255 साल पुराना है यह पेड़ 5 एकड़ जमीन पर फैली है इसकी फैमली

255 Year Old Tree: भारत के कण-कण में इतिहास रचा बसा है. ऐतिहासिक विरासत देश की खूबसूरती और उसकी प्रसिद्धि में चार चांद लगाते हैं. हावड़ा में एक ऐसा पेड़ है, जिसे देखने के लिए देश ही नहीं, बल्कि विदेशों से भी लोग आते हैं.

255 साल पुराना है यह पेड़ 5 एकड़ जमीन पर फैली है इसकी फैमली
नई दिल्‍ली/कोलकाता. भारत ऐतिहासिक विरासत और अजब-गजब प्राकृतिक संपदाओं से भरा देश है. हर कोना अपने आप में विशिष्‍ट और बेजोड़ है. देश के साथ ही विदेशी पर्यटकों और रिसर्चरों के लिए भारत हमेशा से एक दिलचस्‍प और महत्‍वपूर्ण राष्‍ट्र रहा है. हावड़ा के शिबपुर में स्थित एक विशालकाय बरगद का पेड़ इसी लिस्‍ट में आता है. दरअसल, विशाल वट वृक्ष 255 साल पुराना है. साथ ही यह पेड़ 5 एकड़ जमीन पर फैला हुआ है. बरगद के पेड़ को कोलकाता का सबसे पुराना और बुजुर्ग नागरिक भी कहा जाता है. 255 साल पुराना विशाल बरगद का पेड़ हावाड़ा के शिबपुर के आचार्य जगदीश चंद्र बोस इंडियन बोटेनिक गार्डन में है. पिछले 30 वर्षों में इस पेड़ का फैलाव दो एकड़ से भी ज्‍यादा जमीन पर हुआ है. बोटेनिकल गार्डन में इस पेड़ को देखने के लिए देश के साथ ही विदेशों से भी लोग आते हैं. पर्यटकों के बीच यह आकर्षण का मुख्‍य केंद्र है. विशाल बरगद के पेड़ में लगातार फैलाव के चलते बोटेनिकल गार्डन के अधिकारियों को इसकी बाउंड्री में वृद्धि करनी पड़ी है, ताकि इस ऐतिहासिक पेड़ को सुरक्षित रखा जा सके. वो गांव जहां हर पेड़ पर पक्षियों का है बसेरा, ग्रामीण मानते हैं परिवार, नुकसान पहुंचाया तो लगता है मोटा जुर्माना लगातार फैल रहीं शिराएं बरगद के पेड़ की मुख्‍य जड़ बहुत पहले खत्‍म हो चुकी है, लेकिन इसकी शिराएं लगातार फैल रही हैं. पेड़ की शिराएं फैलते-फैलते 5 एकड़ तक पहुंच चुकी हैं. एक ही पेड़ को देखने पर लगता है मानो किसी जंगल में आ गए हों. साल 1985 में जब पेड़ के चारों ओर एक बाड़ लगाई गई थी, तो इसने तीन एकड़ क्षेत्र को कवर किया था. आज चारों ओर पेड़ की शिराओं से इतनी सारी जड़ें उग आई हैं कि कुल कवर क्षेत्र 5 एकड़ से भी ज्‍यादा हो गया है. बोटेनिक सर्वे ऑफ इंडिया ने विशालकाय पेड़ को ‘द वॉकिंग ट्री’ का नाम दिया है. गिनीज वर्ल्‍ड रिकॉर्ड्स गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में इस विशालकाय बरगद के पेड़ को शामिल किया गया है. बोटेनिकल गार्डन अधिकारियों ने बताया कि इस ग्रेट बरगद के पेड़ की 4,000 से अधिक जड़ें हैं जो इसे जीवित रखती हैं. वे बताते हैं कि यह अपने आप में एक आश्चर्य है, क्योंकि मुख्य जड़ 1925 में फंगल संक्रमण के कारण नष्ट हो गया था. पेड़ सूर्य के प्रकाश की दिशा का अनुसरण करते हुए पूर्व की ओर ‘चल’ रहा है. यह पेड़ जल्द ही आसपास की पक्की सड़कों को पार कर गया और लगातार पूर्व की ओर बढ़ता रहा. बोटेनिकल गार्डन के क्यूरेटर एमयू शरीफ ने बताया कि पेड़ की सुरक्षा पर विशेष ध्‍यान दिया जा रहा है. 13 लोग करते हैं पेड़ की देखभाल बोटेनिकल गार्डन के 13 कर्मचारी विशेष रूप से पेड़ की देखभाल करते हैं. उनमें से चार वरिष्ठ बोटेनिस्‍ट हैं और बाकी प्रशिक्षित माली हैं. वे फंगल संक्रमण, दीमक के संक्रमण और सड़न के लक्षणों के लिए पेड़ की जांच करते रहते हैं. एक अन्य वरिष्ठ वनस्पतिशास्त्री बसंत सिंह ने बताया कि पेड़ पर लाइकेन और काई की जांच भी की जाती है, ताकि इसके हेल्‍थ का पता लगता रहे. सबसे बड़ा काम पेड़ को उसके विस्‍तार में सहायता के लिए यथासंभव अधिक से अधिक मदद करना है. Tags: Ajab Gajab, National News, OMG NewsFIRST PUBLISHED : July 5, 2024, 20:51 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed