कोई कह सकता है कि मैं कांवड़ यात्रा पर सिंघवी की सॉलिड दलील SC ने टोक दिया
कोई कह सकता है कि मैं कांवड़ यात्रा पर सिंघवी की सॉलिड दलील SC ने टोक दिया
Abhishek Manu Singhvi on Kanwar yatra: अभिषेक मनु सिंघवी ने दुकानों पर नेम प्लेट लगाने वाले सरकार के आदेश पर रोक लगाने की मांग की. अभिषेक सिंघवी ने कहा कि खाद्य सुरक्षा अधिनियम में भी केवल 2 शर्तें हैं... केवल कैलोरी और शाकाहारी/मांसाहारी भोजन को प्रदर्शित करना होगा. जस्टिस भट्टी ने कहा कि लाइसेंस भी प्रदर्शित करना होगा.
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा मार्ग में दुकानों पर नाम लिखे जाने के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. सुप्रीम कोर्ट में एनजीओ एसोशिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स की याचिका पर सोमवार को सुनवाई हुई. याचिका में उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा मार्ग की दुकानों पर मालिकों के नाम और मोबाइल नंबर लिखे जाने वाले आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. जस्टिस ऋषिकेश राय और जस्टिस एसवीएन भट्टी की बेंच में याचिकाकर्ता की ओर से सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी और वकील सीयू सिंह ने पक्ष रखा. याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया कि यूपी सरकार दुकानदारों पर दबाव डाल रही है कि वो अपने नाम और मोबाइल नंबर डिस्प्ले करें. ये सिर्फ ढाबा तक सीमित नहीं है. रेहड़ी वालों पर भी दबाव बनाया जा रहा है ताकि एक विशेष समुदाय का आर्थिक बहिष्कार किया जा सके. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह स्वैच्छिक है. ये मेंडेटरी नहीं है.
याचिकाकर्ता ने कहा कि ये विक्रेताओं के लिए आर्थिक मौत की तरह है. अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि इसमें विक्रेताओं को बड़े बोर्ड की जरूरत है. इसमें सारी जानकारी साझा करनी होगी. अगर शुद्ध शाकाहारी होता तो बात समझ आती. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि क्या सरकार ने इस बारे में कोई औपचारिक आदेश पास किया है? इस पर सिंघवी ने दलील दी कि सरकार इसे अप्रत्यक्ष रूप से इसे लागू रही है. पुलिस कमिश्नर ऐसे निर्देश जारी कर रहे हैं. सिंघवी ने कहा कि कांवड़ यात्रा तो सदियों से चला आ रही है. पहले इस तरह की बात नहीं थी.
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील अभिषेक मनु सिंघवी से कहा कि आपको हमें स्थिति को इस तरह से नहीं बताना चाहिए. जो जमीनी हकीकत है, वही बताइए. इसके तीन आयाम हैं- सुरक्षा, मानक और धर्मनिरपेक्षता. तीनों ही समान रूप से महत्वपूर्ण हैं. ये बात जस्टिस एसवीएन भट्टी ने कही, जब सिंघवी ने कहा कि ये पहचान का बहिष्कार है. यह आर्थिक बहिष्कार है. सिंघवी ने आगे कहा कि पहले मेरठ पुलिस और फिर मुज्जफरनगर पुलिस ने नोटिस जारी किया. उन्होंने कहा कि मुज्जफरनगर पुलिस ने तो बहुत चालाकी से स्वैच्छिक शब्द लिखा.
वहीं, वकील सीयू सिंह ने कहा कि रिपोर्टों से पता चला है कि नगर निगम ने निर्देश दिया है कि 2000 रुपये और 5000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा. वहीं, अभिषेक सिंघवी ने कहा कि हिंदुओं द्वारा चलाए जाने वाले बहुत से शुद्ध शाकाहारी रेस्टोरेंट हैं… लेकिन उनमें मुस्लिम कर्मचारी भी हो सकते हैं. क्या कोई कह सकता है कि मैं वहां जाकर खाना नहीं खाऊं? क्योंकि उस खाने पर किसी न किसी तरह से उन लोगों का हाथ है?
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कांवड़ियां क्या ये सोचते हैं कि उन्हें फूड किसी चुनीदा दुकानदार से मिले? इस पर सिंघवी ने कहा कि सर कावड़िया पहली बार यात्रा तो नहीं कर रहे हैं न. पहले से करते आए हैं. इस पर अदालत ने पूछा कि दूसरे पक्ष (यूपी सरकार) से क्या कोई पेश हो रहा है? सिंघवी की दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस भट्टी ने कहा कि मेरा व्यक्तिगत अनुभव है. केरल में एक वेजिटेरियन होटल हिंदू और एक वेजिटेरियन मुस्लिम द्वारा चलाए जा रहे हैं. लेकिन मैं मुस्लिम होटल में गया. वहां साफ सफाई थी. इसमें सेफ्टी, स्टैंडर्ड और हाईजीन के मानक अंतर्राष्ट्रीय स्तर के थे. इसलिए मैं गया था. ये पूरी तरह से आपकी पसंद का मामला है.
अभिषेक मनु सिंघवी ने सरकार के आदेश पर रोक लगाने की मांग की. अभिषेक सिंघवी ने कहा कि खाद्य सुरक्षा अधिनियम में भी केवल 2 शर्तें हैं… केवल कैलोरी और शाकाहारी/मांसाहारी भोजन को प्रदर्शित करना होगा. जस्टिस भट्टी ने कहा कि लाइसेंस भी प्रदर्शित करना होगा. सिंघवी ने आगे कहा कि यह पुलिस का काम नहीं है…पुलिस कैसे इतने व्यापक निर्देश जारी कर सकती है?
Tags: Abhishek Manu Singhvi, Kanwar yatra, Supreme CourtFIRST PUBLISHED : July 22, 2024, 12:56 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed