जज साहब ED का जवाब देखिए सिसोदिया की जमानत पर सिंघवी ने दी ऐसी सॉलिड दलील
जज साहब ED का जवाब देखिए सिसोदिया की जमानत पर सिंघवी ने दी ऐसी सॉलिड दलील
Abhishek Manu Singhvi News: मनीष सिसोदिया तिहाड़ जेल में बंद हैं. दिल्ली शराब घोटाला केस में आज सुप्रीम कोर्ट में उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई हुई. इस दौरान अभिषेक मनु सिंघवी ने सिसोदिया की ओर से दलीलें रखीं.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में आज यानी सोमवार को मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर मनीष सिसोदिया ने ईडी और सीबीआई मामले में जमानत की मांग की है. जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस के.वी. विश्वनाथन की बेंच ने जमानत अर्जी पर सुनवाई की. मनीष सिसोदिया की ओर से जहां अभिषेक मनु सिंघवी पेश हुए, जबकि ईडी की ओर से एएसजी राजू ने दलीलें रखीं. ईडी के आरोपों का अभिषेक सिंघवी ने सॉलिड तरीके से जवाब दिया. अभिषेक सिंघवी ने भरी अदालत में कहा कि केवल इस आधार पर जमानत नहीं रोकी जा सकती कि आरोप गंभीर हैं. शराब घोटाला केस में ढाई साल बाद भी कोई रिकवरी नहीं हुई है. तो चलिए जानते हैं कि अभिषेक मनु सिंघवी ने क्या-क्या दलीलें दी हैं. अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि जज साहब, ईडी ने 4 दिन पहले जो जवाब दाखिल किया है, उसे देखिये. कह रहे हैं कि ‘अपराध की आय का पता लगाने और कई लोगों की भूमिका की जांच अभी जारी है’… यह उनकी उस दलील के बिल्कुल उलट है जिसमें कहा गया था कि जांच पूरी हो चुकी है… फिर मुझे जेल में बंद रखने का क्या मतलब है? यहां तो आजादी का भी सवाल है. सिंघवी ने कहा कि ईडी ने कुछ दस्तावेजों को छुपाया है और उन्हें गैर-भरोसेमंद दस्तावेजों की श्रेणी में डाल दिया है. छठे से आठवें अभियोजन शिकायतों का निरीक्षण शुरू ही नहीं हो सका. जरा सीबीआई का केस देखिये…(वह इसे पढ़ते हैं) सीबीआई गैर-भरोसेमंद दस्तावेज पेश करने में नाकाम रही है. मनीष सिसोदिया की ओर से सिंघवी ने कहा कि ट्रिपल टेस्ट का खतरा तो सीबीआई केस में भी मंडरा रहा है… PMLA की धारा 45 में भी इसे ध्यान में रखा जा सकता है. सिंघवी न्यायिक मिसालों का हवाला देते हैं. सिंघवी ने कहा कि बड़े-बड़े सिद्धांतों का क्या मतलब अगर उन्हें ज़मीनी स्तर पर लागू ही न किया जाए? अभिषेक सिंघवी ने यह भी कहा कि केवल इस आधार पर जमानत नहीं रोकी जा सकती कि आरोप गंभीर हैं. ढाई साल बाद भी कोई रिकवरी नहीं हुई है. अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि मुझे वापस भेजकर आप मुझे 2 ऐसी अदालतों में भेज रहे हैं, जिन्होंने मेरे खिलाफ फैसला सुनाया है. केवल सुप्रीम कोर्ट ही इसे बदल सकता है. उन्होंने (अदलातों) खूबियों पर बहस नहीं की. सुनवाई योग्यता पर जांच एजेंसी दलील अनुचित है. स्वतंत्रता के मामले में, क्या यही व्याख्या होनी चाहिए? मई में 3 और पूरक आरोप पत्र दायर किए गए. कुल मिलाकर, 9 अभियोजन शिकायतें. मामले की जांच अभी भी की जा रही है. सिंघवी ने कहा कि ईडी ने 162 गवाहों का हवाला दिया है और 25000 पन्नों के दस्तावेज दाखिल किए हैं. यह अक्टूबर में था. अब आंकड़े दिलचस्प होंगे. जुलाई, 2024 में, 40 व्यक्तियों को आरोपी बनाया गया. सीबीआई ने 294 गवाहों का हवाला दिया, 31000 पन्नों के दस्तावेज दाखिल किए. कुल 493 गवाह… जबकि चौथे आरोप पत्र को छोड़कर (क्योंकि संज्ञान नहीं लिया गया). यह डिजिटल रिकॉर्ड की गिनती भी नहीं कर रहा है! सिंघवी ने कहा कि वे कह रहे हैं कि मैं देरी कर रहा हूं… मैंने एक आवेदन दायर किया क्योंकि उन्होंने मुझे दस्तावेज़ प्राप्त करने के मेरे अधिकार से वंचित कर दिया… आवेदन स्वीकार कर लिया गया. मेरे 90% आवेदन स्वीकार कर लिए गए. दस्तावेज मांगने के लिए, क्या मैं सुनवाई में देरी कर रहा हूं? देरी इसलिए हुई क्योंकि आपने मुझे शुरुआत में दस्तावेज नहीं दिए. सिंघवी ने आगे कहा कि दूसरा जस्टिस खन्ना का पिछला आदेश है. अभिषेक सिंघवी ने जस्टिस खन्ना के आदेश (अक्टूबर, 2023) में दी गई टिप्पणियों पर अदालत का ध्यान आकर्षित किया. सिंघवी ने कहा कि अदालत सिसोदिया की लंबी कैद को लेकर चिंतित थी. ईडी ने बयान दिया था कि सुनवाई 6-8 महीने में पूरी हो जाएगी. एक बेहद महत्वपूर्ण खोज हुई थी- सुनवाई में देरी को धारा 45 पीएमएलए के तहत देखा जाना चाहिए. सिंघवी ने आगे कहा कि जब सुनवाई उन कारणों से आगे नहीं बढ़ रही है, जो आरोपी की वजह से नहीं हैं, तो अदालत, जब तक कि ठोस कारण न हों, जमानत देने की शक्ति का प्रयोग करने के लिए निर्देशित हो सकती है. यह बात तब और भी सही साबित होती है जब मुकदमे में बरसों लग जाएं. सिंघवी ने आगे कहा कि ईडी की तरफ से की गई देरी पर गौर फरमाएं. विशेष न्यायाधीश महोदय ने रिकॉर्ड किया कि ईडी बिना अनुमति के… निर्भर दस्तावेजों में नए दस्तावेज पेश करने की कोशिश कर रहा था… सीबीआई ने अनुवाद दायर करने के लिए 15 दिन का समय मांगा. सिंघवी ने कहा कि ईडी ने हाईकोर्ट में अर्जी दायर कर जमानत याचिका का जवाब दाखिल करने के लिए कुछ और समय मांगा… इस आधार पर कि IO दूसरे लोगों की गिरफ़्तारी में व्यस्त है. सिंघवी ने कहा कि 4 जून के आदेश में सिसोदिया ने हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी. उनका तर्क है कि ट्रायल कोर्ट में वापस जाएं. मिस्टर मेहता ने अंतिम शिकायत दर्ज कराने का वचन दिया था. सिंघवी ने कहा कि अभी सुनवाई शुरू भी नहीं हुई है. यह अभियोजन पक्ष की अनुचित याचिका है. सिंघवी की दलीलों पर एएसजी एसवी राजू ने कहा कि मेरे मित्र नोट पेश करते हैं…और आदेश नहीं पढ़ते. इस पर बेंच ने कहा कि आप यहां हैं मिस्टर राजू…ऐसा तो नहीं है कि वह आपकी पीठ पीछे बहस कर रहे हैं. इसके बाद सिंघवी ने कहा कि मुझे इसी अदालत ने वापस भेजा था और मैं वापस गया. मैं फिर से सीढ़ी चढ़कर ऊपर आया हूं. स्वतंत्रता के मामले में मुझे फिर से नए सिरे से सीढ़ी चढ़ने के लिए कहा जा रहा है.
पिछली सुनवाई में सीबीआई और ईडी की ओर से क्या कहा था?
सीबीआई यानी केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो और ईडी यानी प्रवर्तन निदेशालय की ओर पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने 29 जुलाई को पीठ से कहा था कि सीबीआई ने मनीष सिसोदिया की याचिका पर जवाब दाखिल कर दिया है, लेकिन वह रिकॉर्ड में अभी उपलब्ध नहीं है. एएसजी राजू ने मनीष सिसोदिया की दलीलों पर प्रारंभिक आपत्तियां भी जताई थीं और कहा था कि यह दिल्ली उच्च न्यायालय के एक ही आदेश को चुनौती देने वाली दूसरी विशेष अनुमति याचिका है. केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने 29 जुलाई को पीठ से कहा था कि सीबीआई ने सिसोदिया की याचिका पर जवाब दाखिल कर दिया है, लेकिन वह रिकॉर्ड में अभी उपलब्ध नहीं है.
क्या है याचिका और क्या है पूरा केस
मनीष सिसोदिया ने इससे पहले दिल्ली उच्च न्यायालय के 21 मई के आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने उनकी जमानत याचिकाएं खारिज कर दी थीं. उन्होंने दोनों मामलों में उनकी जमानत याचिकाएं खारिज करने के निचली अदालत के 30 अप्रैल के आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी. सीबीआई ने शराब नीति मामले में सिसोदिया की कथित भूमिका को लेकर उन्हें 26 फरवरी 2023 को गिरफ्तार किया था. ईडी ने उन्हें नौ मार्च 2023 को सीबीआई की प्राथमिकी से जुड़े धन शोधन मामले में गिरफ्तार किया था. मनीष सिसोदिया ने 28 फरवरी, 2023 को दिल्ली मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था.
Tags: Abhishek Manu Singhvi, Manish sisodia, Manish sisodia case, Supreme CourtFIRST PUBLISHED : August 5, 2024, 14:43 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed