आगरा की इस कुटिया से शुरु हुआ था सूरज पाल का भोले बाबा बनने का सफर
आगरा की इस कुटिया से शुरु हुआ था सूरज पाल का भोले बाबा बनने का सफर
Hathras Stampede: केदार नगर में सूरज पाल अपने परिवार के साथ रहता था. धीरे-धीरे उसने सफेद कपड़े पहनकर अपनी पहचान बनाई, फिर आसपास की महिलाओं के लिए बाबा बन गया. उसके बाद सूरज पाल ने अपने आगरा के केदार नगर में बनी एक छोटी सी कुटिया से ही भोले बाबा बनकर सत्संग और पूजा पाठ करना शुरू किया.
हाइलाइट्स हाथरस में सत्संग के दौरान हुई भगदड़ में अभी तक 116 लोगों की मौत की पुष्टी हो चुकी है आगरा से भी दर्जनों महिलाए इस सत्संग में भाग लेने के लिए हाथरस गई थी
आगरा. हाथरस में सत्संग के दौरान हुई भगदड़ में अभी तक 116 लोगों की मौत की पुष्टी हो चुकी है, जिनमे ज्यादातर महिलाएं शामिल है. आगरा से भी दर्जनों महिलाए इस सत्संग में भाग लेने के लिए हाथरस गई थी, जिनमें से कई की मौत हो गई. बता दें कि जिस बाबा की वजह से सत्संग में भगदड़ मची और सैकड़ों लोग मौत की नींद सो गए, उस बाबा का आगरा से भी गहरा नाता हैं. इस बाबा के अनुयायी आज भी आगरा में उसकी कुटिया पर आते है, और फर्श को चूमते हैं. नल से निकलने वाले पानी को गंगा जल बताया जाता है.
आगरा में सबसे पहले News 18 की टीम ने बाबा के इस ठिकाने को खोजा, जहां से सूरज पाल की विश्व साकार हरी उर्फ भोले बाबा बनने की शुरुआत हुई. केदार नगर में सूरज पाल अपने परिवार के साथ रहता था. धीरे-धीरे उसने सफेद कपड़े पहनकर अपनी पहचान बनाई, फिर आसपास की महिलाओं के लिए बाबा बन गया. उसके बाद सूरज पाल ने अपने आगरा के केदार नगर में बनी एक छोटी सी कुटिया से ही भोले बाबा बनकर सत्संग और पूजा पाठ करना शुरू किया. थोड़े ही समय में सफेद कपड़ों वाले बाबा के नाम से पहचान बना ली.
हादसे के बाद पड़ोसी से नाराज दिखे
हादसे के बाद जब News 18 की टीम बाबा के आगरा वाले घर पर पहुंची तो पड़ोसी भी बाबा से खासा नाराज दिखाई दिए. तस्वीरों में जो आलीशान बना घर आप देख रहे है, वह सूरज पाल उर्फ विश्व साकार हरी, भोले बाबा का है. घर के गेट पर दो ताले लटके हुए है. यह घर हफ्ते में सिर्फ दो दिन ही कुछ घंटे के लिए खुलता है. घर खोलने के लिए बाबा के लोग आते है. मंगलवार और शनिवार को सुबह से ही महिलाओं का जमावड़ा यहां पर लगा रहता है. पड़ोस के अलावा आसपास के जिलों की सैकड़ों महिलाए इस चौखट को चूमने के लिए आती है.
10 साल पहले भोले बाबा इस घर को छोड़ कर चले गए थे
पड़ोसियों ने बताया कि लगभग 10 साल पहले भोले बाबा इस घर को छोड़ कर चले गए थे. जब से यह खंडहर बना हुआ था. फिर श्रद्धालु महिलाओं ने ही खुद अपने खर्चे और पैसे से इस घर को बनवाया। अब हफ्ते में दो दिन ही भोले बाबा के लोग इस घर को खोलने के लिए आते है. मंगलवार और शनिवार को घर सिर्फ चुनिंदा घंटे के लिए खोला जाता है. घर के बाहर ही पानी के लिए सबमर्सिबल लगी हुई है. स्टाफ आकर टंकी में पानी भरता है. मंगलवार और शनिवार की सुबह से ही महिलाओं के आने का सिलसिला शुरू हो जाता है. कोई महिला फर्श चूमती है, और कोई नल से निकल रहे पानी को प्रसाद और गंगा जल समझ कर अपने साथ ले जाती है. 10 साल से यही चल रहा है. जैसे ही हाथरस हादसे की जानकारी पड़ोस के लोगो को हुई तो उन्होंने कहा कि इतनी भीड़ में सत्संग नहीं होना चाहिए। बाबा दस साल पहले यहां पर रहता था, लेकिन जब से गया है, तब से एक बार भी नहीं आया.
Tags: Agra news, Hathras news, UP latest newsFIRST PUBLISHED : July 3, 2024, 06:29 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed