ईडब्ल्यूएस को नौकरियों में 10 फीसद आरक्षण मामलाः सुप्रीम कोर्ट ने 7 दिनों की सुनवाई के बाद सुरक्षित रखा फैसला
ईडब्ल्यूएस को नौकरियों में 10 फीसद आरक्षण मामलाः सुप्रीम कोर्ट ने 7 दिनों की सुनवाई के बाद सुरक्षित रखा फैसला
EWS 10 percent reservation: आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग ईडब्ल्यूएस को नौकरियों और उच्च शिक्षण संस्थानों में 10 प्रतिशत आरक्षण देने के फैसले को चुनौती देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने 7 दिन तक सुनवाई की. सभी की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा.
नई दिल्ली. आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग ईडब्ल्यूएस को नौकरियों और उच्च शिक्षण संस्थानों में 10 प्रतिशत आरक्षण देने के फैसले को चुनौती देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने 7 दिन तक सुनवाई करने के बाद फैसला सुरक्षित रखा.
केंद्र सरकार की ओर से पक्ष रखते हुए सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि आर्थिक आधार पर आरक्षण संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन नहीं करता, बल्कि उसे मजबूती प्रदान करता है. संविधान की प्रस्तावना में भी आर्थिक न्याय की बात कही गई है. सभी पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. प्रधान न्यायाधीश यू यू ललित की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता सहित अन्य वरिष्ठ वकीलों की दलील सुनने के बाद इस कानूनी प्रश्न पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया कि ईडब्ल्यूएस कोटा ने संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन किया है या नहीं. शीर्ष अदालत में इस संबंध में साढ़े छह दिन तक सुनवाई हुई.
गौरतलब है कि सरकारी और निजी शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश और केंद्र सरकार की नौकरियों में भर्ती के लिए आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग यानी ईडब्ल्यूएस को दिए गए 10 प्रतिशत आरक्षण को चुनौती देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है. पिछली सुनवाई पर याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में पक्ष रखते हुए कहा था कि यह संशोधन समानता के अधिकार को नुकसान पहुंचाता है जो कि संविधान की आत्मा है. सुप्रीम कोर्ट में एक वकील ने कहा कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग ईडब्ल्यूएस श्रेणी के लिए दाखिले और नौकरियों में 10 प्रतिशत आरक्षण देने का केंद्र का फैसला कई मायनों में संविधान के बुनियादी ढांचे का उल्लंघन है और आरक्षण के संबंध में 50 प्रतिशत की सीमा का उल्लंघन भी होता है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक एक कर सभी पक्षों को सुना है. आरक्षण के पक्ष और विपक्ष की दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की बेंच ने फैसला सुरक्षित रख लिया है.
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Tags: New Delhi news, Supreme CourtFIRST PUBLISHED : September 27, 2022, 16:06 IST