800000 एकड़ से ज्यादा जमीन वक्फ बोर्ड की ताकत क्यों कम करना चाहती है सरकार
800000 एकड़ से ज्यादा जमीन वक्फ बोर्ड की ताकत क्यों कम करना चाहती है सरकार
Waqf Board News: वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन करने वाला विधेयक वक्फ बोर्ड के लिए अपनी संपत्तियों का वास्तविक मूल्यांकन सुनिश्चित करने को लेकर जिलाधिकारियों के पास पंजीकरण कराना अनिवार्य कर देगा. देश में 30 वक्फ बोर्ड हैं.
नई दिल्ली. क्या वक्फ अधिनियम का दुरुपयोग नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार की वक्फ बोर्ड की असीमित शक्तियों को सीमित करने की योजना को बल दे रहा है? यह सवाल राजनीतिक बहस के केंद्र में है, क्योंकि केंद्र सरकार वक्फ अधिनियम में संशोधन करने की तैयारी कर रही है. इस सब के बीच सूत्रों ने आईएएनएस को जो बताया, उसके अनुसार वक्फ अधिनियम के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए वक्फ बोर्ड के संचालन को गलत बताकर पेश किया गया है.
सूत्रों का कहना है कि लंबे समय से वक्फ बोर्ड पर कांग्रेस द्वारा वक्फ अधिनियम में किए गए संशोधनों के बाद भू-माफिया की तरह काम करने, व्यक्तिगत भूमि, सरकारी भूमि, मंदिर की भूमि और गुरुद्वारों सहित विभिन्न प्रकार की संपत्तियों को जब्त करने का आरोप लगाया गया है. सूत्रों के मुताबिक शुरुआत में वक्फ की पूरे भारत में करीब 52,000 संपत्तियां थीं. 2009 तक यह संख्या 4,00,000 एकड़ भूमि को कवर करते हुए 3,00,000 पंजीकृत संपत्तियों तक पहुंच गई थी.
सूत्रों ने कहा कि ”आज, पंजीकृत वक्फ संपत्तियों की संख्या 8,72,292 से अधिक हो गई है, जो 8,00,000 एकड़ से अधिक भूमि पर फैली हुई है. यह केवल 13 वर्षों के भीतर वक्फ भूमि के नाटकीय रूप से दोगुना होने को दर्शाता है.” सूत्रों का कहना है कि वक्फ अधिनियम, 1923 अंग्रेजों द्वारा पेश किया गया था. अंग्रेजों ने सबसे पहले मद्रास धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती अधिनियम 1925 पेश किया. इसका मुसलमानों और ईसाइयों ने बड़े पैमाने पर विरोध किया. इस प्रकार, उन्हें बाहर करने के लिए इसे फिर से तैयार किया गया, इसे केवल हिंदुओं पर लागू किया गया और इसका नाम बदलकर मद्रास हिंदू धार्मिक और बंदोबस्ती अधिनियम 1927 कर दिया गया.
वक्फ अधिनियम पहली बार 1954 में संसद द्वारा पारित किया गया था. इसके बाद इसे निरस्त कर दिया गया और 1995 में एक नया वक्फ अधिनियम पारित किया गया, जिसने वक्फ बोर्डों को असीमित शक्तियां प्रदान की. सूत्रों ने कहा, ”2013 में, इस अधिनियम में और संशोधन करके वक्फ बोर्ड को किसी की संपत्ति छीनने की असीमित शक्तियां दे दी गई, जिसे किसी भी अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती थी.”
सरल शब्दों में, वक्फ बोर्ड को मुस्लिम दान की आड़ में संपत्तियों पर दावा करने की व्यापक शक्तियां दी गई. जानकार सूत्रों ने आईएएनएस को बताया, इसका प्रभावी रूप से मतलब यह है कि एक धार्मिक निकाय को लगभग अनियंत्रित और असीमित अधिकार दिया गया है, जिससे वादी को न्यायिक सहारा लेने से रोका जा रहा है. उन्होंने कहा, “लोकतांत्रिक भारत में किसी अन्य धार्मिक निकाय के पास ऐसी शक्तियां नहीं है.”
जानकारी के मुताबिक, वक्फ अधिनियम, 1995 की धारा 3 में कहा गया है कि यदि वक्फ ‘सोचता है’ कि जमीन किसी मुस्लिम की है, तो यह वक्फ की संपत्ति है. वक्फ बोर्ड को इस बारे में कोई सबूत देने की ज़रूरत नहीं है कि उन्हें क्यों लगता है कि ज़मीन उनके स्वामित्व में आती है. सूत्रों ने बताया कि यहां तक कि मुस्लिम कानूनों का पालन करने वाले देशों में भी वक्फ संस्था नहीं है और न ही किसी धार्मिक संस्था के पास इतनी असीमित शक्तियां हैं. यह भी बताया गया है कि वक्फ निकाय ने विभाजन के दौरान पाकिस्तान से पलायन करने वाले हिंदुओं को कोई जमीन वापस नहीं की.
Tags: Narendra modi, Waqf BoardFIRST PUBLISHED : August 4, 2024, 23:36 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed