स्पीकर के बाद अब डिप्टी स्पीकर कौन क्या होती है भूमिका कितने मिलते हैं पैसे

18वीं लोकसभा के विशेष संसद सत्र के तीसरे दिन 26 जून को सर्वसम्मति से लोकसभा स्पीकर के लिए ओम बिरला को चुन लिया गया. स्पीकर के बाद अब डिप्टी स्पीकर के लिए चुनाव होना है. इस पद को लेकर विपक्ष अड़ा हुआ है कि उपसभापति का पद उसे दिया जाए.

स्पीकर के बाद अब डिप्टी स्पीकर कौन क्या होती है भूमिका कितने मिलते हैं पैसे
बीजेपी सांसद ओम बिरला दूसरी बार लोकसभा अध्यक्ष चुन लिए गए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को संसद के विशेष सत्र में लोकसभा स्पीकर पद के लिए ओम बिरला के नाम का प्रस्ताव रखा तो वहां मौजूद सांसदों ने ध्वनि मत से उन्हें अपना अध्यक्ष चुन लिया. अध्यक्ष चुने जाने के बाद प्रधानमंत्री और कांग्रेसी नेता राहुल गांधी ओम बिरला को लेकर अध्यक्ष पद की कुर्सी तक लेकर गए. लगातार दूसरी बार अध्यक्ष बनकर बलराम जाखड़, जीएम बालयोगी और पीए संगमा की सूची में शामिल हो गए हैं. लोकसभा अध्यक्ष के बाद अब बारी है डिप्टी स्पीकर यानी लोकसभा उपाध्यक्ष की. पिछली बार से लोकसभा उपाध्यक्ष का पद खाली चल रहा है. वैसे अभी तक परंपरा रही है कि डिप्टी स्पीकर का पद विपक्ष को दिया जाता है, लेकिन 17वीं लोकसभा में विपक्ष लगभग नहीं के बराबर था. इसलिए उपाध्यक्ष की जरूरत ही नहीं पड़ी. लेकिन इस बार लोकसभा में विपक्ष की ताकत बढ़ने से कयास लगाए जा रहे हैं कि उपाध्यक्ष का पद विपक्ष के पास चला जाए है. 16वीं लोकसभा में 2014-19 के दौरान बीजेपी की सहयोगी अन्नाद्रमुक के नेता एम. थंबी दुरई उपाध्यक्ष थे. ओम बिरला के अध्यक्ष चुने जाने से पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने यह मांग उठाई थी कि अध्यक्ष सत्ता पक्ष का तो उपाध्यक्ष विपक्षी दलों का होना चाहिए. लेकिन भाजपा के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन -एनडीए ने उपाध्यक्ष पद की मांग के लिए विपक्ष की आलोचना की और बताया कि जिन राज्यों में विपक्ष सत्ता में है, वहां उपाध्यक्ष का पद सत्तारूढ़ दल ने बरकरार रखा है. शरद पवार ने भी उठाई मांग राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी प्रमुख शरद पवार ने भी कहा कि लोकसभा स्पीकर निर्विरोध चुना जाना चाहिए. लेकिन संसदीय परंपरा के अनुसार विपक्षी को उपाध्यक्ष का पद मिलना चाहिए. निश्चित रूप से, छटी लोकसभा से 16वीं लोकसभा तक उपाध्यक्ष का पद विपक्ष के पास था. 6वीं लोकसभा में ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम- एआईएडीएमके के वरिष्ठ नेता एम. थंबीदुरई डिप्टी स्पीकर थे और बीजेपी की सुमित्रा महाजन स्पीकर थीं. 17वीं लोकसभा में यह पद खाली रहा. हालांकि ऐसी अटकलें थीं कि यह पद बीजू जनता दल (बीजेडी) को दिया जा सकता है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. डिप्टी स्पीकर का पद और कांग्रेस लोकसभा के इतिहास में यह पहली बार हुआ है कि 17वीं लोकसभा के दौरान कोई भी डिप्टी स्पीकर नहीं था. संविधान के अनुच्छेद 95 के अनुसार, अध्यक्ष की अनुपस्थिति में डिप्टी स्पीकर ही लोकसभा की कार्रवाई देखता है. अगर स्पीकर अपने पद से इस्तीफा देते हैं तो वह इसके लिए डिप्टी स्पीकर को संबोधित करेंगे. आजादी के बाद पहली लोकसभा से लेकर चौथी लोकसभा तक स्पीकर और डिप्टी स्पीकर, दोनों ही पद कांग्रेस के पास हुआ करते थे. लोकसभा के पहले उपाध्यक्ष एम.अनंतशायनम थे. उनका कार्यकाल 1952 से 1956 तक रहा. उनके बाद सरदार हुकुम सिंह, एस.वी.कृष्णमूर्ति राव और आर.के.खानडीलकर 1969 तक उपाध्यक्ष बने. ये सभी कांग्रेस के ही सांसद थे. साल 1969 में कांग्रेस ने ऑल पार्टी हिल लीडर्स के नेता गिलबर्ट जी स्वेल (G. G. Swell) को उपाध्यक्ष बनाया गया. स्वेल शिलॉन्ग से सांसद थे. तभी से यह परंपरा बनी की डिप्टी स्पीकर का पद विपक्ष को दिया जाएगा. लोकसभा उपाध्यक्ष के दायित्व अनुच्छेद 95(1) के अनुसार, यदि अध्यक्ष का पद रिक्त है, तो अध्यक्ष के पद के कर्तव्यों का पालन उपाध्यक्ष द्वारा किया जाएगा. संसदीय नियमों में अध्यक्ष के सभी अधिकारों को उपाध्यक्ष के लिए भी समान माना जाता है, क्योंकि जब वह सदन की अध्यक्षता करता है तो उपाध्यक्ष के पास भी अध्यक्ष के समान सामान्य शक्तियां होती हैं. क्या उपसभापति चुनना अनिवार्य है? अनुच्छेद 93 और 178 के अनुसार जिसमें ‘करेंगे’ और ‘जितनी जल्दी हो सके’ जैसे शब्द हैं, यह इंगित करते हैं कि अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चयन न केवल अनिवार्य है, बल्कि यह जल्द से जल्द किया जाना चाहिए. लोकसभा उपाध्यक्ष की सैलरी लोकसभा उपाध्यक्ष को राज्य मंत्री का दर्जा दिया जाता है. और केंद्र सरकार में राज्य मंत्री को सांसद के वेतन के अलावा अलग से भत्ता दिया जाता है. लोकसभा सांसद को हर महीने एक लाख रुपये की बेसिक सैलरी मिलती है. साथ 70,000 रुपये निर्वाचन भत्ता और 60,000 रुपये महीना ऑफिस भत्ता दिया जाता है. संसद सत्र के दौरान 2,000 रुपये डेली अलाउंस दिए जाते हैं. अगर कोई सासंद मंत्री बनता है तो उसे अलग से सत्कार भत्ता भी मिलता है. इस तरह कैबिनेट मंत्री को कुल 2.32 लाख रुपये, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) को 2.31 लाख और राज्य मंत्री को 2,30,600 रुपये महीना मिलते हैं. Tags: Lok Sabha Speaker, Parliament news, Parliament sessionFIRST PUBLISHED : June 26, 2024, 16:46 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed