाले सैकड़ों पौधे अगर मुस्लिमों के कब्रिस्तान में नजर आए तो यकीनन हर कोई चौमक जाएगा. वर्ष 2009 में बाड़मेर के कब्रिस्तान में 400 औषधीय पौधों के साथ शुरू हुआ यह सफर आज 2,000 से भी अधिक पौधों का हो चला है.
औषधीय गुणों के बारे में भी दी जानकारी
खास बात यह कि पीपल, तुलसी, रुद्राक्ष और बेल पत्र सरीखे हिन्दू धर्म के लिए बरसों से पूजनीय पौधों को कब्रिस्तान में लगाया गया है. खादिम कासम शाह का कहना है कि साल 2009 में 400 औषधीय पौधों को यहां लगाने का काम शुरू हुआ था. आज यहां 2,000 पौधे लहलहा रहे हैं. उन्होंने इन पौधों की देखभाल अपने बच्चों की तरह की है. यहां आने वाले लोगों को वो इनके औषधीय गुणों के बारे में बताते हैं.
पेड़- पौधों के धार्मिक महत्व को बताना उद्देश्य
71 वर्षीय कासिम शाह पिछले 43 साल से इस कब्रिस्तान की खिदमत कर रहे हैं. यहां सफेद आक, पीपल, वट, तुलसी, शमी, आंवला, बरगद, बेल, नीम के पेड़ और पौधे लहलहाते नजर आते हैं.
स्थानीय नागरिक अबरार मोहम्मद का कहना है कि हिंदू संस्कृति में कई पौधों और पेड़ों को बहुत शुभ माना जाता है. लोग न केवल इनका पूजन करते हैं, बल्कि इन पेड़ों का उपयोग घर से नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने के लिए भी किया जाता है. अलग-अलग ग्रन्थों और पुराणों में अनेक वृक्षों को दिव्य वृक्ष कहा गया है. यही वजह है कि आधुनिक समय में भी लोग वृक्षों की पूजा करते हैं. हमारे कब्रिस्तान में इन पेड़-पौधों को लगाने के पीछे लोगों को इनके धार्मिक महत्व को बताना है. साथ ही इनके औषधीय गुणों के बारे में भी जानकारी पहुंचानी है. यही वजह रही कि 400 पौधों से शुरू हुआ यह कारवां 2,000 से ज्यादा पेड़ पौधों तक पहुंच चुका है.
सर्वधर्म का इंकलाब बुलंद
बाड़मेर शहर के बीचों बीच स्थित इस कब्रिस्तान में ऐसा कोई कोना नहीं है जहां हरियाली की चादर न हो. जिस जगह मैय्यत पर संवेदना की मिट्टी डाली जाती है उसके पास लहलहाते हजारों पौधे सर्वधर्म का इंकलाब बुलंद करते नजर आ रहे हैं.
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Tags: Barmer news, Plantation, Rajasthan news in hindiFIRST PUBLISHED : October 31, 2022, 17:09 IST