देशभर में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर को अपडेट करने की जरूरत: केंद्रीय गृह मंत्रालय
देशभर में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर को अपडेट करने की जरूरत: केंद्रीय गृह मंत्रालय
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अपनी लेटेस्ट वार्षिक रिपोर्ट में असम को छोड़कर देश भर में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) डेटाबेस को अपडेट करने की आवश्यकता को रेखांकित किया है. यह जन्म, मृत्यु और प्रवास के कारण होने वाले परिवर्तनों को शामिल करने के लिए है और इसके तहत प्रत्येक परिवार और व्यक्ति के अन्य विवरण एकत्र किए जाने हैं.
नई दिल्ली: देश के सभी भारतीय नागरिकों का राष्ट्रीय स्तर पर डेटाबेस तैयार करने को लेकर सरकार बड़ा कदम उठाने जा रही है. केंद्रीकृत डेटा मैनेजमेंट के लिए जन्म और मृत्यु पंजीकरण अधिनियम में संशोधन के लिए सरकार द्वारा एक विधेयक लाए जाने की संभावना है. इस बीच केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अपनी लेटेस्ट वार्षिक रिपोर्ट में असम को छोड़कर देश भर में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) डेटाबेस को अपडेट करने की आवश्यकता को रेखांकित किया है. यह जन्म, मृत्यु और प्रवास के कारण होने वाले परिवर्तनों को शामिल करने के लिए है और इसके तहत प्रत्येक परिवार और व्यक्ति के अन्य विवरण एकत्र किए जाने हैं.
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, 2021-22 के लिए मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना महामारी की वजह से एनपीआर अपडेशन और अन्य संबंधित क्षेत्र की गतिविधियों को स्थगित कर दिया गया. सरकार की रिपोर्ट के मुताबिक, ‘एनपीआर डेटाबेस को अपडेट करने के लिए त्रि-आयामी दृष्टिकोण अपनाया जाएगा. इसमें सेल्फ अपडेटिंग शामिल होगी, जिसमें निवासी कुछ प्रमाणीकरण प्रोटोकॉल का पालन करने के बाद अपने डेटा को अपडेट करेंगे और एनपीआर डेटा को पेपर फॉर्मेट और मोबाइल मोड में अपडेट करेंगे. इस अभ्यास के दौरान प्रत्येक परिवार और व्यक्ति के जनसांख्यिकीय और अन्य विवरण एकत्र/अपडेट किए जाएंगे. अपडेशन के दौरान कोई दस्तावेज या बायोमेट्रिक्स एकत्र नहीं किया जाएगा.’ इस काम के लिए केंद्र ने पहले ही 3,941 करोड़ रुपये की मंजूरी दे दी है.
मंत्रालय की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 1 अप्रैल 2021 से 31 दिसंबर 2021 तक केंद्रीय गृह मंत्रालय सहित सभी अधिकारियों द्वारा कुल 1,414 नागरिकता प्रमाण पत्र दिए गए हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि इनमें से 1120 लोगों को नागरिकता अधिनियम-1955 की धारा 5 के तहत पंजीकरण द्वारा और 294 को धारा 6 के तहत देशीयकरण द्वारा यह नागरिकता प्रमाण पत्र दिया गया. वार्षिक रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि केंद्र सरकार ने पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, ईसाई या पारसी समुदायों के सदस्यों के संबंध में पंजीकरण या देशीयकरण द्वारा भारतीय नागरिकता प्रदान करने की शक्तियों को 9 राज्यों के गृह सचिव और 29 जिलों के कलेक्टरों को सौंप दिया है.
बीते दिनों केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी की थी, जिसमें गुजरात में मेहसाणा और आणंद जिलों के कलेक्टरों को पड़ोसी मुल्कों से आए अल्पसंख्यकों को 1955 के कानून के तहत ही नागरिकता प्रमाण पत्र देने की अनुमति दी गई. सीएए यानी नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 के तहत अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आने वाले हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसियों और ईसाइयों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है, मगर चूंकि इस अधिनियम के तहत नियम अभी तक नहीं बनाए गए हैं, इसलिए अब तक किसी को भी इसके तहत नागरिकता नहीं दी जा सकती है.
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Tags: Citizenship, India news, NPRFIRST PUBLISHED : November 08, 2022, 07:16 IST