8 जुलाई को अमरनाथ गुफा में तबाही का पता इसलिए नहीं चल पाया था मौसम विभाग के डीजी ने बताई सच्चाई
8 जुलाई को अमरनाथ गुफा में तबाही का पता इसलिए नहीं चल पाया था मौसम विभाग के डीजी ने बताई सच्चाई
IMD DG on Amarnath Cloudburst: 8 जुलाई को पवित्र अमरनाथ गुफा के पास बादल फटने की त्रासदी में 16 श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी. अब भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के प्रमुख एम मोहापात्रा ने कहा कि हम उस समय बादल फटने की घटना से इनकार नहीं कर रहे हैं. लेकिन हमारे पास इसे नापने की कोई तकनीक नहीं है. इसलिए ऐसे हालात का पूर्वानुमान लगाना बेहद कठिन है.
नई दिल्ली. 8 जुलाई को पवित्र अमरनाथ गुफा के पास भयंकर त्रासदी हुई थी. इस दिन इतनी बारिश हुई कि इसमें 50 श्रद्धालु बह गए और इनमें कम से कम 16 लोगों को मौत हुई. ऐसा कहा गया है कि बादल फटने के कारण इतनी जोरदार बारिश हुई जिसमें लोग बह गए. अब मौसम विज्ञान विभाग के प्रमुख एम मोहापात्रा का इस पर बड़ा बयान सामने आया है. मोहापात्रा ने न्यूज 18 से कहा है कि उस दिन बादल फटने की घटना से इनकार नहीं किया जा सकता है. इसके अलावा इतनी ऊंचाई पर बादल फटने की घटना का पूर्वानुमान लगाना लगभग नामुमकिन है.
28 मिलीमीटर वर्षा का पूर्वानुमान था
न्यूज 18 से बात करते हुए एम मोहापात्रा ने बताया, अमरनाथ यात्रा मार्ग के साथ-साथ हमारे पास 15 ऑटोमैटिक वेदर स्टेशन हैं जो मौसम का पूर्वानुमान व्यक्त करता है. इनमें से एक स्टेशन पवित्र अमरनाथ गुफा के ठीक ऊपर है. इस स्टेशन ने 28 मिलीमीटर वर्षा का पूर्वानुमान व्यक्त किया था. लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि बाद फटने की घटना नहीं हुई होगी. निश्चित रूप से, पवित्र गुफा के ऊपरी भाग में जोरदार वर्षा हुई है, जिसके कारण पानी बहुत तेजी से पहाड़ियों से नीचे गिरने लगा. चूंकि हमारे पास वहां कोई वेधशाला नहीं है, इसलिए हम इस घटना की पुष्टि नहीं कर सकते लेकिन हम इसे खारिज भी नहीं करते हैं.
क्या यह बादल फटने की घटना नहीं थी
8 जुलाई को पवित्र अमरनाथ गुफा के पास भयंकर त्रासदी हुई. वैसे यह इलाका सदैव बर्फ से ढकी रहती है. ऐसे में इस त्रासदी ने श्रद्धालुओं का क्या हाल किया होगा, समझा जा सकता है. जब से यह घटना घटी है, इसके प्रारंभिक कारणों को लेकर संदेह पैदा किया जा रहा है. एक तरफ इस घटना के लिए बादल फटने को जिम्मेदार माना जाता है, तो दूसरी तरफ मौसम विभाग शुरू से इस बात को दोहरा रहा है कि यह घटना स्थानीय तीव्र वर्षा के कारण घटी. इसे बादल फटने के रूप में नहीं देखा जा सकता है क्योंकि अगर एक घंटे के अंदर 100 मिलीमीटर वर्षा होती है, तब ही उसे बादल फटने की घटना माना जा सकता है.
यहां के मौसम का पूर्वानुमान लगाना चुनौतीपूर्ण
मेट्रोलॉजिकल डिपार्टमेंट के डीजी ने बताया कि यह क्षेत्र हमेशा बादल फटने की घटना वाला संभावित क्षेत्र है. खासकर तब जब बरसात का मौसम है. चूंकि इसी मौसम में पवित्र गुफा भी खुलती है. लेकिन इतने सूक्ष्म स्केल पर यहां के मौसम का पूर्वानुमान लगाना बहुत ही चुनौतीपूर्ण काम है. उन्होंने कहा कि बादल फटना बहुत ही स्थानीय स्तर की घटना है. यह एक किलोमीटर या उससे भी कम इलाके में घटित होता है. इसका समय भी कुछ मिनट से लेकर एक घंटे से कम का होता है. ऐसे में इस घटना का पूर्वानुमान अपने आप में दुर्लभ है. खासकर पश्चिमी हिमालयी क्षेत्रों में जहां इतनी ऊंची-ऊंची पर्वतमालाएं हैं. ऐसी जगहों पर जमीनी अवलोकन से मौसम का पूर्वानुमान लगाना लगभग असंभव है. ऐसी जगहों पर मौसम का पूर्वानुमान लगाने के लिए हम केवल उपग्रह, रडार और दूर संवेदी अवलोकनों पर निर्भर रह सकते हैं.
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FIRST PUBLISHED : July 14, 2022, 17:19 IST