सावन में करनी है शिवलिंग स्थापना शिव पुराण से जानें सही विधि पूजा का तरीका

Sawan 2024 Shivling Puja Vidhi: सावन माह का शुभारंभ 22 जुलाई से है. इस साल सावन में आप शिवलिंग की स्थापना करना चाहते हैं? सावन में शिवलिंग की पूजा कैसे करते हैं? तिरुप​ति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव से जानते हैं इसके बारे में.

सावन में करनी है शिवलिंग स्थापना शिव पुराण से जानें सही विधि पूजा का तरीका
सावन माह का शुभारंभ 22 जुलाई से होने जा रहा है. सावन के महीने में देवों के देव महादेव की पूजा की जाती है. उनको प्रसन्न करने के लिए उनकी प्रिय वस्तुएं अर्पित करते हैं. शिवलिंग का जलाभिषेक करने का भी विधान है. जलाभिषेक करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं. इस साल सावन में आप शिवलिंग की स्थापना करना चाहते हैं? सावन में शिवलिंग की पूजा कैसे करते हैं? तिरुप​ति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव से जानते हैं इसके बारे में. सावन में कैसे करें शिवलिंग की स्थापना? ज्योतिषाचार्य डॉ. भार्गव का कहना है कि शिवलिंग के स्थापना और पूजा की विधि शिव पुराण में विस्तार से बताई गई है. शिव पुराण के अनुसार, शिवलिंग की स्थापना किसी पवित्र तीर्थ, नदी के तट पर या उस स्थान पर करना चाहिए, जहां पर आप उसकी रोज पूजा कर पाएं. शुभ समय में शिवलिंग की पूजा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है. ये भी पढ़ें: अबकी श्रावण में 5 सावन सोमवार, पहले-अंतिम सोमवारी पर सर्वार्थ सिद्धि योग, जानें 5 दिनों के मुहूर्त, नक्षत्र, तिथियां चल प्रतिष्ठा के लिए छोटा शिवलिंग और अचल प्रतिष्ठा के लिए बड़ा शिवलिंग अच्छा होता है. शिवलिंग की पीठ सहित स्थापना करनी चाहिए. शिवलिंग की पीठ गोल, चौकोर, त्रिकोट या घाट के पाए की तरह ऊपर और नीचे मोटा, बीच में पतला होना चाहिए. ऐसा लिंग पीठ महान फल देने वाला होता है. 1. सबसे पहले मिट्टी या लोहे से शिवलिंग का निर्माण करें, फिर उसी द्रव्य से उसका पीठ भी बनाना चाहिए. यही अचल शिवलिंग की विशेषता है. 2. चल प्रतिष्ठा वाले शिवलिंग में लिंग और प्रतिष्ठा का निर्माण एक ही तत्व से करना चाहिए. चल लिंग में लंबाई स्थापना करने वाले व्यक्ति के 1 अंगुल के बराबर होनी चाहिए, उससे कम न हो. 3. अचल शिवलिंग में लिंग की लंबाई स्थापना करने वाले व्यक्ति के 12 अंगुल के बराबर होनी चाहिए. इससे कम होने पर कम फल प्राप्त होता है. यह लंबाई 12 अंगुल से अधिक भी हो सकती है. 4. एक गड्ढे में सोना और 9 प्रकार के रत्न भर दें. फिर वैदिक मंत्रों का उच्चारण करके शिव जी की ध्यान करें. फिर ओम का उच्चारण करते हुए उस गड्ढे में शिवलिंग की स्थापना कर दें. वहां शिव जी की मूर्ति की स्थापना भी पंचाक्षर मंत्र के उच्चारण के साथ करनी चाहिए. 5. इस प्रकार से स्थापित शिवलिंग की रोज पूजा करें. शिवलिंग साक्षात् भगवान शिव का पद प्रदान करने वाला है. ये भी पढ़ें: कब है रक्षाबंधन? सुबह में लग रही भद्रा, जानें तारीख, राखी बांधने का मुहूर्त, शुभ योग, महत्व शिवलिंग की पूजा विधि शिव पुराण के अनुसार, शिव पूजा के लिए आवाहन, आसन, अर्घ्य, पाद्य, पाद्यांग, आचमन, स्नान, वस्त्र, यज्ञोपवीत, गंध, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य, पान, समर्पण, नीराजन, नमस्कार और विसर्जन ये 16 उपचार हैं, जिन्हें षोडशोपचार पूजा कहते हैं. इस प्रकार से शिव ​जी या शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए. इस प्रकार से किया जाने वाली पूजा शिव पद की प्राप्ति कराती है. षोडशोपचार विधि से पूजा करने से पूर्ण फल की प्राप्ति होती है. शिवलिंग की परिक्रमा और नमस्कार करने से भी शिव पद की प्राप्ति होती है. Tags: Dharma Aastha, Lord Shiva, Religion, Sawan somvarFIRST PUBLISHED : July 18, 2024, 07:17 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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