आदित्यअम कृष्ण/अमेठी: वैसे तो अमेठी में कई मंदिर हैं, जिनका पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व है. ऐतिहासिक महत्वता से जुड़े कई मंदिर ऐसे हैं जो इतिहास और पुराणों में अपनी महिमा प्रमाणित करते हैं. वहीं, अमेठी का एकलौता देवर्षि नारद धाम है, जिसकी महिमा अपरंपार है. मंदिर में दूर-दूर से भक्त दर्शन पूजन करने के लिए आते हैं. यहां नारद धाम और देवर्षि नारद प्रतिमा के साथ कई अन्य छोटे-छोटे देवालय हैं, जो भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं.
गुन्नौर गांव में है नारद धाम
देवर्षि नारद धाम अमेठी जिले के लखनऊ-सुल्तानपुर हाइवे पर मुसाफिरखाना से करीब 6 किलोमीटर दूर दक्षिण दिशा में गुन्नौर गांव में है. यहां उनकी पूजा शताब्दी वर्ष से होती आ रही है. यहां मंदिर की स्थापना यानि जीणोद्धार वर्ष 1996 में गुरु पूर्णिमा के दिन हुआ था.
इस क्षेत्र में देवर्षि नारद की विशेष भूमिका रही है. मंदिर की स्थापना के साथ यहां की प्राचीन कहानी भी है. कहा जाता है कि जब राक्षसों के राजा हिरणकश्यप की पत्नी कयाधू के गर्भ में भगवान विष्णु के भक्त प्रहलाद थे. तब उन्हें देवताओं के राजा इंद्र मारना चाहते थे. क्योंकि उन्हें आशंका थी कि राक्षसों के कुल में एक और राक्षस जन्म लेगा, लेकिन बाद में कायाधु की रक्षा के लिए देवर्षि नारद ने उन्हें यहीं पर लाकर शरण दी और उनकी रक्षा की थी.
देवताओं के राजा इंद्र ने कयाधु को यहां मराने के लिए भी प्रयास किया, लेकिन इन्द्र का वज्रपात भी बार-बार यहां असफल रहा मान्यता है कि तब से लेकर आज तक इस गांव के साथ आस-पास कभी आकाशीय बिजली का प्रकोप नहीं हुआ.
देवर्षि नारद ने की थी शिव की स्थापना
मंदिर में प्राचीन सागर भी मौजूद है, जिसकी मान्यता है कि यहीं पर कायाधु स्नान के लिए जाती थी और फिर भगवान की पूजा करती थी. मंदिर परिसर में ही भगवान शिव का प्राचीन मंदिर विराजमान है. शिव मंदिर का इतिहास शताब्दी वर्ष पुराना है. बुजुर्ग बताते हैं कि यहां पर पर अंग्रेजी शासन काल के हुकूमत के दौरान यहां पर शिव लिंग मूर्ति खोदने का प्रयास किया गया, लेकिन मूर्ति धंसती चली गई. यहां पर स्थापित भगवान शिव मंदिर की स्थापना देवर्षि नारद ने की थी.
भक्तों की पूरी होती है मनोकामना
मंदिर के वरिष्ठ पुजारी स्वामी रामानुजाचार्य महाराज बताते हैं कि मंदिर काफी प्राचीन है और यहां पर सच्चे मन से मान्यता मांगने वाले भक्त की हर मुराद पूरी होती है. कोई भक्त यहां से कभी निराश नहीं गया. उन्होंने बताया कि यह प्राचीन स्थल पौराणिक स्थल है. जिसकी महत्वता इतिहास में भी दर्ज है. वहीं, गांव के एक बुजुर्ग बताते हैं कि मंदिर काफी प्राचीन है. यहां पर अन्य छोटे-छोटे मंदिर जिसमें माता दुर्गा का मंदिर, भगवान शंकर का मंदिर, बजरंगबली का मंदिर है. उन्होंने कहा कि आज तक इस गांव में कभी भी कोई भी जनहानि नहीं हुई. यह सिर्फ और सिर्फ प्रभु की कृपा और उनका आशीर्वाद है.
Tags: Amethi City News, Amethi Latest News, Amethi News Today, Local18FIRST PUBLISHED : June 21, 2024, 13:36 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed