मई में गन्ने की फसल में करें ये 4 कामखाद डालते समय रखें इन बातों का ध्यान

डॉ संजीव पाठक ने बताया कि किसान गन्ने की फसल में सिंचाई करने के बाद उसकी गुड़ाई कर दें. गुड़ाई के बाद एक बोरी यूरिया प्रति एकड़ की दर से गन्ने की पौधों की जड़ों के पास डाल दें. ऐसा करने से गन्ने को पोषक तत्व मिलेंगे.

मई में गन्ने की फसल में करें ये 4 कामखाद डालते समय रखें इन बातों का ध्यान
सिमरनजीत सिंह/शाहजहांपुर : मई और जून का महीना गन्ने की फसल के लिए बेहद ही महत्वपूर्ण होता है. इन दिनों में गन्ने में सिंचाई के बाद निराई और गुड़ाई का काम किया जाना बेहद आवश्यक होता है. इसके अलावा उर्वरक प्रबंधन भी बेहद जरूरी है. क्योंकि अगर गन्ने की फसल को समय पर उर्वरक मिलेगा तो ज्यादा से ज्यादा संख्या में कल्ले निकलेंगे. जिससे किसानों को ज्यादा उत्पादन मिलेगा. उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद के प्रसार अधिकारी डॉ संजीव पाठक ने बताया कि किसान गन्ने की बुवाई के वक्त बेसल डोज में फास्फोरस और पोटाश दे चुके हैं. ऐसे में अब गन्ने की फसल में नाइट्रोजन देना बेहद जरूरी है. क्योंकि गन्ने की फसल में यह समय कल्ले की संख्या को बढ़ाने के लिए बेहद ही उपयुक्त होता है. ऐसे में गन्ने में समय से उर्वरकों का बेहतर प्रबंधन किया जाना जरूरी है. 2 से 3 बार में करें यूरिया की टॉप ड्रेसिंग डॉ संजीव पाठक ने बताया कि किसान गन्ने की फसल में बुवाई के वक्त एक तिहाई नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश दे चुके हैं. अब ऐसे में बची हुई दो तिहाई नाइट्रोजन गन्ने की फसल में दी जानी चाहिए. बची हुई यूरिया की मात्रा किसान दो से तीन बार सिंचाई के बाद गन्ने की फसल में दे दें. सिंचाई के बाद करें ये काम डॉ संजीव पाठक ने बताया कि किसान गन्ने की फसल में सिंचाई करने के बाद उसकी गुड़ाई कर दें. गुड़ाई के बाद एक बोरी यूरिया प्रति एकड़ की दर से गन्ने की पौधों की जड़ों के पास डाल दें. ऐसा करने से गन्ने को पोषक तत्व मिलेंगे. जिस गन्ने की फसल में कल्लों की संख्या बहुत तेजी के साथ बढ़ेगी. जितने ज्यादा कल्ले पौधे में होंगे उतने ही बंपर उत्पादन होगा. डीएपी की ना करें टॉप ड्रेसिंग डॉ. संजीव पाठक ने बताया कि आप गन्ने की फसल में सिर्फ नाइट्रोजन की ही टॉप ड्रेसिंग करनी है. कुछ किसान डीएपी की टॉप ड्रेसिंग करते हैं. जिसका किसानों की गन्ने की फसल को कोई लाभ नहीं मिलता, क्योंकि डीएपी में 46% फास्फोरस और 18% नाइट्रोजन पाया जाता है. गन्ने के पौधे 18% नाइट्रोजन तो ग्रहण कर लेते है लेकिन डीएपी में पाया जाने वाला फास्फोरस चलायमान नहीं होता है जो गन्ने की जड़ों तक नहीं पहुंच पाता है. गन्ने के पौधे इसको ग्रहण नहीं कर पाता. ऐसे में खेत में डाली हुई डीएपी व्यर्थ में चली जाती है. Tags: Agriculture, Local18, Shahjahanpur News, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : May 11, 2024, 13:06 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed