POCSO Act: झारखंड से कर्नाटक तक नाबालिगों के खिलाफ ऐसे बढ़ते गए अपराध
POCSO Act: झारखंड से कर्नाटक तक नाबालिगों के खिलाफ ऐसे बढ़ते गए अपराध
POCSO Act Risisng Crimes: एनसीआरबी की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, 2021 में दर्ज बच्चों के खिलाफ अपराध के कुल 1,49,404 मामलों में 53,874 पॉक्सो के तहत दर्ज किए गए थे. इनमें लड़कों और लड़कियों दोनों की दर में लगातार वृद्धि हुई थी. 2020 में बच्चों के खिलाफ अपराध के कुल 1,28,531 मामलों में 47,221 पॉक्सो के तहत दर्ज किए गए. जबकि 2019 में 1,48,185 केस में कुल 47,335 इस अधिनियम के तहत दर्ज किए गए.
हाइलाइट्स POCSO के तहत पंजीकृत बच्चों के खिलाफ एक तिहाई अपराध 2021 में POCSO के तहत सबसे अधिक 7129 केस यूपी में दर्जPOCSO में अधिकतम सजा आजीवन कारावास और जुर्माने का प्रावधान
नई दिल्ली. झारखंड के दुमका (Jharkhand’s Dumka) में जिंदा जलाई गई नाबालिग लड़की की मौत और कर्नाटक के साधु की नाबालिग लड़कियों से यौन उत्पीड़न (Karnataka seer accused of sexually assaulting) का मामला इनदिनों चर्चा में है. दोनों मामलों में प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस यानी POCSO अधिनियम के तहत केस दर्ज किए गए हैं और जांच जारी है. कर्नाटक में मुरुघा मठ के मुख्य पुजारी शिवमूर्ति मुरुघा शरणारू पर हाई स्कूल की लड़कियों के कथित यौन शोषण के लिए POCSO के तहत मामला दर्ज किया गया है. वहीं, दुमका में लड़की की मौत के मामले में बाद में पॉक्सो अधिनियम की धाराएं जोड़ी गईं, क्योंकि वह नाबालिग पाई गई थी.
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की नवीनतम रिपोर्ट को देखें तो 2021 में बच्चों के खिलाफ अपराध के 1,49,404 मामले दर्ज किए गए. इनमें 53,000 (36.05 प्रतिशत) से अधिक मामले पॉक्सो के अधीन थे.
POCSO के तहत पंजीकृत बच्चों के खिलाफ एक तिहाई अपराध: NRCB डेटा
एनसीआरबी की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, 2021 में दर्ज बच्चों के खिलाफ अपराध के कुल 1,49,404 मामलों में 53,874 पॉक्सो के तहत दर्ज किए गए थे. इनमें लड़कों और लड़कियों दोनों की दर में लगातार वृद्धि हुई थी. 2020 में बच्चों के खिलाफ अपराध के कुल 1,28,531 मामलों में 47,221 पॉक्सो के तहत दर्ज किए गए. जबकि 2019 में 1,48,185 केस में कुल 47,335 इस अधिनियम के तहत दर्ज किए गए.
एनसीआरबी डेटा 2020 और 2019 की तुलना में दर (प्रति 1 लाख बच्चों पर घटनाएं) में वृद्धि दर्शाता है: 2021 में 12.1 (53,276 लड़कियां, 1,083 लड़के) और 2020 और 2019 दोनों में 10.6.
2021 में POCSO के तहत सबसे अधिक मामले (7129) यूपी में दर्ज किए गए. इसके बाद महाराष्ट्र में 6200, मध्य प्रदेश में 6070, तमिलनाडु में 4465 और कर्नाटक में 2813 मामले दर्ज किए गए.
पॉक्सो क्या है?
यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण करने के लिए पॉक्सो एक्ट बनाया गया है. ये 14 नवंबर 2012 से लागू हुआ. इस कानून के जरिए नाबालिग बच्चों के प्रति यौन उत्पीड़न, यौन शोषण और पोर्नोग्राफी जैसे यौन अपराध और छेड़छाड़ के मामलों में कार्रवाई की जाती है. इस कानून के अंतर्गत अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा निर्धारित की गई है. यह कानून एक बच्चे को 18 वर्ष से कम उम्र के किसी भी व्यक्ति के रूप में परिभाषित करता है और विभिन्न प्रकार के यौन अपराधों को भी परिभाषित करता है, जिसमें भेदक और गैर-प्रवेश हमला, यौन उत्पीड़न और अश्लील साहित्य शामिल हैं.
POCSO ने अपराध की गंभीरता के अनुसार कड़ी सजा का प्रावधान किया है, जिसमें अधिकतम सजा आजीवन कारावास और जुर्माना है. भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) विशेष बाल कानून की धारा 44 (1) में प्रावधान है कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एससीपीसीआर) के साथ मिलकर इसके प्रावधानों के कार्यान्वयन की निगरानी करता है.
जब अदालतों ने पॉक्सो पर विवादित टिप्पणी की
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले साल सोशल मीडिया पर यह कहते हुए विवाद खड़ा कर दिया था कि नाबालिग के साथ ओरल सेक्स POCSO के तहत ‘बढ़े हुए यौन हमले’ की श्रेणी में नहीं आता है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 10 साल के लड़के के यौन उत्पीड़न के दोषी व्यक्ति की जेल की सजा को कम करते हुए यह टिप्पणी की थी.
इलाहाबाद हाईकोर्ट की इस टिप्पणी पर सोशल मीडिया यूजर्स की ओर से सुप्रीम कोर्ट के पहले के आदेश की ओर इशारा करते हुए प्रतिक्रिया मिली. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि POCSO अधिनियम के तहत यौन उत्पीड़न के अपराध के लिए ‘स्कीन टू स्कीन’ संपर्क आवश्यक नहीं है.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि POCSO के तहत किसी अपराध पर विचार करने के लिए “स्कीन टू स्कीन” संपर्क आवश्यक नहीं है. शीर्ष अदालत ने इसे “कानून की संकीर्ण व्याख्या” कहा और बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश को पलट दिया था. बॉम्बे हाईकोर्ट एक व्यक्ति को यह कहते हुए बरी कर दिया था कि एक नाबालिग के ब्रेस्ट को ‘स्कीन टू स्कीन संपर्क’ के बिना टटोलना POCSO के तहत यौन हमला नहीं कहा जा सकता है.
यह बताते हुए कि पॉक्सो का उद्देश्य बच्चों को यौन शोषण से बचाना है, शीर्ष अदालत ने कहा कि यौन इरादे से किया गया शारीरिक संपर्क पॉक्सो के अंतर्गत आता है, और “त्वचा से त्वचा” संपर्क मानदंड नहीं है.
कर्नाटक और झारखंड का दुमका मामला
कर्नाटक पुलिस ने चित्रदुर्ग जिले के एक प्रमुख लिंगायत संत के खिलाफ पॉक्सो (यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण) का मामला दर्ज किया है. बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) की शिकायत के आधार पर नजराबाद पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है. मैसूर के एनजीओ ओदानदी ने पीड़ितों के साथ सीडब्ल्यूसी से संपर्क किया था और कानूनी कार्रवाई की मांग की थी. पुलिस ने बताया कि आरोपी लिंगायत संत हाल ही में राहुल गांधी से कर्नाटक दौरे के दौरान मिले थे और स्वामीजी ने उन्हें लिंगा दीक्षा दी थी. स्वामीजी ने मेकेदातु परियोजना को शुरू करने की मांग करते हुए पदयात्रा में भी भाग लिया था. पुलिस ने जांच शुरू कर दी है. मामला चित्रदुर्ग ट्रांसफर होने की संभावना है.
वहीं, दुमका मामले में 23 अगस्त को शाहरुख नाम के एक शख्स ने 16 साल की लड़की को एकतरफा प्यार की सनक में घर में घुसकर जिंदा जला दिया था. शाहरुख ने लड़की को शादी के लिए कहा था, लड़की के इनकार करने पर उसने ऐसे बदला लिया. 28 अगस्त को लड़की की मौत हो गई. आरोपी शाहरुख ने कथित तौर पर 12वीं कक्षा की लड़की के कमरे की खिड़की के बाहर से पेट्रोल डाला था, जब वह सो रही थी. नाबालिग लड़की 90 फीसदी जल गई थी. रिम्स में उसका इलाज चल रहा था.
इससे पहले, पुलिस द्वारा दर्ज बयान में मृतका की उम्र 19 साल बताई गई थी, जिसे बाद में सुधार कर 16 कर दिया गया था. बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) ने तब एसपी को मामले में पॉक्सो अधिनियम के तहत धाराएं जोड़ने की सिफारिश की थी. गुरुवार, 1 सितंबर को मामले में पोक्सो की धाराएं जोड़ी गईं.
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Tags: POCSO, POCSO case, POCSO court punishmentFIRST PUBLISHED : September 01, 2022, 16:38 IST