जहां नक्सलियों के डर से कांपते थे लोग वहां घुसकर बैठ गए सुरक्षा बल जानें कैसे हुआ कमाल!

Jamui News: जमुई के जिस इलाके में मुंगेर के एसपी के सी सुरेंद्र बाबू नक्सल हमले में शहीद हुए, अब उस इलाके के लोग चैन की सांस ले रहे हैं. जिस जंगल मे नक्सलियों के बड़े और छोटे नेता का बसेरा रहता था, जहां के जंगल में नक्सलियों के ट्रेनिंग कैम्प चलता था, अब वहां सुरक्षबलों का डेरा लग गया है.

जहां नक्सलियों के डर से कांपते थे लोग वहां घुसकर बैठ गए सुरक्षा बल जानें कैसे हुआ कमाल!
जमुई. आजादी के बाद जिस जंगल में कई दशकों से नक्सलियों की धमक थी वहां अब सीआरपीएफ की मौजूदगी हो चुकी है, वह भी 24 घंटे. जिले के बरहट और लक्ष्मीपुर इलाके के घने जंगलों और पहाड़ों के बीच चौरमारा में सीआरपीएफ का स्थायी कैम्प लग गया है. यही कारण है कि अब इस इलाके में नक्सली नहीं दिखते और अब शांति है. दरअसल, मुंगेर जिले का भीमबांध का इलाका से सटा जमुई जिले का लक्ष्मीपुर और बरहट प्रखंड के जंगल और उस इलाके के गांव अब नक्सल मुक्त हो चुके हैं. यहां के लोगों की मानें तो अब वे सुरक्षित हैं. बता दें कि जमुई जिले का बरहट और लक्ष्मीपुर इलाके का जंगल, मुंगेर और लखसिराय जिले के जंगलों से सटा है. तीनों जिलों की सीमा पर बसा दर्जनों पहाड़ियों वाला यह जंगली इलाका लंबे भूभाग में फैला है. यहां सड़क और संचार की सुविधा नहीं थी. इस जंगल वाले इलाके में नक्सली संगठन भाकपा माओवादी का बोलबाला था. आजादी के बाद अभी तक इस इलाके के गांववाले नक्सलियों के दमन और प्रताड़ना के शिकार थे. यहां नक्सली संगठन में शामिल होना और उन्हें मदद करना मजबूरी भी थी. पुलिस और प्रशासन के इन इलाकों में नहीं पहुंचने से यह नक्सलियों का गढ़ बन चुका था. लाल गलियारे के नाम से पहचान रखनेवाला यह इलाका नक्सलियों के शरण स्थली, कैम्प के लिए पहचान रखता था. इस जंगल से निकलकर नक्सली कई जिलों यहां तक कि दूसरे राज्य में जाकर वारदात को अंजाम देते थे. लेकिन, बीते कुछ वर्षों में सुरक्षा बलों का आना जाना, घंटों तक जंगल मे सुरक्षा बलों का रुकना शुरू हुआ. नक्सलियों पर सुरक्षाबलों की दबिश और फिर इस साल फरवरी महीने में चौरमारा गांव में सीआरपीएफ ने स्थायी कैम्प बना लिया. चौरमारा गांव में सीआरपीएफ के स्थायी कैम्प और 24 घंटे सुरक्षबलों के रहने और प्रशासन के लोगों का आना जाना नक्सलियों के ठिकाने को ध्वस्त कर दिया. आदिवासी बहुल चौरमारा, गुरमाहा, सोनरवा, जमुनिया टांड़, कारमेघ, अदवरिया जैसे गांव के लोग चैन का सांस ले रहे हैं; क्योंकि अब इस इलाके में नक्सली नहीं दिखते. चौरमारा गांव के जगन्नाथ कोड़ा और जयवंती देवी का कहना है कि सीआरपीएफ के कैम्प लग जाने से लोग राहत का सांस ले रहे हैं और रात को चैन से सोते हैं. पहले हमेशा खौफ बना रहता था. नक्सलियों के आने जाने से भय का माहौल रहता था. स्कूलों को विस्फोट कर उड़ा दिया गया था. शिक्षकों को नक्सली अगवा कर लेते थे. मगर अब स्कूल खुल रहे हैं और बच्चे पढ़ने लगे हैं. इसी गांव के युवा सुरेंद्र कोड़ा और जयराम कोड़ा ने बताया कि अब उन्हें सुरक्षा तो मिल गयी है अगर बुनियादी सुविधा भी बढ़ जाए तो जिंदगी आसान हो जाएगी. अब वे लोग रोजगार के लिए बेखौफ होकर कमाने जा रहे हैं जबकि पहले हमेशा डर बना रहता था कि घरवालों के साथ कोई अनहोनी न हो जाये. नक्सलियों के गढ़ में सीआरपीएफ का ठिकाना से जंगल के गांव के लोग अब सुरक्षित हैं. दरअसल, हाल के वर्षो और महीनों में बालेश्वर कोड़ा, नागेश्वर कोड़ा और अर्जुन कोड़ा जैसे इनामी नक्सली सरेंडर ही नहीं किया; बल्कि दर्जनों नक्सली गिरफ्तार भी हुए. नक्सल समस्या से जूझ रहा इस इलाके में शांति स्थापित होने के बाद अब विकास होने लगा है. जिले के डीएम अवनीश कुमार सिंह का साफ कहना है कि जंगल मे सुरक्षाबलों का स्थाई कैम्प तस्वीर बदल दी है. पहले कोई सरकारी कर्मी या अधिकारी उन इलाकों में नहीं जा पाते थे, जिस कारण सरकारी योजना वहां नहीं पहुंचती थी. लेकिन, अब सरकार के लोग जा रहे हैं धीरे-धीरे योजनाओं को उन तक पहुंचाया जा रहा है. आने वाले एक दो साल में इन इलाकों में विकास की तस्वीर साफ हो जाएगी. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी | FIRST PUBLISHED : September 27, 2022, 09:20 IST