असल लोकनायक धर्म और देश की सीमा से परे कैसे सबके हैं श्रीकृष्ण
असल लोकनायक धर्म और देश की सीमा से परे कैसे सबके हैं श्रीकृष्ण
जन्माष्टमी को मथुरा में जन्म लेने वाले केशव देवता से ज्यादा एक लोकनायक है. यही कारण है कि देश और धर्म से परे जाकर दूसरे धर्म के रचनाकारों ने भी श्रीकृष्ण पर बहुत कुछ लिखा है.
हिंदू मान्यता में श्रीकृष्ण एक ऐसे देवता हैं जो लोकनायक का रूप धर लेते हैं. सोलह कलाओं से संपन्न केशव सर्वशक्तिमान हैं. लेकिन अपने जीवन में ऐसा कुछ नहीं करते जो सिर्फ चमत्कार से हो जाय. किसी को वरदान देते नहीं दिखते. देते हैं तो ज्ञान. जहां भी जरूरत पड़ी वहीं सिखाया. युद्धभूमि में जो ज्ञान दिया, वही गीता के रूप में सामने आया. गांव के ग्वालों को बता दिया कि इंद्र की पूजा करने की जरुरत नहीं है. आवश्यकता तो गोवर्धन के पूजन की है. नाराज इंद्र ने गांव में प्रलय लाने की कोशिश की तो सबको जुटा कर गोवर्धन को ही उठा कर छतरी बना लिया. गांव को बचाया. बताया कि सब मिल कर गोवर्धन उठाने जैसा काम भी कर सकते हैं. कृष्ण के चरित्र ने पढ़ने सुनने वालों को इस कदर लुभाया कि बहुत से मुस्लिम कवियों ने कलम उठा कर कान्हा की प्रशंसा में वैसी ही रचनाएं की जैसा हिंदू कवि कर रहे थे.
नाम या ‘बीजमंत्र’
श्रीकृष्ण अगर सिर्फ देवता रहते तो उनकी पूजा सिर्फ हिंदू ही कर रहे होते. लेकिन कृष्ण का चरित्र और उनकी ज्ञान सभी को लुभाता रिझाता है. यही कारण है कि भारत के अलावा विलायत के तमाम देशों में गोरों को हरे कृष्ण हरे कृष्णा की धुन पर झूमते देखा जा सकता है. इन शब्दों की महिला भी अद्भुत है. इन शब्दों को किसी भी गीत के लय पर गुनगुनाया जा सकता है. कभी भी न पुरानी पड़ने वाली पारंपरिक धुनों की बात की जाय या फिर नई से नई संगीत धुनों की. हरे कृष्णा महामंत्र उस धुन पर बिना किसी छेड़ छाड़ के फिट हो जाता है. इस महामंत्र को रचने वाले थे चैतन्य महाप्रभु. उनके बारे में विश्वास किया जाता है कि वे नाम धुन गाते गाते श्रीकृष्ण के विग्रह में समा ही गए थे.
श्री कृष्ण की अनन्य भक्त मीरा बाई ने भी ऐसी लगन लगाई कि वो भी अपने आराध्य की मूर्ति में समा गईं. ऐसा माना जाता है. ये सही हो या गलत लेकिन उनकी अन्यन्य भक्ति उनकी रचनाओं में भी दिखती है. सीधे कह दिया- म्हारो तो गिरधर गोपाल, दूसरो न कोई. मीरा का कहना तो उनके धर्म के अनुरूप है. लेकिन एकेश्वरवादी इस्लाम के बहुत सारे कवि जब केशव की प्रसंशा में कलम उठा लेते हैं तो दुनिया देखती रह जाती है.
कृष्णलीला पर मुग्ध मुसलमान कवि
कृष्ण भक्ति पर लिखने वाले मुस्लिम कवियों में रसखान, रहीम, नजीर, काजी नजरुल इस्लाम और मियां वाहिद अली के नाम प्रमुखता से आते हैं. लेकिन अमीर खुसरो को नहीं भूलना चाहिए. विंची ऑफ इस्ट कहे जाने वाले अमीर खुसरो ने कृष्ण के चरित्र को अपनी कविता का विषय बनाया है. उनकी रचना – झट पट भर लाओ जमुना से मटकी, बहुत कठिन है डगर पनघट की… या फिर छाप तिलक सब छीनी रे मोसे नयना मिला के….. ये दोनों गीत अपनी रचना के साढ़े सात-आठ सौ साल बाद भी उतने ही लोकप्रिय है, जितने कभी और रहे होंगे. यहां तक कि थोड़ा फेरबदल कर इन्हें फिल्मों में भी शामिल किया गया. फिल्मी गीतों के तौर पर भी आज के दौर में भी ये गीत बहुत लोकप्रिय हैं.
योद्धा थे लेकिन कृष्ण को समर्पण किया
अब्दुल रहीम खानेखाना की बात की जाय तो इनकी पहचान कृष्ण भक्ति पर लिखने वाले कवि के तौर पर जितनी गहरी है उतनी एक बहादुर योद्धा के तौर लोगों के बीच नहीं है. जबकि रहीम एक बड़े सेनापति और बहादुर योद्धा भी थे. उनका एक दोहा देखने योग्य है –
रहिमन कोऊ का करै ज्वारी चोर लबार।
जो पत-राखनहार है माखन चाखनहार॥
विद्रोह के कवि का प्रेमगीत
काजी नजरुल इस्लाम को बांग्लादेश का “विद्रोही कवि” कहा जाता है। उन्होंने कृष्ण भक्ति में डूबकर बहुत सारे गीतों और यहां तक कि भजनों की रचना भी की. नजरुल इस्लाम ने तो कृष्ण लीला का भी वर्णन किया है.
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नजीर की बेनजीर रचनाएं
अपेक्षाकृत नए कवियों में नजीर अकबराबादी ने कृष्ण की लीला का बहुत सुंदर गान किया है. उन्होंने श्रीकृष्ण से जुड़े कुछ प्रसंगों को इस तरह से रचा कि आज रंगकर्मियों उन पर मंचन करके आनंद करते रहते है. उनकी रचना कन्हैया जी का बालपन और कृष्णगीत बहुत प्यारी रचनाओं में शामिल होती है. श्रीकृष्ण की शरारतों पर मोहित नजीर ने शब्दों के जरिए कान्हा की बाललीलाओं को जीवित कर दिया है.
गीता का प्रचार दूसरे धर्मों में भी
सिर्फ मुस्लिम ही नहीं दूसरे धर्म के मानने वाले भी श्रीकृष्ण को गीता के जरिए मानते हैं. गीता को धर्मदर्शन की एक बहुत उम्दा किताब के तौर पर देखा जाता है. ये अकेली किताब है जिसकी प्रतियां बिक्री में बाइबिल को टक्कर देती रहती है. वैसे भी गीता में जिस ज्ञान प्रक्रिया का वर्णन किया गया है वो अद्भुत है.
Tags: Sri Krishna, Sri Krishna JanmashtamiFIRST PUBLISHED : August 26, 2024, 16:09 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed