इस्लाम में क्या है खुला का मतलब तलाक से ये कितना अलग आसान शब्दों में जानें
इस्लाम में क्या है खुला का मतलब तलाक से ये कितना अलग आसान शब्दों में जानें
खुला तलाक का ही एक रूप है. इसमें महिला शादी खत्म करने की प्रक्रिया शुरू करती है. खुला के जरिये महिला अपने शौहर से संबंध तोड़ सकती है. खुला का जिक्र कुरान और हदीस में भी है. अगर कोई महिला अपने शौहर से खुला लेती है, तो उसको अपनी जायदाद का कुछ हिस्सा वापस करना पड़ता है.
वसीम अहमद /अलीगढ़: मुस्लिम समुदाय में मुस्लिमों में तीन तलाक यानी एकसाथ तीन बार तलाक बोलकर विवाह खत्म करने के मुद्दे पर काफी चर्चा होती रही है. केंद्र सरकार ने कानून लाकर तीन तलाक को गैरकानूनी भी बना दिया. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि इस्लामी कानून के मुताबिक तलाक कई तरह से लिया जाता है. कुछ में तलाक की प्रक्रिया पति शुरू करता है, तो कुछ में इसकी शुरुआत पत्नी करती हैं.
इस्लामी कानून में तलाक यानी शादी खत्म करना, खुला यानी आपसी सहमति से अलग होना. और फस्ख यानी धार्मिक अदालत के समक्ष विवाह विच्छेद करना शामिल है. ऐतिहासिक तौर पर तलाक के नियम शरिया के जरिये शासित होते थे. हालांकि, ये नियम अलग-अलग फिरकों में अलग हो सकते हैं. ऐसे में ऐतिहासिक प्रथाएं कानूनी सिद्धांत से अलग होती थी.
खुला में पत्नी करती है तलाक की प्रक्रिया
खुला तलाक का ही एक रूप है. इसमें महिला शादी खत्म करने की प्रक्रिया शुरू करती है. खुला के जरिये महिला अपने शौहर से संबंध तोड़ सकती है. खुला का जिक्र कुरान और हदीस में भी है. अगर कोई महिला अपने शौहर से खुला लेती है, तो उसको अपनी जायदाद का कुछ हिस्सा वापस करना पड़ता है. हालांकि, खुला के लिए शौहर और बीवी दोनों की रजामंदी होनी जरूरी है. साफ है कि जहां तलाक में पुरुष अपनी बीवी से अलग होने का फैसला करता है. वहीं, खुला में बीवी अपने शौहर से अलग होने का फैसला करती है.
तलाक में पति को अलग होने का अधिकार
जानकारी देते हुए मौलाना उमेर खान ने बताया कि तलाक का इस्लाम ने हक मर्द को दिया है. जो लड़की निकाह करके अपने शौहर के साथ नहीं रह पाती या किसी वजह से पति-पत्नी में नहीं बनती. इन हालातों में इस्लाम ने मर्द को हक दिया है कि वह अपनी पत्नी को तलाक दे सकता है. लेकिन, इसके लिए भी एक इस्लामी तरीके से प्रक्रिया को पूरा करना होता है.
खुला में पत्नी को अलग होन का अधिकार
वहीं, इस्लाम ने खुला का अधिकार औरत को दिया है जिसमें औरत मर्द से खुला ले सकती है. खुला लेकर वह आजाद हो सकती है. इस्लाम ने मर्द को तलाक के जरिए अलग होने का और औरत को खुला के जरिए अलग होने का दोनों को यह हक दिया है. एक औरत जब अपने पति से खुला लेती है तो पति को है हक होता है कि वह इसके बदले पत्नी से दी हुई मेहर या कोई और चीज मांग सकता है. तभी वह पत्नी द्वारा दिया हुआ खोल को स्वीकार कर सकता है. औरत को खुला तभी मिल सकता है, जब मर्द की भी रजामंदी हो. खुला लेने के लिए भी दोनों की रजामंदी होना जरूरी है. तलाक की ही तरह ही खुला लेने के बाद औरत पूरी तरह से आजाद हो जाती है.
Tags: Aligarh news, Local18FIRST PUBLISHED : May 10, 2024, 15:09 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ेंDisclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है. Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed