बदहाली के आंसू रो रहा अलीगढ़ किला AMU नहीं दे रहा ध्यान कभी था मराठों की शान
बदहाली के आंसू रो रहा अलीगढ़ किला AMU नहीं दे रहा ध्यान कभी था मराठों की शान
Aligarh Fort News: यूपी का पुरातत्व विभाग और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय अपनी जिम्मेदारी किस प्रकार से निभा रहा है, उसकी गवाही अलीगढ़ का किला दे रहा है. अपने में इतिहास और वर्तमान को समेटे खड़ा यह किला जर्जर हो चुका है और लुटेरों-शराबियों का अड्डा बनता जा रहा है. हालांकि, इस किले की देख-रेख और संरक्षण करने की जिम्मेदारी अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की है
वसीम अहमद / अलीगढ़: उत्तर प्रदेश का पुरातत्व विभाग और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) जिस प्रकार अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं, उसकी साक्षी अलीगढ़ का किला है, जो आज अपनी जर्जर हालत में खड़ा है. यह ऐतिहासिक धरोहर, जो कभी अलीगढ़ की शान हुआ करती थी, अब लुटेरों और शराबियों का अड्डा बनती जा रही है. हालांकि, इस किले की देखरेख और संरक्षण की जिम्मेदारी एएमयू को पुरातत्व विभाग द्वारा सौंपी गई है, लेकिन इसकी स्थिति देखकर ऐसा लगता है कि इसे अनदेखा कर दिया गया है.
अलीगढ़ का यह किला पटवारी नगला नामक स्थान पर स्थित है, और इसकी स्थापना इब्राहिम लोदी के शासनकाल में की गई थी. इसे तत्कालीन राज्यपाल के पुत्र मोहम्मद ने बनवाया था. बाद में, 1759 में माधवराव के शासनकाल के दौरान इस किले को और विकसित किया गया. 1803 में अलीगढ़ की जंग के दौरान मराठों ने इस किले पर कब्जा कर लिया था, जिससे इसका ऐतिहासिक महत्व और बढ़ गया. एक समय पर यह किला अच्छी तरह से संरक्षित था, लेकिन पिछले कुछ सालों से इसे लगातार अनदेखी का सामना करना पड़ रहा है.
जर्जर स्थिति में है किला
किले में घूमने आए पर्यटक वसीम अहमद सलमानी ने बताया कि अब किले में एंट्री के लिए किसी दरवाजे की जरूरत नहीं पड़ती, क्योंकि किले की दीवारें कई जगह से टूट चुकी हैं और इमारतें जर्जर हो गई हैं. यहां न तो कोई देखरेख करने वाला है और न ही कोई सुरक्षा गार्ड तैनात है. स्थानीय लोग बेरोक-टोक किले में प्रवेश कर जाते हैं. किले के दरवाजे और अन्य ऐतिहासिक वस्तुएं भी चोरी हो चुकी हैं. इस धरोहर की बदहाली न सिर्फ अलीगढ़ के निवासियों को प्रभावित कर रही है, बल्कि पूरे देश के लिए चिंता का विषय बन गई है.
AMU प्रशासनिक अधिकारियों की चुप्पी
जब इस मामले पर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के प्रशासनिक अधिकारियों से संपर्क करने की कोशिश की गई, तो उन्होंने कोई भी प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया. यह चुप्पी किले की बदहाल स्थिति और संरक्षण की कमी को उजागर करती है.
Tags: Aligarh news, Local18FIRST PUBLISHED : September 26, 2024, 12:53 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed