भेड़िए क्यों होते हैं खूंखार अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ने किया शोध 

Wolf Terror: हाल ही में यूपी के बहराइच में भेड़ियों का आतंक देखने को मिल रहा है. यहां भेड़िये ने 10 लोगों को मार डाला और 40 लोगों को अब तक घायल कर दिया है. ऐसे में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ने बताया कि आखिर भेड़िये क्यों आक्रामक होते हैं.

भेड़िए क्यों होते हैं खूंखार अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ने किया शोध 
अलीगढ़: यूपी में हाल ही में भेड़ियों का आतंक और दहशत लोगों मे देखने को मिल रहा है. जहां भेड़िया और मादा श्वान के बेमेल मेल से अस्तित्व में आए वुल्फ डॉग भेड़िये जैसे दिखते हैं. वुल्फ डॉग भेड़ियों से ज्यादा आक्रामक और खतरनाक होते हैं. भेड़ियों पर शोध कर चुके अलगीढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के प्रोफेसर सतीश कुमार का कहना है कि बहराइच और आसपास के जिलों में दहशत फैलाने वाले आदमखोर हमलावर वुल्फ डॉग भी हो सकते हैं. हालांकि जो तस्वीरे सामने आई उनसे पता चलता है कि वह भेड़िये ही थे. लीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के वाइल्डलाइफ डिपार्मेंट के प्रो. सतीश कुमार ने बताया कि वर्ष 1992-1995 तक महाराष्ट्र के सोलापुर में भेड़ियों के रहन-सहन, खान-पान से लेकर प्रजनन पर शोध किया था. इसके लिए यूजीसी से अनुदान मिला था. उन्होंने कहा कि शोध में पाया गया कि भेड़ियों की संख्या में गिरावट आ रही है. काला हिरन, चिंकारा और जंगली खरगोश का शिकार कर भेड़िये अपना पेट भरते हैं. जाने क्यों कम हुई भेडियों की संख्या प्रोफेसर ने बतयाा कि कंक्रीट जंगल बनने से भेड़िये आबादी में रुख करते हैं, क्योंकि उनके पास न तो रहने के लिए जंगल और न ही खाने के लिए हिरन या खरगोश होते हैं. वर्ष 1940 में भेड़ियों की संख्या हजारों में थी, लेकिन खेती-बाड़ी बढ़ने से वह कम होने लगे. गंगा के किनारे बड़ी घास में जिसे वह गुफा बनाकर रहते थे. वह धीरे-धीरे खत्म हो गया. जिसके वजह से भेड़ियों की संख्या कम हुई. भेड़ियों को पकड़ने वाली टीम में थे प्रो. सतीश प्रो. सतीश ने बताया कि वर्ष 1996-2022 तक जौनपुर, प्रतापगढ़, सुल्तानपुर, बहराइच सहित अन्य जिलों में भेड़ियों ने 130 से ज्यादा बच्चों को शिकार बनाया था. वर्ष 1996-2022 तक जौनपुर, प्रतापगढ़, सुल्तानपुर, बहराइच सहित अन्य जिलों में भेड़ियों ने 130 से ज्यादा बच्चों को शिकार बनाया था. उस समय लोगों का गुस्सा सातवें आसमां पर था. उनके वाहन पर भी लोगों ने हमला किया था, क्योंकि वन विभाग की टीम ने भेड़ियों को पकड़ने की टीम में उन्हें शामिल किया था. उस दौरान 5 खूंखार भेड़िये मारे गए थे. इसी तरह 2006 बहराइच में भेड़िये का आतंक था, जिसमें उनकी सलाह पर दो भेड़िये पकड़े गए थे. बालों से होती है पहचान प्रो. सतीश ने बताया कि जब कोई जानवर किसी पर हमला करता है, तो उसके बाल शरीर पर चिपक जाते हैं. उसी से माइक्रोस्कोप के जरिये पता लगाया जाता है कि हमलावर कौन सा जानवर था. वर्ष 2002 मे जालौन और गाजीपुर में लोगों ने नर भेड़िये को पिंजड़े में कैद रखा था. जानकारी पर वह संबंधित इलाके पहुंचे तो लोगों ने बताया कि नर भेड़िया और कुतिया से क्रॉस ब्रीडिंग कराते हैं, तो वुल्फ डॉग का वजूद सामने आता है. इससे खेत की रखवाली कराते थे, क्योंकि वह बहुत ही आक्रामक होता है. मालिक से छूटने के बाद यह तबाही मचा देता है. पुनर्वास का इंतजाम हो प्रो. सतीश ने बताया कि भेड़िये लुप्त हो रहे हैं. इनके पुनर्वास के लिए सरकार की तरफ से व्यवस्था होनी चाहिए. कंक्रीट जंगल का दखल वनों के जंगल की तरफ नहीं होना चाहिए. प्रोफेसर ने बताया कि यूपी में इस समय भेड़ियों की संख्या 8-10 हो सकती है. ये भेड़िये मध्यप्रदेश के रीवा से आ जाते हैं, क्योंकि वहां भेड़ियों की संख्या ज्यादा है. Tags: Aligarh news, Aligarh University, Local18FIRST PUBLISHED : September 8, 2024, 10:39 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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