Opinion: ताकि राहुल पर सवाल न उठे रेत का टीला ढहने से पहले खरगे की अदद कोशिश

Lok Sabha Chunav: I.N.D.I.A की बैठक चार जून से पहले एक जून को रखी गई है, हालांकि ममता बनर्जी और स्टालिन ने आने से मना कर दिया. पर, चर्चा इस बात की है कि चुनाव परिणाम से पहले किस बात पर चर्चा होगी.

Opinion: ताकि राहुल पर सवाल न उठे रेत का टीला ढहने से पहले खरगे की अदद कोशिश
हाइलाइट्स I.N.D.I.A की बैठक चार जून से पहले एक जून को रखी गई है बैठक में ममता बनर्जी और स्टालिन ने आने से मना कर दिया. दरअसल चुनाव हारने के बाद राहुल गांधी के विदेश जाने का रिकॉर्ड तगड़ा है. नई द‍िल्‍ली. पार्ट टाइम पॉलिटिक्स, फुल टाइम पर्यटन और पाखंड जो नेता करेगा, उसको नानी याद आएगी और जब नानी याद आती है तो वो कहां पहुंच जाते हैं इसका पता सिर्फ उनको ही होता है- मुख्तार अब्बास नकवी. राहुल गांधी पर ये तंज चार साल पुराना है. 2020 का, जब कांग्रेस की स्थापना दिवस से पहले वो इटली चले गए. बीमार नानी को देखने. घर-परिवार में ऐसा हो जाए तो फर्ज भी बनता है. राहुल हर साल लगभग 65 बार विदेश जाते हैं. हार्वर्ड, ऑक्सफॉर्ड और विदेश नीति-कूटनीति के थिंक टैंक्स में इधर अपना विचार रखने लगे हैं. कई बार नहीं बार-बार ट्रोल भी हो जाते हैं. कई बार विदेश जाने की टाइमिंग विपक्ष को परेशान कर देती है. खास कर चुनावी सीजन में. और अभी तो लोकसभा चुनाव की गर्मी चरम पर है. परिणाम चार जून को आ रहा है. आज एग्जिट पोल के रिजल्ट आएंगे. राहुल ने अपना प्लान फिलहाल नहीं बताया है लेकिन अमित शाह ने एक और तंज कस दिया है. देवरिया की रैली में अमित शाह ने एक भविष्यवाणी की – चार जून को वोटों की गिनती सात बजे शुरू होगी. एक बजे तक तस्वीर साफ हो जाएगी. तीन बजे राहुल गांधी प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे और ईवीएम को हार के लिए जिम्मेदार ठहराएंगे. छह जून का उनका टिकट बुक है. वो बैंकॉक-थाईलैंड निकल जाएंगे. इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी भी खुलकर अटैक कर चुके हैं. उन्होंने तो लखनऊ और दिल्ली दोनों के शहजादों पर तंज कस दिया- ये गर्मी छुट्टी मनाने विदेश चले जाएंगे. आज दोनों ‘शहजादे’ अखिलेश यादव और राहुल गांधी साथ-साथ बैठे हैं. I.N.D.I.A की बैठक चार जून से पहले एक जून को रखी गई है, हालांकि ममता बनर्जी और स्टालिन ने आने से मना कर दिया. पर, चर्चा इस बात की है कि चुनाव परिणाम से पहले किस बात पर चर्चा होगी. शायद कांग्रेस को लग रहा हो कि नतीजे उनेक पक्ष में आएंगे. मुझे तो अलग अंदाजा है. मोदी के मुकाबले रैलियों में 172-107 और इंटरव्यूज में 80-1 से पीछे रहे राहुल गांधी को गठबंधन के नेता के तौर पर बनाए रखना और इससे ज्यादा इस सच को जताने की एक अदद कोशिश मल्लिकार्जुन खरगे ने की है. हो सकता है चार जून के बाद रेत का टीला ढह जाए. तो पहले से कुछ तैयारी चल रही है. पार्ट टाइम पॉलिटिक्स, फ़ुल टाइम पर्यटन और पाखंड जो नेता करेगा, उसको नानी याद आएगी और जब नानी याद आती है तो वो कहां पहुंच जाते हैं इसका पता सिर्फ उनको ही होता है: केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता मुख्तार अब्बास नक़वी pic.twitter.com/kvp0hM4b2y — ANI_HindiNews (@AHindinews) December 29, 2020

दरअसल चुनाव हारने के बाद राहुल गांधी के विदेश जाने का रिकॉर्ड तगड़ा है. पर इस मुगालते में मत रहिए कि जीतने के बाद नहीं जाते. 2018 में कर्नाटक विधानसभा चुनाव जीतने के बाद कैबिनेट विस्तार सिर्फ इसलिए टाला गया क्योंकि राहुल सीमा पार थे. फिर भी हार ज्यादा बड़ी चुनौती होती है. संगठन को सशक्त बनाए रखने के लिए ऐसे मौकों पर शीर्ष नेता की जरूरत होती है. लेकिन राहुल निकल लेते हैं और बीजेपी को छूट दे देते हैं कि वो पप्पू वाले नैरेटिव को आगे बढ़ाए. मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान विधानसभा चुनाव में शर्मनाक हार को देख लीजिए. न्याय यात्रा के बाद हिमाचल प्रदेश -कर्नाटक में मिली जीत तो विदेश टूर के लायक हो सकती है लेकिन लोकसभा चुनाव से पहले सेमीफाइनल की हार कैसे. पर राहुल तीन दिसंबर को मिले हार का गम भुलाने 9 दिसंबर को निकल गए. वियतनाम, सिंगापुर, मलेशिया और इंडोनेशिया में ज्ञान देने के कई कार्यक्रम पहले से सेट थे.

यही हाल पंजाब विधानसभा चुनाव 2022 में दिखी. कांग्रेस के प्रचार का आगाज तीन जनवरी को राहुल गांधी की रैली से होना था लेकिन वो नदारद थे और रैली कैंसिल करनी पड़ी. सिलसिला 2015 दिल्ली विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद से जारी है. इसलिए सवाल 2024 में भी उठ रहे हैं. खुद पीएम और देश के गृह मंत्री राहुल के फ्यूचर प्लान को रैलियों में रख चुके हैं. तो क्या इन्हीं सवालों का तेज कुंद करने के लिए रिजल्ट से पहले ही बैठक बुलाई गई और राहुल गांधी प्रमुखता से उसमें शामिल हो गए? देखते हैं चार जून को चुनाव परिणाम आने के बाद छह जून को राहुल कहां होते हैं.

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