रामगढ़: क्या कांग्रेस बचा पाएगी अपनी सीट या फिर जय बनाएंगे बीजेपी को विजय
रामगढ़: क्या कांग्रेस बचा पाएगी अपनी सीट या फिर जय बनाएंगे बीजेपी को विजय
Ramgarh Assembly by-election : कांग्रेस के वर्चस्व वाली अलवर जिले की रामगढ़ सीट पर बीजेपी और कांग्रेस में जबर्दस्त मुकाबला होने के आसार लग रहे हैं. यहां बीजेपी में पहले बगावत हो गई थी लेकिन पार्टी ने समय रहते उस पर काबू पा लिया है. यहां सुखवंत सिंह और आर्यन खान के बीच मुकाबला है.
नितिन शर्मा.
अलवर. राजस्थान में हो रहे सात विधानसभा सीटों के उपचुनाव में अलवर की रामगढ़ सीट खासा चर्चा में बनी हुई है. राजस्थान और हरियाणा के बॉर्डर पर मेवात इलाके की यह सीट पहले कांग्रेस के कब्जे में थी. यहां के विधायक जुबेर खान का बीते दिनों बीमारी के कारण निधन हो गया था. कांग्रेस ने यहां जुबेर खान के बेटे आर्यन खान को चुनाव मैदान में उतारकर सहानुभूति का कार्ड खेला है. कांग्रेस का मुकाबले करने पूरे दमखम के साथ चुनाव मैदान में डटी बीजेपी में पहले यहां बगावत का खतरा पैदा हो गया था. लेकिन उसने समय रहते डैमेज कंट्रोल कर लिया. इससे अब यहां कांग्रेस और बीजेपी में मुकाबला कड़ा हो गया है.
बीजेपी ने यहां से सुखवंत सिंह को प्रत्याशी बनाया है. कांग्रेस प्रत्याशी आर्यन खान युवा हैं. वहीं सुखवंत सिंह की उम्र आर्यन से लगभग दोगुनी है. सुखवंत सिंह राजनीति के पुराने खिलाड़ी हैं. उन्हें तीन चुनाव फाइट करने का अनुभव है. लेकिन आर्यन का यह पहला चुनाव है. सुखवंत सिंह 2010 से राजनीति में आ गए थे. वे लक्ष्मणगढ़ पंचायत समिति से प्रधान बने. उसके बाद भाजपा में पूरी तरह सक्रिय हो गए.
सुखवंत सिंह ने पिछली बार कर दी थी बगावत
भाजपा ने 2018 में ज्ञानदेव आहूजा का टिकिट काटकर सुखवंत प्रत्याशी बनाया था. लेकिन वे कांग्रेस की सफिया खान से चुनाव हार गए थे. उसके बाद 2023 के चुनाव में भाजपा ने सुखवंत सिंह का टिकट काटकर अपने पूर्व विधायक ज्ञानदेव आहूजा के भतीजे जय आहूजा को टिकट दे दिया था. लेकिन सुखवंत सिंह यह बात हजम नहीं कर पाए और उन्होंने बगावत कर दी थी. वे आजाद समाज पार्टी के बैनर पर मैदान में उतर गए.
पिछले चुनाव में सुखवंत को करीब 74 हजार वोट मिले थे
उस दौरान सुखवंत सिंह के साथ सहानुभूति की लहर चली. इसके साथ ही दलितों की पार्टी माने जाने वाली आसपा के प्रत्याशी होने से उन्हें एससी-एसटी के वोटों का लाभ मिला. सुखवंत सिंह को उस चुनाव में करीब 74 हजार वोट मिले. वे दूसरे नंबर पर रहे थे. इस चुनाव में कांग्रेस के जुबेर खान विधायक बने थे. भाजपा ने सुखवंत सिंह को पार्टी गतिविधियों में लिप्त मानते हुए उनको निष्कासित कर दिया था.
उपचुनाव में सुखवंत सिंह टिकट लेने में बाजी मार गए
बीते लोकसभा चुनावों में अलवर प्रत्याशी भूपेंद्र यादव उन्हें फिर एक बार पार्टी में लेकर आए. भूपेंद्र यादव अलवर से सांसद बने और वे केंद्रीय मंत्री भी हैं. अब अलवर जिले में भाजपा की राजनीति सिर्फ भूपेंद्र यादव के निर्णयों के इर्द गिर्द ही घूमती नजर आती है. इस दौरान रामगढ़ विधायक जुबेर खान का निधन हो गया. रामगढ़ के उपचुनाव में सुखवंत सिंह टिकट लेने में बाजी मार गए. लेकिन इस बार यह बात जय आहूजा को हजम नहीं हुई और उन्होंने बगावती तेवर अपना लिए.
बगावत पर उतरे जय आहूजा को जल्दी ही मना लिया
इससे लगने लगा था कि रामगढ़ में भाजपा फिर बगावत के चलते एक बार फिर से चुनाव हार जाएगी. लेकिन पार्टी नेताओं ने बगावत पर उतरे जय आहूजा को जल्दी ही मना लिया. बड़े नेताओं की बात मान कर सुखवंत सिंह के पक्ष में आ गए. सुखवंत सिंह ने अपने नामांकन के दौरान हुई जनसभा में भारी भीड़ दिखाकर मुख्यमंत्री से लेकर भूपेंद्र यादव और प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ को बता दिया है कि आज भी उनकी क्षेत्र में पकड़ मजबूत है.
आर्यन के पास राजनीतिक विरासत है
आर्यन जुबेर खान का भले ही यह पहला चुनाव है लेकिन उनके पास अपने पिता जुबेर खान और मां सफिया खान की राजनीतिक विरासत है. वे उन दोनों के चुनावों में भी पहले पूरी तरह सक्रिय रहते आए हैं. उनका पूरा मैनेजमेंट आर्यन खान की देखा करते थे. लिहाजा राजनीति का मैदान उनके लिए नया नहीं है. जुबेर खान के लिए कहा जाता है उनकी पकड़ सिर्फ मुस्लिम मतदाताओं पर ही नहीं थी बल्कि उनके काफी संख्या में हिंदू भी समर्थक रहे हैं.
कांग्रेस यहां सहानुभूति की लहर पर सवार है
यही वजह रही कि जुबेर रामगढ़ से चार बार विधायक बने. वहीं आर्यन की मां सफिया खान भी एक बार विधायक रह चुकी हैं. अब जुबेर खान के निधन के बाद उनके छोटे बेटे आर्यन को कांग्रेस ने प्रत्याशी बनाया है. माना जा रहा है आर्यन को जुबेर खान के असामयिक निधन के कारण आर्यन को चुनाव में उनके प्रति सहानुभूति का लाभ मिलेगा. कांग्रेस यहां सहानुभूति की लहर पर सवार है.
सफिया खान प्रचार में नजर नहीं आएंगी
इस चुनाव में आर्यन की मां पूर्व विधायक सफिया खान प्रचार में नजर नहीं आएंगी. क्योंकि मुस्लिम समाज में शौहर के इंतकाल के बाद इद्दत परंपरा होती है. उसके मुताबिक कि पति की मौत के बाद पत्नी 130 दिन तक घर पर ही रहती है. ऐसे में इस सामाजिक परंपराओं के चलते वे बाहर नहीं निकल पा रही हैं. अब देखना होगा आखिर इस चुनाव में कौन बाजी मारता है सुखवंत या आर्यन.
Tags: Alwar News, Assembly by election, Rajasthan news, Rajasthan PoliticsFIRST PUBLISHED : October 26, 2024, 13:51 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed