प्रयागराज में स्थित है पूरी दुनिया में इकलौता भीष्म पितामह का मंदिर

प्रयागराज के तीर्थ पुरोहितों ने हजारों साल पहले इस मंदिर की स्थापना की थी. इस मंदिर में 12 फीट लंबी मूर्ति स्थापित है जिसको तीरों की शैया पर स्थापित किया गया है.

प्रयागराज में स्थित है पूरी दुनिया में इकलौता भीष्म पितामह का मंदिर
रजनीश यादव/ प्रयागराज: प्रयागराज सदियों से धार्मिक पर्यटन का एक महत्वपूर्ण केंद्र रहा है. यह पवित्र शहर गंगा, यमुना और सरस्वती नदी के संगम पर स्थित है, जिसे त्रिवेणी संगम के नाम से जाना जाता है. यहां प्रत्येक 12 वर्ष में आयोजित होने वाला महाकुंभ का मेला हिंदुओं के लिए सबसे पवित्र तीर्थयात्राओं में से एक है.प्रयागराज में महाभारत काल के भीष्म पितामह का एक प्राचीन मंदिर भी स्थापित है जिसकी मान्यता कुछ इस प्रकार है. भीष्म पितामह पूरे महाभारत में सबसे वरिष्ठ एवं सबसे बलशाली योद्धाओं में शामिल थे. वह अपनी सूझबूझ और परिपक्वता की वजह से महाभारत के भीष्म पितामह कहलाए. जिनका एकमात्र मंदिर प्रयागराज के दारागंज में नाग वासुकी मंदिर के समीप स्थित है. जहां दीपावली एवं पितृपक्ष में बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं. मंदिर के संरक्षक पंडित श्याम बिहारी मिश्र बताते हैं कि भीष्म पितामह को इच्छा मृत्यु का वरदान था आज भी ऐसा माना जाता है कि वह जीवित है. इसी वजह से यहां आने वाले श्रद्धालु अपने और अपने परिवार के लोगों के लिए लंबी उम्र की दुआओं की कामना करते हैं. 12 फिट लंबी है इनकी मूर्ति दारागंज में स्थित भीष्म पितामह का या मूर्ति भारतवर्ष में एकमात्र है जो 12 फीट लंबी है भीष्म पितामह यहां बड़ों की सैया पर लेते हुए हैं. या उसी मुद्रा में बनी है जब जैसे की अर्जुन के द्वारा भीष्म पितामह को बड़ों की सैया पर लेटा दिया गया था लेकिन उनकी मृत्यु नहीं हो रही थी क्योंकि उनको इच्छा मृत्यु का वरदान था. इस प्रकार की मुद्रा में भीष्म पितामह आज भी मौजूद हैं. हजारों साल पहले पुरोहितों ने बनवाया था मंदिर श्याम बिहारी मिश्रा के मुताबिक पूरे महाभारत के सबसे महान योद्धाओं में शामिल भीष्म पितामह का जिक्र तो महाभारत में होता है, लेकिन इनकी पूरी दुनिया में कहीं मूर्ति नहीं बनी है इसी के चलते प्रयागराज के तीर्थ पुरोहितों ने हजारों वर्ष पहले मिलकर भीष्म पितामह के इस मूर्ति का निर्माण करवाया था . बताते हैं कि ऐसी मान्यता ठीक ही पहले इस मूर्ति से खून निकलता था लेकिन वर्तमान में ऐसा कुछ नहीं है. हो रहा नवनिर्माण प्रयागराज में 2025 में लगने वाले महाकुंभ के चलते प्रयागराज में स्थित सभी प्राचीन धार्मिक मंदिरों का नवनिर्माण किया जा रहा है,इसी कड़ी में नवास की मंदिर के समीप स्थित भीष्म पितामह के मंदिर को भी नए सिरे से बनाया जा रहा है जहां बड़ी संख्या में रोज देश भर के श्रद्धालु आकर इनका दर्शन करते हैं एवं देश में स्थित एकमात्र भीष्म पितामह का मंदिर होने के नाते लोग इनकी फोटो भी खींचते हैं. Tags: Local18, Prayagraj NewsFIRST PUBLISHED : July 8, 2024, 15:13 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed